अम्बाला की पवित्र भूमि से देश को आजाद कराने के लिए सबसे पहले क्रांति की ज्वाला भभकी : अनिल विज

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@ नई दिल्ली

हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि अम्बाला की भूमि पवित्र भूमि है और यहीं से देश को आजाद कराने के लिए ज्वाला भभकी, इसके बाद ही देश को आजादी मिली और आज हम आजाद देश में सांस ले रहे हैं।

गृह मंत्री अनिल विज ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अम्बाला की दास्तान के नाटक का मंचन आज यहां किया गया है जिसमें दिखाया गया कि हिंदुस्तान में आजादी की लड़ाई का जन्म अम्बाला छावनी से हुआ और आजादी की ज्वाला अम्बाला छावनी से उठी। वह सभी कलाकारों को जिन्होंने इस नाटक के मंचन में अभिनय किया है उन्हें बधाई देता हूं। सभी ने बेहतरीन तरीके से इसमें अभिनय किया और सारे अम्बाला की उस समय क्या-क्या भूमिका रही और कैसे अम्बाला से आजादी की पहली लड़ाई मेरठ से 9 घंटे पहले अम्बाला छावनी स्थित 60वीं नेटिव इन्फेंटरी से शुरू हुई इसका पूरा वर्णन किया गया है।

अम्बाला छावनी में भी काली प्लाटून का पुल है और उस पुल के पार ही नेटिव इन्फेंटरी यूनिट थी और पुल के दूसरी ओर यूरोपियन लाइन थी। नेटिव इन्फेंरी ने 10 मई को प्रात: 9 बजे हथियार लेकर अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था और 12 बजे 5वीं नेटिव इन्फेंरी ने युद्ध का ऐलान किया। रविवार के दिन सभी अंग्रेज चर्च में जाते थे और योजना यह बनी थी कि सभी अंग्रेज चर्च में एकत्रित होंगे तो सभी को मारकर दिल्ली की ओर कूच किया जाएगा। मगर, एक सिपाही श्याम सिंह द्वारा अंग्रेजों को योजना पहले बता देने से अंग्रेज अलर्ट हो गए। मगर, जिस समय हथियार लेकर भारतीय सिपाही बैरकों से निकले तो आंदोलन आरंभ हुआ और इसके बाद हरियाणा के अन्य शहरों के अलावा मेरठ व देश के अन्य हिस्सों में जंग लड़ी गई।

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि 1857 में आजादी की लड़ाई की पूरी प्लानिंग की गई थी और इतिहासकार मानते हैं कि इसकी प्लानिंग अम्बाला छावनी से की गई थी, वैसे तो 26 मार्च से जो इस क्रांति में बाधा थे उन सबके घरों व दफ्तरों को क्रांतिकारियों ने आग के हवाले करना आरंभ कर दिया था।

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि आजादी की पहली लड़ाई को समर्पित शहीद स्मारक जीटी रोड बनाया जा रहा है जोकि 400 करोड़ की लागत से बन रहा है। स्मारक में अलग-अलग माध्यमों से जंगे-ए-आजादी को  दिखाया जाएगा। पहले हिस्से में अम्बाला छावनी में क्रांति की ज्वाला, दूसरे हिस्से में हरियाणा और तीसरे हिस्से में समूचे देश में 1857 की क्रांति को भिन्न-भिन्न तरीकों से प्रदर्शित किया जाएगा। हमें यही पढ़ाया गया कि आजादी की लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी, मगर कांग्रेस का जन्म 1885 में हुआ था मगर उससे 28 साल पहले 1857 में लोगों ने लड़ाई लड़ी, मगर उन्हें कभी याद नहीं किया गया। मगर आज नाटक के मंचन में कई नाम बताए गए।

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि हमने यह सब जानने के लिए हिंदुस्तान के 6 प्रमुख इतिहासकारों की समिति बनाई जिसमें अम्बाला के 2 इतिहासकारों को जिनमें प्रो. यूवी सिंह व तेजिंद्र सिंह वालिया को शामिल किया गया है जोकि एक-एक तथ्य को निकाल शहीद स्मारक में प्रदर्शित करेंगे। 1857 की क्रांति में रोटी और कमल के फूल का महत्व था और शहीद स्मारक में 70 फुट ऊंचा कमल का फूल बनाया जाएगा। शहीद स्मारक में 85 प्रतिशत सिविल वर्क पूरा हो चुका है जबकि आर्ट वर्क के जल्द टेंडर होंगे। हिंदुस्तान के बड़े म्यूजियम बनाने वाली कंपनियों द्वारा शहीद स्मारक में कार्य करने की हमें उम्मीद है।

मंत्री अनिल विज ने कहा कि वह 20 साल से शहीद स्मारक निर्माण के लिए लड़ते आ रहे हैं और सन् 2000 से विधानसभा से वह लगातार इसकी मांग उठाते आ रहे हैं। हमारी सरकार के आते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तुरंत इसे अम्बाला छावनी में बनाने की मंजूरी दी। इस अवसर पर अम्बाला डीसी डा. प्रियंका सोनी, एसपी जश्नदीप सिंह रंधावा, सूचना जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ0 कुलदीप सैनी, नगर परिषद के प्रशासक दिनेश कुमार, नाटक के निदेशक मनीष जोशी सहित भाजपा मंडल अध्यक्ष राजीव डिम्पल, किरणपाल चौहान, अजय पराशर सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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