अम्बिका माता मन्दिर, कुराबड़ मार्ग, ग्राम: जगत, उदयपुर, राजस्थान भाग : ४६५
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा, भारत के धार्मिक स्थल : शिर्डी वाले साईं बाबा मन्दिर।प्रो० रामनाथ विज मार्ग, सेंट्रल रिज रोड़, नई दिल्ली। यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप कृप्या करके प्रजाटूडे की वेबसाइट पर जाकर www.prajatoday.com पर जाकर धर्मसाहित्य पृष्ठ पर जा सकते हैं।
अम्बिका माता मन्दिर, कुराबड़ मार्ग, ग्राम: जगत, उदयपुर, राजस्थान भाग : ४६५
अम्बिका माता मन्दिर जो राजस्थान राज्य के उदयपुर ज़िले से ५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ‘ इस मन्दिर में देवी दुर्गा का एक एक रूप अम्बिका माता की प्रतिमा है मन्दिर का निर्माण लगभग ९६१ विक्रम संवत में हुआ था। इस मन्दिर में दुर्गा और कई देवी देवताओ की मूर्तियाँ है। माँ दुर्गा की ऊर्जा के एक प्रमुख स्त्रोत शक्ति के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
उदयपुर से पूर्व दिशा में लगभग 55 किलोमीटर की दूर, कुराबड़ रोड पर स्थित जगत गांव का अम्बिका मन्दिर अपनी सुंदरता के लिये जगत प्रसिद्ध है। 9वीं से 10वीें सदी के बीच बना यह मन्दिर शिल्प कला के नजरिये से खजुराहो के मंदिरों से समानता रखता है। यही वजह है कि इसे ‘राजस्थान का लघु खजुराहो’ या ‘मेवाड़ के खजुराहो’ भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसे लेकर स्पष्टता नहीं है, लेकिन कुछ अभिलेखों की सहायता से यह कहा जाता है कि इसका जीर्णोद्धार विक्रम संवत् 1017 में किया गया। इसकी शिल्प कला के आधार पर इसे 9वीं शताब्दी में बनाया गया मन्दिर माना जाता है। इसमें गर्भगृह, सभा मंडप, जगमोहन (पोर्च) और पंचरथ शिखर हैं। इसके सौन्दर्य की तुलना आहाड़ के मंदिरों से भी की जा सकती है। गर्भगृह में अम्बिका की नई प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई है। यह स्थल पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित है, लेकिन यहां से मूल प्रतिमा काफी पहले चोरी हो गई। सभा मण्डप स्थित नृत्य गणपति की प्रतिमा को भी उखाडक़र ले जाने के प्रयास दो-तीन बार हो चुके हैं।
इस प्राचीन मन्दिर के स्तम्भ पर विक्रम संवत् 1017 यानि ईस्वी 960 में तत्कालीन महारावल अल्लट के शासनकाल में पुरखों की विरासत को बचाए रखने के संदेश व इससे प्राप्त होने वाले पुण्यकर्म के सम्बंध में श्लोक लिखा गया है।
वापी-कूप-तडागेषु-उद्यान-भवनेशु च।
पुनर्संस्कारकर्तारो लभते मूलकं फलम॥
इस श्लोक में विरासत के महत्व के स्थलों के रूप में सीढ़ी वाले कुण्ड (बावड़ी), कुआं, तालाब-तड़ाग जैसे जलस्रोत, पर्यावरण को शुद्ध रखने वाले उद्यान तथा सार्वजनिक हित के विश्रान्ति भवन, शैक्षिक स्थल, आश्रम, देवालय आदि के संरक्षण के भाव से उनका पुनर्संस्कार करने की प्रेरणा देते हुए कहा गया है कि जो कोई इनका पुनरुद्धार करवाता है तो वह उसी फल से लाभान्वित होता है जो कि मूल कार्य करवाने वाले को मिलता है।
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अंबिका माता मंदिर, जगत, उदयपुर, राजस्थान का खजुराहो, समय, इतिहास, वास्तुकला, महत्व, राजस्थान, भारत अंबिका माता मंदिर, जगत, उदयपुर, राजस्थान, भारत का इतिहास, महत्व, समय, वास्तुकला, गतिविधियाँ, रोचक तथ्य और यात्रा गाइड उदयपुर में अंबिका माता मंदिर जगत नामक एक छोटे से गांव के पास स्थित है। मंदिर राजस्थान में है और अंबिका देवी को समर्पित है। अम्बिका देवी यानी देवी दुर्गा का दूसरा नाम और मंदिर में मौजूद मंदिर को ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है जो आपको शुद्ध ऊर्जा प्रदान करेगा।
मंदिर का निर्माण वर्ष 961 ईस्वी में किया गया था और अब तक कई संगठनों द्वारा इसका रखरखाव किया जाता रहा है। इसे अब विभिन्न राज्यों के संग्रहालय विभागों के लिए संरक्षित और संरक्षित किया गया है। और गाँव के देवता माने जाने वाले इस मंदिर की दीवारों और पत्थरों पर वर्णन प्रसिद्ध हैं। देवी दुर्गा की देवी उग्रता हैं जो देवी की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। मंदिर जैन धर्म से भी जुड़ता है जहां विभिन्न धर्मों के भक्त मंदिर में आते हैं।
अलग-अलग जगहों से आए पर्यटक अंबिका माता मंदिर जाना पसंद करते हैं, ताकि वे उदयपुर आने वाले स्थानों की सूची बना सकें। मंदिर का निर्माण मारू गुर्जर वास्तुकला के अनुसार किया गया था जो उदयपुर की एक प्रसिद्ध शैली है और 10वीं शताब्दी में बने अन्य मंदिरों से थोड़ा अलग है। यह उन मंदिरों में से एक है जिसे आपने जीवन में एक बार बनाया है।
इस प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास
अंबिका माता मंदिर जगत के छोटे से गांव के पास स्थित अंबा मां को समर्पित है जो उदयपुर से 50 किमी दक्षिण पूर्व में है। यह एक छोटा सा मंदिर है जो 10वीं शताब्दी का है और इसमें दुर्गा और कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। यह एक हिन्दू मंदिर है। ऐसा माना जाता था कि मां दुर्गा आपको ऊर्जा का स्रोत प्रदान करती हैं और वह एक दृष्टि के माध्यम से परिवर्तन के साथ संबंध के माध्यम से दुर्गा से जुड़ी हुई हैं।
मंदिर को मेवाड़ के खजुराहो के रूप में भी जाना जाता है, मंदिर में कई बेहतरीन मूर्तियां हैं जो उत्कृष्ट रूप से संरक्षित हैं। देवी-देवताओं, संगीतकारों, गायकों और अनगिनत सुंदर महिलाओं की बड़ी मूर्तियों के साथ मंदिर की बाहरी दीवारों पर विशिष्ट विवरण उच्च दिखाई देते हैं। विषय एक पहाड़ी महल का है जो बादलों से अधिक वास्तुकला से आच्छादित है और आसपास के पर्वत शिखर के साथ छोटे शिखर टावरों से घिरा हुआ है। माउंटेन पैलेस की वास्तुकला।
अंबिका माता मंदिर, जगत के दर्शन समय
अंबिका माता मंदिर के दर्शन का समय सुबह 6:00 बजे शुरू होता है और रात 8:30 बजे बंद होता है आप इस समय दर्शन दे सकते हैं। हालांकि यह खजुराहो के रूप में अच्छी तरह से ज्ञात नहीं है, फिर भी जब भी आप राजस्थान का दौरा कर रहे हैं तो यह बड़ी संख्या में भक्तों और पर्यटकों का गंतव्य है, यह एक जरूरी मंदिर है क्योंकि यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
इस मंदिर में जाने का कोई निश्चित समय नहीं है। आप कभी भी विजिट कर सकते हैं। कब जा सकते हैं दरबार से आशीर्वाद लेने मंदिर इसके अलावा सुबह और शाम के समय मंदिर में आरती और पूजा में शामिल हो सकते हैं।
कैसे पहुंचें अंबिका मंदिर:
जगत, उदयपुर के पास, राजस्थान। उदयपुर, ऐतिहासिक शहर, पर्यटकों का स्वर्ग और राजस्थान का जिला भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल है, इस प्रकार सड़क, वायु और रेल नेटवर्क से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चूंकि उदयपुर दिल्ली-मुंबई के बीच में स्थित है और गुजरात की सीमा के निकट है, इसलिए पर्यटक सड़क नेटवर्क के माध्यम से निजी और सरकारी वाहनों से आसानी से पहुंच सकते हैं। उदयपुर में प्रमुख रेलवे जंक्शन और हवाई अड्डा है जहाँ से आप भारत के किसी भी शहर में आसानी से आ-जा सकते हैं। महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर उदयपुर से मात्र 24 किमी की दूरी पर स्थित है जहाँ से पर्यटक प्रतिदिन दिल्ली, मुंबई और जयपुर के लिए उड़ान भर सकते हैं। उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन और राणा प्रताप नगर रेलवे स्टेशन कोलकाता, बैंगलोर, नई दिल्ली, मुंबई, जयपुर, अजमेर, कोटा, आगरा, अहमदाबाद आदि सहित भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।
पता :
अम्बिका माता मन्दिर, MDR- 11, ग्राम: जगत, उदयपुर, राजस्थान, पिनकोड : 313905 भारत।
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :
निकटतम हवाई अड्डा उदय पुर का महाराणा प्रताप अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है अतः इस हवाईअड्डे से ३९.४ किलोमीटर दूर स्थित है। आप कैब द्वारा ५९ मिनेट्स में वाया कुराबाद मार्ग से पहुँच जाओगे अम्बिका माता मन्दिर।
रेल मार्ग से कैसे पहुँचें :
रेल मार्ग से पहुँचने में आसानी से आप उदयपुर सिटी स्टेशन से तकरीबन ३८ किलोमीटर दूर है। आप कैब द्वारा १ घण्टा १० मिनट्स में पहुंच जाओगे अम्बिका माता मन्दिर।
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :
आप ISBT इन्टर स्टेट बस टर्मिनल द्वारा बस अथवा अपनी कार से ७३८.८ किलोमीटर की दूरी तय करके वाया NH २७ मार्ग से आसानी से १२ घण्टा १२ मिनट्स में पहुँच जाओगे अम्बिका माता मन्दिर।
अम्बिका माता महारानी की जय हो। जयघोष हो।।