अर्जुन राम मेघवाल ने “महिलाएं और राष्ट्र निर्माण: 1857 से गणतंत्र तक” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

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@ नई दिल्ली

राष्ट्रीय अभिलेखागार के 133वें स्थापना दिवस के अवसर पर अर्जुन राम मेघवाल ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में “महिलाएं और राष्ट्र निर्माण: 1857 से गणतंत्र तक” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।  

इस अवसर पर अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम, जिसमें महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, के गुमनाम नायकों के योगदानों को सामने लाने का विचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में राष्ट्र निर्माण और 1857 से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक में महिलाओं के योगदान को रोचक तरीके से दर्शाया गया है। दुर्गावती देवी और कस्तूरबा गांधी का उदाहरण देते हुए, अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह प्रदर्शनी उनके योगदान के महत्वपूर्ण एवं अज्ञात पहलुओं पर प्रकाश डालती है।

यह प्रदर्शनी राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महिलाओं के योगदान को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है। चाहे वह दमनकारी औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए भारत का संघर्ष हो, बाल-विवाह एवं अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन हो, महिलाओं की शिक्षा को सुविधाजनक बनाना हो या स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का निर्माण हो – महिलाएं हमेशा सबसे आगे रहीं और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की पहली लड़ाई से लेकर भारतीय गणतंत्र की घोषणा तक की राह में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

यह प्रदर्शनी अभिलेखीय भंडार के पिटारे यानी सरकार की आधिकारिक फाइलों, प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों के निजी कागजातों और साथ ही एनएआई पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकों के समृद्ध संग्रह से निकाले गए मूल दस्तावेजों का एक संग्रह प्रस्तुत करती है।

यह प्रदर्शनी 30 अप्रैल 2023 तक शनिवार, रविवार और राष्ट्रीय अवकाश सहित प्रत्येक दिन सुबह 10:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक जनता के देखने के लिए खुली रहेगी।

राष्ट्रीय अभिलेखागार संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक संबद्ध कार्यालय है। वर्तमान में राष्ट्रीय अभिलेखागार में सार्वजनिक अभिलेखों के 18.00 करोड़ से अधिक पृष्ठों का संग्रह उपलब्ध है जिनमें फाइलें, खंड, मानचित्र, भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत विधेयक, संधियां, दुर्लभ पांडुलिपियां, प्राच्य अभिलेख, निजी कागजात, मानचित्र अभिलेख (कार्टोग्राफिक रिकॉर्ड), राजपत्रों एवं विवरणिकाओं का महत्वपूर्ण संग्रह, जनगणना के रिकॉर्ड, विधानसभा एवं संसद की बहसें, निषिद्ध साहित्य, यात्रा वृत्तांत आदि शामिल हैं। प्राच्य अभिलेखों का एक बड़ा हिस्सा संस्कृत, फारसी, ओडिया आदि भाषाओँ में है।

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