भारत के धार्मिक स्थल बाला सुन्दरी माता त्रिलोकपूर, हिमाचल प्रदेश भाग :१४३
आपने पिछले भाग में पढ़ा भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल : शक्तिपीठ चामुण्डेश्वरी माता, मैसूर, कर्नाटक! यदि यह लेख आपसे छूट गया या रह गया हो तो आप प्रजाटूडे की वेबसाईट पर जाकर धर्म साहित्य पृष्ठ पर जाकर, पढ़ सकते हैं!
अब आप पढ़ें: भारत के धार्मिक स्थल बाला सुन्दरी माता, त्रिलोक पूर, हिमाचल प्रदेश! भाग:१४३
भारत वर्ष के हिमाचल प्रदेश राज्य के सिरमौर ज़िले के त्रिलोक पुर ग्राम में स्थित यह है विश्व विख्यात मन्दिर! यह नाहन नगर से लगभग २४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और ४३० मीटर की ऊँचाई पर एक पहाड़ी पर स्थित है!
इस क्षेत्र में एक त्रिकोण के तीन कोनों पर स्थित दुर्गा के तीन मन्दिर हैं, जिनमें देवी के अलग अलग स्वरूप विद्यमान हैं! त्रिलोकपुर में स्थित मुख्य मन्दिर में भगवती त्रिपुर बाला सुन्दरी का मन्दिर है, जिसमें दुर्गा का बाल्यावस्था का स्वरूप है! यहाँ से ३ किलोमीटर की दूर भगवती ललिता देवी का मन्दिर है और १३ किलोमीटर पश्चिमोत्तर में तीसरा मन्दिर है भगवती त्रिपुर बाला सुन्दरी मन्दिर!
स्थानीय मान्यतानुसार सन् १५७० में राम दास नामक एक स्थानीय व्यापारी ने एक नमक की बोरी खरीदी, जिसमें एक पिण्डी पाई गयी! यह देवी माँ के बालसुन्दरी जी रूप का प्रतीक एक पवित्र पत्थर है! लाला राम दास बोरी से नमक बेचते रहे, लेकिन बोरी भरी की भरी ही रही, फिर देवी राम दास को एक स्वप्न में प्रकट हुई! उन्होंने राम दास को बताया कि कैसे वे देवबन से अदृश्य हुई थीं और उसे इस पिण्डी स्वरूप को लेकर त्रिलोकपुर में एक मन्दिर बनाकर स्थापित करते का आदेश दिया! यहाँ उन्होंने महामाया श्री बाला सुन्दरी को समर्पित पूजा का आदेश दिया, जो माता वैष्णो देवी जी का ही बाल स्वरूप हैं!
लाल राम दास के पास मन्दिर बनवाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था, इसलिए वे सिरमौर राज्य के राजा के पास पैसा माँगने गए, जो उन्हें दे दिया गया, राम दास ने मन्दिर निर्माण आरम्भ कराया और उसी वर्ष जयपुर से सँगमरमर का मन्दिर बनवाने के लिए निपुण कारीगर बुलवाए! मन्दिर सन् १५७३ में बनकर पूरा हुआ और देवी बाल सुन्दरी को समर्पित कर दिया गया! यहाँ पर राजघराने ने भी पूजा करनी प्रारम्भ कर दी! सन् १८२३ में महाराज फतेह प्रकाश और फिर १८५१ में महाराज रघुबीर प्रकाश ने मन्दिर की मरम्मत करवाई!
महादेवी श्रीबालासुन्दरी महिमा चालीसा:
॥दोहा॥
जय जय देवी त्रिपुरा –
त्रि-शक्ति माँ जगदंब,
जयजयजय त्रिपुरेश्वरी
शिव – शक्ति नव – रंग,
॥चौपाई॥
जयजय बालासुन्दरी माता।
कृपा तुम्हारी मङ्गल – दाता।।
जयजननीजयजयअविकारी।
ब्रह्मा हरि – हर त्रिपुर- धारी।।
सौम्य रूप धरे, बाल-सुहाना।
पूजते निशदिन सबद्रवनाना।।
हिमाचल गिरि माँ तेरा मंदिर।
धाम सुहाना श्री त्रिलोकपुर।।
रामदास की विपदा काटी।
देव – वृंद की अद्भुत माटी।।
नमक क्रय करने जो जाता।
सहारनपुर से जोडा नाता।।
धर्म-कर्म रामदासजी कीन्हा।
देव – वृंद मे आश्रय लीना।।
जब भी सहारनपुर वो जाते।
माँ शाकम्भरी के दर्शन पाते।।
देवीबन से पिंडी बन आई।
धन्य श्री त्रिलोकवपुर माई।।
रामदास को माँ देकर स्वप्न।
प्रफुल्लित किया उसका मन।।
भवन बना मैय्या जी बोली।
रामदास ने विपदा खोली।।
निर्धन मै क्या भवन बनाऊँ।
नाहन राजा को बतलाऊं।।
नाहन का राजा बडभागी।
भवन बनावें बन अनुरागी।।
त्रि-देवी का स्थान विराजे।
बाला सुंदरी मध्य मे साजे।।
पूर्व पर्वत माँ ललिताभवानी।
उत्तर मे सोहत त्रि- भवानी।।
बाल रूप तेरा बड़ा अनोखा।
जगदंबा जगदीश विशोका।।
नैना -देवी माँ रूप तेरा है।
नैनन का महातेज धरा है।।
तू ही माँ ज्वाला चिंतपूर्णी।
मनसा चामुण्डा माँ करणी।।
रूप – शताक्षी माँ तूने धारा।
अन्न–शाक से सब जग तारा।।
नगरकोट की है तू माँ भवानी।
कालिका मुंबा हिंगोल भवानी।।
रूप तेरे की अनुपम- शोभा।
निरखनिरखत्वसबजगलोभा।।
चतुर्भुजी त्वँ – श्वेत – वर्ण है।
गगन शीश पाताल चरण है।।
पार्वती माँ ने खेल रचाया।
दसविद्या का रूप बनाया।।
श्रीविद्या जो मात कहाती।
वो देवी षोडसी कहलाती।।
मात ललिता इनको कहते,
त्रिपुरा सुंदरी भजते रहते।।
ये देवी है माँ बाला सुन्दरी।
दस विद्या मे होती गिनती।।
कामाख्या का रूप तेरा।
षडानन स्वरूप धरा है।।
भवनतेरेराजेनगरनगर है।
सुंदर सोहे सर्व सगर है।।
हथीरा बीच में वास किया।
मुलाना – स्वरूप –धरा है।।
पिहोवा जो सरस्वती सँगम।
बाल रूप धरती उस आंगन।।
सुन्दर रुप कठुआ मे साजे,
दर्शन कर सब विपदा भागे।।
देव – बंद की तू महा-माया।
चतुर्दशी को रूप दिखाया।।
रणजीत देव डेरा के राजा।
करतसदा परहितहैकाजा।।
नंगे पांव त्रिलोकपुर आये।
पिण्डी रूप तेरा वो लाये।।
लाडवा में भवन बनाया।
चैत्र चतुर्दशी मंगल छाया।।
धन्य- धन्य हे मात भवानी।
वन्दन – तेरो आठो यामी।।
जालंधर – पीठ मे शोभित।
भवनतेरा माँबना हैअक्षत।।
जोजन गावे मात चालीसा।
पूर्ण काम करे जगदीशा।।
नील सागडी गुण तेरे गावें।
सबकेसंकट सगरमिटजावे।।
तम गहन माँ दूर तू कर दे।
भक्त तेरे की झोली भर दे।।
॥दोहा॥
जयतिजयतिजगदंबा
जयति सौम्य स्वरूप।
जग की एक आधार
तू सुमरे सुरजन भूप।।
कैसे पहुँचें माँ बाला सुन्दरी देवी मन्दिर :
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें माँ बाला सुन्दरी देवी मन्दिर :
देहरादून के हवाईअड्डे से १३४.५ किलोमीटर की दूरी पर तीन घण्टे कैब द्वारा पहुँच सकते हैं मन्दिर!
रेल मार्ग से कैसे पहुँचें माँ बाला सुन्दरी देवी मन्दिर :
अम्बाला कैन्ट जंक्शन रेलवेस्टेशन से त्रिलोक पुर का मन्दिर ५१.८ किलोमीटर है! जिसे आप बस या कैब द्वारा पहुँच सकते हैं!
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें माँ बाला सुन्दरी देवी मन्दिर :
दिल्ली से आप अपनी कार से अथवा बस से ४ घण्टे ३० मिन्ट्स की यात्रा करके २३५.९ किलोमीटर की दूरी तय करके पहुँच जाओगे मन्दिर!
बाला सुन्दरी माता की जय हो! जयघोष हो!!
!!बाला सुन्दरी माता की जय हो जय जय कार हो!!