बंगलुरू के कुम्बलागोडु में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के नए परिसर का उद्घाटन

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@ बेंगलुरु कर्नाटक 

केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, गिरिराज सिंह ने भारत के युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण में मांग-आधारित कौशल प्रदान करने का आह्वान किया है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के लिए। मंत्री ने रोजगार प्रशिक्षण की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण बताते हुए उन साधनों का पता लगाने का आग्रह किया जो देश के युवाओं के लिए रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर उत्पन्न करे और जिन्हें पारंपरिक ट्रेडों को इलेक्ट्रॉनिक, शिक्षा एवं प्रशिक्षण, आईटी एवं बीपीओ और पर्यटन एवं आतिथ्य जैसे क्षेत्रों के साथ एकीकृत किया जा सके।

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मंत्री ने बंगलुरू के कुम्बलागोडु में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी)-एनएआर के नए परिसर का उद्घाटन के दौरान ये बातें कीं।इस अवसर पर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, सु साध्वी निरंजन ज्योति, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य, फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, डॉ. सी एन अश्वथ नारायण, कर्नाटक राज्य के कौशल विकास, उद्यमिता और आजीविका मंत्री, एस टी सोमशेखर, कर्नाटक राज्य के सहकारिता मंत्री और डॉ. वीरेंद्र हेगड़े, सांसद और अध्यक्ष, एनएआर और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित हुए।

गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत को एक प्रमुख मानव संसाधन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है और आरसेटी ने 44 लाख युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिनमें से लगभग 31 लाख प्रशिक्षु अब तक रोजगार प्राप्त कर चुके हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि प्रशिक्षण प्रदान किए गए कुल लोगों में से लगभग 29 लाख महिलाएं हैं, जो 66 प्रतिशत से भी ज्यादा है, जिससे यह साबित होता है कि आरसेटी में ‘महिला सशक्तिकरण’ को बहुत महत्व दिया जाता है। 

डॉ. गिरिराज सिंह ने संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसके अनुसार, आने वाले 20 वर्षों में, भारत की कार्यबल क्षमता में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, जबकि पूरे वैश्विक कार्यबल क्षमता में 04 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरसेटी से प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं की व्यवस्था सफलतापूर्वक करने के लिए और उन्हें आवश्यक ऋण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी कहा कि 14.28 लाख प्रशिक्षित उम्मीदवारों को क्रेडिट लिंकेज प्रदान किया गया है और संचयी ऋण का संवितरित 7,200 करोड़ रुपये रहा है। मंत्री ने कहा कि आरसेटी प्रशिक्षित उम्मीदवारों के क्रेडिट लिंकेज का औसत 51 प्रतिशत है।

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बेंगलुरु में एनएआर की नई परिसर परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए 3.5 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। वर्तमान समय में, 27 राज्यों और 06 केंद्र शासित प्रदेशों में 572 जिलों को कवर करते हुए आरसेटी 590 जगहों पर काम कर रही है। इनमें कर्नाटक के 33 आरसेटी भी शामिल हैं, जिन्होंने अब तक 03.49 लाख बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया है। आरसेटी को सार्वजनिक, निजी, सहकारी क्षेत्रों और ग्रामीण बैंकों सहित 24 बैंकों द्वारा प्रायोजित किया जाता है।

डॉ डी. वीरेंद्र हेगडे, धर्माधिकारी, क्षेत्र धर्मस्थल के नेतृत्व में, 1982 में केनरा बैंक, पूर्ववर्ती सिंडिकेट बैंक और एसडीएमई ट्रस्ट, धर्मस्थल ने देश में ग्रामीण युवाओं के रोजगार की समस्या का समाधान करने के लिए ग्रामीण विकास और स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की अनूठी अवधारणा को अपनाया था। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उस समय से पूरे देश में आरसेटी मॉडल को अपनाया है और बैंकों को सलाह दिया है कि वह अपने प्रत्येक अग्रणी जिले में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना करें। वर्ष 2008 में स्थापित किए गए राष्ट्रीय आरसेटी-एनएआर अकादमी ने युवाओं को स्वरोजगार उद्यमों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया था। 

इससे पहले,  गिरिराज सिंह ने औपचारिक रूप से छात्रावास ब्लॉक की शुरुआत की, जबकि मुख्यमंत्री बोम्मई ने नए परिसर के प्रशासनिक खंड का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री द्वारा भी इस सभा को संबोधित किया गया।

इस अवसर पर, शैलेश कुमार सिंह, सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, कर्मा जिंपा भूटिया, संयुक्त सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार, कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और शीर्ष बैंक अधिकारी भी उपस्थित हुए। इस कार्यक्रम में सफल आरसेटी प्रशिक्षुओं के अनुभव को साझा करने वाले सत्र और उद्यमियों को बैंक द्वारा ऋण वितरण को भी शामिल किया गया।

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