भारतीय संस्कृति में सर्वे भवंतु सुखिनः की भावना : अशोक पांडे

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@ भोपाल मध्यप्रदेश

विश्व वन दिवस पर पर्यावरणविद राम माहेश्वरी पर्यामित्र सम्मान 2022 से अलंकृत।भारतीय संस्कृति में सर्वे भवंतु सुखिनः की भावना मिलती है। अर्थात सभी प्राणी सुखी हों, जबकि पाश्चात्य देशों में व्यक्तिगत सुख की चाह देखी जाती है। पुराणों में हरि व्यापक सर्वत्र समाना का उल्लेख है। अर्थात मनुष्य सहित सभी प्राणियों तथा कण-कण में ईश्वर मौजूद है। इसी भावना के कारण हम पेड़ पौधों तथा सभी जीव जंतुओं का आदर करते हुए उनका संरक्षण करते हैं।

पर्यावरण शिक्षा एवं संरक्षण समिति के तत्वावधान में विश्व वन दिवस पर आयोजित समारोह में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं अर्चना प्रकाशन न्यास के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में यह बात कही। त्रिभुवन कॉलोनी सलैया में वे पर्यावरण साहित्य केंद्र का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे वेद पुराणों में पंच तत्वों और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार से अपेक्षा रखने के बजाय हम सभी को आगे आकर पर्यावरण संरक्षण का कार्य करना होगा।

नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटेलमेंट एंड एनवायरमेंट भोपाल के महानिदेशक डॉ पीके नंदी ने मुख्य अतिथि के रुप में प्रदेश के पर्यावरण की स्थिति पर गहन चिंता व्यक्त की। इस अवसर पर उन्होंने समावेशी विकास पर जोर देते हुए पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर वरिष्ठ लेखक एवं पर्यावरणविद् राम माहेश्वरी को समिति द्वारा पर्यामित्र सारस्वत सम्मान 2022 से अलंकृत किया गया।

अर्चना प्रकाशन न्यास के प्रबंध न्यासी एवं विशिष्ट अतिथि माधव सिंह दांगी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। हमें अपनी श्रेष्ठ परंपराओं का पालन करना होगा। एपको के सेवानिवृत्त मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी एवं विशेष अतिथि डॉ उपेंद्रमणि शुक्ला ने कहा कि पर्यावरण साहित्य केंद्र के शुरू होने से क्षेत्र के विद्यार्थियों और जन सामान्य को लाभ मिलेगा। पर्यावरण की गतिविधियों को गति मिल सकेगी। ओमप्रकाश गुप्ता ने अर्चना प्रकाश न्यास की गतिविधियों का पर प्रकाश डाला। अरविंद वास्तव ने आभार व्यक्त किया। समिति के अध्यक्ष आनंद पटेल ने आरंभ में समिति का परिचय दिया।

इस मौके पर अर्चना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित एवं डॉ किशोरी लाल व्यास नीलकंठ द्वारा लिखित पुस्तक ‘ भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का विमोचन किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामवल्लभ आचार्य, डॉ. मनोरमा पंत, भंवरलाल वास, डा. अर्जुनदास खत्री तथा डॉ. मायापति मिश्र ने अपने विचार रखे। विवेक सक्सेना, धीरेंद्र आर्य, कांत शर्मा, संगीता माथुर, सुषमा यादव, हर्ष चतुर्वेदी, नेतराम धाकड़, धर्मेंद्र चौधरी, संतोष धाकड़, प्रज्ञा पटेल तथा नैना माहेश्वरी तथा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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