@ नई दिल्ली
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने क्षेत्रीय बैठकों की एक श्रृंखला के भाग के रूप में आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “पॉक्सो: पीड़ितों को सहायता के कार्यान्वयन और पहलुओं में बाधा डालने वाले कारकों पर उत्तरी क्षेत्र सलाहकार बैठक का आयोजन किया। कार्यक्रम में एनएलएसए, एसवीपीएनपीए, एनएफएसयू और बीपीआरएंडडी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पूरे उत्तर भारत में 500 से अधिक प्रतिभागियों अर्थात जिला न्यायालयों के विद्वान न्यायाधीश, डीएलएसए के अधिवक्ता, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख और एससीपीसीआर के फोरेंसिक विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों ने क्षेत्रीय परामर्श बैठक में भागीदारी की।
उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायाधीश मुख्य अतिथि थे। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो, एनएएलएसए के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन, एनसीपीसीआर की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह, पद्म डॉ सुनीता कृष्णन और एसवीपीएनपीए, एनएफएसयू, बीपीआरएंडडी और एनएएलएसए के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में 10 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने दीप प्रज्वलन के द्वारा क्षेत्रीय परामर्श बैठक का उद्घाटन किया।
भट ने यह भी उल्लेख किया कि आईपीसी में संशोधन की मांग की गई थी, जिसने 2012 के बाद मौजूदा दंड प्रावधानों को बढ़ाया और कुछ नए अपराधों जैसे यौन उत्पीड़न, अश्लील साहित्य का जबरन प्रदर्शन, कपड़े उतारने के इरादे से आपराधिक बल, दृश्यरतिकता, पीछा करना आदि मामलों को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बात पर जोर दिया गया कि राज्यों का दायित्व उन्हें स्वयं ही उठाना होगा और राज्यों को अधिक विशेष अदालतों की स्थापना करके बुनियादी ढांचे के निर्माण, हितधारकों को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के लिए क्षमता निर्माण करके इन अंतरालों को दूर करना होगा, जो इस प्रणाली की रीढ़ हैं।
विविध विचारों को जानने के लिए, तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया और आयोग ने विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार-विर्मश करने के लिए आमंत्रित किया।पद्म डॉ. सुनीता कृष्णन ने पोक्सो पीड़ितों के लिए अपनाई जाने वाली कानूनी प्रक्रिया में हितधारकों की भूमिका के बारे में अपने विचार साझा किए।उन्होंने हितधारकों के उचित प्रशिक्षण और संवेदीकरण और उन्हें मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अनुराग कुमार (आईपीएस), उप निदेशक- प्रशिक्षण पुलिस अनुसंधान और प्रशिक्षण ब्यूरो ने प्रक्रिया और भूमिका पर संक्षेप में चर्चा करते हुए पॉक्सो से संबंधित मामलों में पुलिस की और इन्हें उचित न्याय दिलाने पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने दोहरे उत्पीड़न की अवधारणा और कड़े कानूनों की आवश्यकता पर भी विस्तार से चर्चा की। डॉ. के.पी.ए इलियास
संकाय प्रभारी, बाल केंद्र, एसवीपीएनपीए ने पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण की स्थिति को व्यक्त करने के लिए अपने विचार रखते हुए इस मामले में जमीनी अनुभव व्यक्त किए। नालसा के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन ने जांच और परीक्षण के विभिन्न चरणों में विभिन्न योजनाओं और कानूनों के तहत पॉक्सो पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया।
स्कूल ऑफ लॉ, एनएफएसयू के डीन प्रो. (डॉ.) पूर्वी पोखरियाल ने फोरेंसिक साक्ष्य के संग्रह और फोरेंसिक साक्ष्य के संग्रह में चुनौतियों के संबंध में जांच के कानूनी अनुपालन की व्याख्या की और सभी हितधारकों की भागीदारी और प्रशिक्षण पर जोर दिया।