गैबीनाथ प्राचीन शिव मन्दिर, माँ बिरासिनी धाम, मध्यप्रदेश भाग : ३९३,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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गैबीनाथ प्राचीन शिव मन्दिर, माँ बिरासिनी धाम, मध्यप्रदेश भाग : ३९३

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिक स्थल : श्री रक़ाब गंज गुरुद्वारा साहेब, पण्डित पन्त मार्ग, नई दिल्ली। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:

गैबीनाथ प्राचीन शिव मन्दिर, माँ बिरासिनी धाम, मध्यप्रदेश भाग : ३९३

शिव मन्दिर, बिरसिंहपुर, भगवान शिव शँकर का प्राचीन मन्दिर भी इस क्षेत्र में एक प्रसिद्ध और पुरातन पुनीत शिवालय है। यह सतना से लगभग ३५ किलोमीटर उत्तर में स्थित है। शिव मन्दिरों की मूर्ति बहुत ही आकर्षक मनमोहक और बेहद सुन्दर है।

लोग इस मन्दिर में महान विश्वास के साथ आते हैं। प्रत्येक रविवार को मन्दिर में एक विशेष आरती का आयोजन किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन यहां एक बहुत बड़ा मेला भी लगता है।

इस शिवालय में होती है खण्डित शिवलिंग की पूजा :

सतना जिला मुख्यालय से महज़ ३५ किलोमीटर दूर बिरसिंहपुर में भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा शिवालय है, जहां स्वयंभू खण्डित शिवलिंग की पूजा की जाती हैं ; इसे गैवीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। इस मन्दिर का वर्णन पद्म पुराण के पाताल खंड में भी मिलता है। सावन के सोमवार में यहां हर साल लाखों भक्त जुटते हैं। गैवीनाथ धाम को उज्जैन महाकाल का उपलिंग कहा जाता है। सतना जिले में एक ऐसा शिव मन्दिर है जहां खण्डित शिवलिंग की पूजा होती है। इस शिवलिंग को उज्जैन महाकाल का दूसरा उपलिंग कहा जाता है। जिले के बिरसिंहपुर में गैवीनाथ धाम के नाम से यह मन्दिर सुप्रसिद्ध है। यहां भगवान भोलेनाथ के खण्डित शिवलिंग की पूजा की जाती है. सावन महीना और महाशिवरात्रि में यहां मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। इस शिवलिंग का वर्णन पाताल पुराण में किया गया है।

कैसे पड़ा इस शिवलिंग का नाम गैवीनाथ धाम:

ऐसा माना जाता हैं कि, पद्म पुराण के अनुसार त्रेता युग में बिरसिंहपुर कस्बे में राजा वीर सिंह का राज्य हुआ करता था. उस समय बिरसिंहपुर का नाम देवपुर था. राजा वीर सिंह प्रतिदिन भगवान महाकाल को जल चढ़ाने के लिए घोड़े पर सवार होकर उज्जैन महाकाल दर्शन करने जाते थे और भगवान महाकाल काे दर्शन कर उन्हें जल चढ़ाते थे. बताया जाता है कि करीब ६० सालों तक यह सिलसिला चलता रहा। जैसे जैसे राजा वृद्ध होते गए उन्हें उज्जैन जाने में परेशानी होने लगी. एक बार उन्होंने भगवान महाकाल के सामने मन की बात रखी की भगवान हमें हमारी नगरी में दर्शन दें ताकि मैं आपकी पूजा अर्चना कर सकूं।

शिवलिंग पर सावन सोमवार की पूजा सावन के महीने में ६ बार अपनी प्रजा का हाल जानेंगे बाबा महाकाल, पुराने मार्ग से निकलेगी सवारीस्वप्न में आए महाकाल: माना जाता है कि, भगवान महाकाल ने राजा वीर सिंह को स्वप्न में दर्शन दिए और देवपुर में दर्शन देने की बात कही. इसके बाद नगर में गैवी यादव नामक व्यक्ति के घर में एक घटना सामने आई. घर के चूल्हे से रात को शिवलिंग निकला. जिसे गैवी यादव की माँ मूसल से ठोक कर अंदर कर दिया। शिवलिंग फिर निकला फिर से उसे अँदर कर दिया गया. यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन महाकाल फिर राजा के स्वप्न में आए और कहा मैं तुम्हारी पूजा और निष्ठा से प्रसन्न होकर तुम्हारे नगर में प्रकट होना चाहता हूं । लेकिन गैवी यादव मुझे निकलने नहीं देता।

बिरसिंहपुर शिव मन्दिर सतना बिरसिंहपुर में स्थित भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर, भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरीगैवी का घर कराया खाली:राजा ने गैवी यादव को बुलाया स्वप्न की बात बताई, इसके बाद गैवी के घर की जगह को खाली कराया गया. राजा ने उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया. भगवान महाकाल के कहने पर शिवलिंग का नाम गैवीनाथ धाम रख दिया गया. तब से भगवान भोलेनाथ को गैवीनाथ के नाम से जाना जाने लगा। शिव के गैवीनाथ धाम का है बढ़ा महत्व, यहां शिवलिंग को मानते हैं उज्जैन महाकाल का उपलिंग

शिवलिंग की मान्यता:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर चारों धाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ के दर गैवीनाथ धाम पहुंचकर चारों धाम का जल चढ़ाते हैं. पूर्वज बताते हैं कि, जितना चारों धाम का दर्शन लाभ का पुण्य मिलता है उससे कहीं ज्यादा गैवीनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है. लोग कहते हैं कि, चारों धाम का जल अगर यहां नहीं चढ़ा तो चारों धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है. यहां पर पूरे विंध्य क्षेत्र से भक्त पहुंचते हैं। हर सोमवार यहां हजारों भक्त पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. मन्नत मांगते हैं. यहां पहुंचने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

बिरसिंह पुर के गैविनाथ मन्दिर की महिमा है अपरंपार, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथाशिवलिंग की किवदंती:यहां की किवदंती है कि, यह स्वयंभू स्थापित शिवलिंग है. जो कि खंडित है. यहां मुगल शासक औरंगजेब ने सोना पाने के लालच में इस शिवलिंग को खंडित करने की कोशिश की थी. इसमें उसने टाकी मारी थी। जब औरंगजेब ने पहली टाकी मारी थी तो दूध निकला था, दूसरी टाकी में खून, तीसरी टाकी में मवाद, चौथी टाकी में फूल बेलपत्र आदि और पांचवी टाकी में जीवजंतु निकले, इसके बाद औरंगजेब को वहां से भागना पड़ा। भगवान भोलेनाथ से छमा याचना मांगनी पड़ी। तब से लेकर अब तक यहा खण्डित शिवलिंग की पूजा की जाती हैं।

शिव के चौरासी सिद्ध नाथ :

नाथ संप्रदाय के ८४ सिद्ध नाम इस प्रकार हैं : १.सिद्ध चरपतनाथ २. कपिल नाथ ३.गंगानाथ ४.विचार नाथ ५.जालंधर नाथ ६.सिंगारी पद नाथ ७.लोहीपाद नाथ ८.पुण्य पाद नाथ ९.कंकाई नाथ !१०.तुष्काई नाथ ११.कृष्णपाद नाथ १२.गोविंद नाथ १३.बाललगुंदाई नाथ १४.वीरवंकनाथ १५.सारंग नाथ १६.बुधनाथ १७.विभांड नाथ १८.बनखंडी नाथ १९.मंडप नाथ २०.भानभांड नाथ २१.धूर्म नाथ २२.गिरवर नाथ २३.सरस्वती नाथ २४.प्रभुनाथ २५.पिप्पल नाथ २६.संसार नाथ २७.भगवंत नाथ २८.उपेंद्रनाथ २९.चंदन नाथ ३०.तारा नाथ ३१.खारपु नाथ ३२.खोचरनाथ ३३.छाया नाथ ३४.सार्थनाक ३५.शरभ नाथ ३६.नागार्जुन नाथ ३७.सिद्ध गोरिया नाथ ३८.मनोमहेश नाथ ३९.श्रवण नाथ ४०.बालक नाथ ४१.सिद्ध नाथ ४२.काया नाथ ४३.भाव नाथ ४४.पाणी नाथ ४५.वीर नाथ ४६.सवाई नाथ ४७.तुकनाथ ४८.ब्रह्म नाथ ४९.शिवनाथ ५०.शिवनाथ ५१.ज्वाला नाथ ५२.नाग नाथ ५३.गंभीर नाथ ५४ सुंदर नाथ ५५.अमृत नाथ ५६.चिड़िया नाथ ५७.गेलारावल नाथ ५८.जोगरावलनाथ ५९.जगमरावल नाथ ६०.पूर्णमल्ल नाथ ६१.विमलनाथ ६२.मल्लिका नाथ ६३.मल्लीनाथ ६४.राम नाथ ६५.आम्र नाथ ६६.गहिनीनाथ ६७.ज्ञान नाथ ६८.मुक्ता नाथ ६९.विरुपाक्ष नाथ ७०.रेवण नाथ ७१.अडबंग नाथ ७२.धीरज नाथ ७३.घोड़ी चोली नाथ ७४.पृथ्वी नाथ ७५.हँस नाथ ७६.गैबी नाथ ७७. मंजू नाथ ७८.सनक नाथ ७९.सानन्दन नाथ ८०.सनातन नाथ ८१.सनकुमार नाथ ८२.सनत्कुमार नाथ ८३.नचिकेता नाथ और ८४.पूर्ण नाथ।

पता :

गैबीनाथ शिव मन्दिर माँ बिरासिनी धाम, मध्यप्रदेश पिनकोड : 485226 भारत।

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचे मन्दिर :

हवाई जहाज़ से जाने पर, निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो एयरपोर्ट है। १४१.७ किलोमीटर की दूरी तय करके कैब द्वारा ३ घण्टे १३ मिनट्स में पहुँच जाओगे गैबीनाथ शिव मन्दिर।

रेल मार्ग से कैसे पहुँचे मन्दिर :

ट्रेन द्वारा मुख्य रेलवे स्टेशन सतना रेलवे स्टेशन है। जिससे बिरसिंहपुर बस, टैक्सी और ऑटो रिकशा द्वारा पहुंचा जा सकता है आल आसानी से पहुँच जाओगे गैबीनाथ शिव मन्दिर।

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचे मन्दिर :

ISBT से आने के लिए बस, अपनी कार या बाईक से आते हैं तो बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे द्वारा ७२१.९ किलोमीटर की दूरी तय करके आप १० घण्टे ४३ मिनट्स में पहुँच जाओगे गैबीनाथ शिव मन्दिर। शिव भक्त पर्यटक जैतावारा रोड के माध्यम से सतना से बिरसिंहपुर ४० किलोमीटर तक ऑटो रिक्शा और टैक्सी का लाभ उठा सकते हैं।

देवाधिदेव महादेव शिव शँकर की जय हो। जयघोष हो।।

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