कालिका माता मन्दिर, चितौड़गढ़-फोर्ट, चितौड़गढ़, राजस्थान भाग : ४६९ ,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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कालिका माता मन्दिर, चितौड़गढ़-फोर्ट, चितौड़गढ़, राजस्थान भाग : ४६९

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा, भारत के धार्मिक स्थल : श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मन्दिर, श्रीसैलम, आंध्रप्रदेश। यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप कृप्या करके प्रजाटूडे की वेबसाइट पर जाकर www.prajatoday.com पर जाकर धर्मसाहित्य पृष्ठ पर जा सकते हैं।

कालिका माता मन्दिर, चितौड़गढ़-फोर्ट, चितौड़गढ़, राजस्थान भाग : ४६९

कालिका माता मन्दिर चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित आसपास के श्रद्धालुओं का श्रद्धा आस्था का प्रमुख केंद्र है। कालिका माता मन्दिर में माता भद्रकाली की पूजा होती है, जिनसे ना सिर्फ चित्तौड़गढ़ बल्कि पूरे राजस्थान के लोगों का अटूट आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है। चित्तौड़गढ़ जिले को देश विदेश से विजिट करने आए पर्यटक भी कालिका माता मन्दिर को अवश्य विजिट करते हैं और भद्रकाली माता का दर्शन और पूजा अर्चना करते हैं।

कालिका माता का यह मन्दिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है, जिसके दक्षिण में दाईं ओर रानी पद्मिनी का महल है। कालिका माता मंदिर भद्रकाली माता को समर्पित है, जिनसे दर्शन करने के लिए आसपास के श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है और साथ ही चित्तौड़गढ़ किले को देखने आए दूर-दूर के पर्यटक भी इस मंदिर में भद्रकाली माता के दर्शन करते हैं।

कालिका माता मन्दिर का इतिहास

कालिका माता मन्दिर चित्तौड़गढ़ के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। 14 वीं शताब्दी में निर्मित कालिका माता मन्दिर पद्मिनी महल और विक्ट्री टॉवर के बीच स्थित, चितौड़गढ़ का प्रमुख आस्था केंद्र माना जाता है। कालिका माता मंदिर कलिका देवी दुर्गा को समर्पित है। एक मंच पर बना यह मंदिर प्रथिरा वास्तुकला शैली को दर्शाता है,मंदिर के छत, खंभे और फाटक पर जटिल डिजाइन देखी जा सकती है। यह मंदिर आंशिक रूप से खंडहर है लेकिन फिर भी इसकी वास्तुकला हैरान कर देने वाली है। कालिका माता मन्दिर न केवल एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल है, बल्कि चित्तौड़गढ़ की यात्रा करने वाले पर्यटकों और कला प्रेमियों के बीच भी काफी लोकप्रिय है।

चित्तौड़गढ़ के कालिका माता मन्दिर का इतिहास:

कालिका माता मन्दिर वास्तव में मूल रूप से सूर्य देवता का मंदिर था, जिसे 8 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था। लेकिन अलाउद्दीन खिलजी के हमले के दोरान इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। जिसके कुछ समय पश्चात 14 वीं शताब्दी में यहाँ कालिका माता की मूर्ति स्थापित की गई और तब से यह मंदिर कालिका माता मन्दिर के नाम से जाना जाने लगा।

कालिका माता मन्दिर चित्तौड़गढ़ की वास्तुकला

कालिका माता मन्दिर एक ऊंचे पोडियम पर स्थित है और इसमें जटिल रूप से मण्डप, प्रवेश द्वार, छत और खंभे हैं। मन्दिर के छत, खंभे और फाटक पर जटिल डिजाइन देखी जा सकती है। यह मन्दिर आंशिक रूप से खंडहर है लेकिन फिर भी इसकी वास्तुकला हैरान कर देने वाली है। कालिका माता मन्दिर के पूर्व में प्रवेश द्वार को एक चट्टान पर रखा गया है। कालिका मंदिर परिसर में एक भगवान शिव को समर्पित मन्दिर भी है जिसे जोगेश्वर महादेव कहा जाता है।

कालिका माता मंदिर श्रद्धालुओं के प्रवेश और माता के दर्शन के लिए सुबह 5.00 बजे से रात 8.00 बजे तक खुला रहता है और आपकी बता दे मंदिर की सुखद और आनंदमयी यात्रा के लिए 1-2 घंटे का समय मंदिर में अवश्य व्यतीत करें।

कालिका माता मन्दिर का प्रवेश शुल्क:

कालिका माता मन्दिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश बिलकुल निशुल्क है।

कालिका माता मन्दिर चितौड़गढ़ घूमने जाने का सबसे अच्छा समय:

यदि आप चितौड़गढ़ में कालिका माता मन्दिर घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो हम आपको दे चितौड़गढ़ जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का समय होता है, क्योंकि इस समय चितौड़गढ़ का मौसम खुशनुमा रहता है, इसीलिए सर्दियों के मौसम में चितौड़गढ़ की यात्रा करना काफी अच्छा माना जाता है। आपको बता दे मार्च से शुरू होने वाली ग्रीष्मकाल के दौरान चितौड़गढ़ की यात्रा से बचें क्योंकि इस समय चितौड़गढ़ राजस्थान का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। जो आपकी कालिका माता मन्दिर चितौड़गढ़ की यात्रा को हतोत्साहित कर सकता है।

कालिका माता मंदिर के आसपास के प्रमुख पर्यटक स्थल:

यदि आप राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थल चितौड़गढ़ में कालिका माता मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो हम आपको अवगत करा दे की चितौड़गढ़ में कालिका माता मंदिर, के अलावा भी प्रसिद्ध किले, धार्मिक स्थल, पार्क व अन्य पर्यटक स्थल मोजूद है, जिन्हें आप अपनी कालिका माता मंदिर चितौड़गढ़ की यात्रा के दोरान घूम सकते हैं-

चित्तौड़गढ़ दुर्ग, विजय स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ, महा सती, गौमुख कुंड, राणा कुंभा पैलेस, मेनाल शिव मंदिर, रतन सिंह पैलेस, फतेह प्रकाश पैलेस, पद्मिनी पैलेस चित्तौड़गढ़, श्यामा मंदिर, शतीस देओरी मंदिर, सांवरियाजी मंदिर, मीरा मंदिर, भैंसरगढ़, वन्यजीव अभयारण्य बस्सी वन्यजीव अभयारण्य कालिका माता मंदिर।
अगर आप कालिका माता मंदिर चितौड़गढ़ घूमने जाने की योजना बना रहें हैं तो आपको बता दें आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग से यात्रा करके कालिका माता मंदिर चितौड़गढ़ पहुंच सकते है।

भद्र अर्थात् अच्छा या सभ्य या सज्जन । भद्रकाली अर्थात् काली माता का ऐसा स्वरूप जो सौम्य है, सरल है,जो पूर्ण सात्विक है । इससे पूर्व में आपने माता काली के रौद्र स्वरूप गुह्याकाली व कामकलाकाली के विषय में पढ़ा । अब यहाँ माँ काली के अति सौम्य माँ भद्रकाली की स्तुति दिया जा रहा है। इस स्तुति से साधक बड़ी आसानी से माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। किसी भी स्तुति या पाठ को यदि समझते हुए किया जाय तो शीघ्रता से लाभ होता है अतः पाठकों के लाभार्थ यहाँ हिन्दी भावार्थ सहित भद्रकाली स्तुति दिया जा रहा है।

कालिका माता भद्रकाली स्तुति:

||अथ भद्रकाली स्तुति ||

ब्रह्मविष्णु ऊचतुः –

नमामि त्वां विश्वकर्त्रीं परेशीं

नित्यामाद्यां सत्यविज्ञानरूपाम् ।

वाचातीतां निर्गुणां चातिसूक्ष्मां

ज्ञानातीतां शुद्धविज्ञानगम्याम् ॥ १॥

ब्रह्मा और विष्णु बोले :–

सर्वसृष्टिकारिणी, परमेश्वरी, सत्यविज्ञान- रूपा, नित्या, आद्याशक्ति ! आपको हम प्रणाम करते हैं। आप वाणी से परे हैं, निर्गुण और अति सूक्ष्म हैं, ज्ञान से परे और शुद्ध विज्ञान से प्राप्य हैं ॥ १॥

पूर्णां शुद्धां विश्वरूपां सुरूपां

देवीं वन्द्यां विश्ववन्द्यामपि त्वाम् ।

सर्वान्तःस्थामुत्तमस्थानसंस्था-

मीडे कालीं विश्वसम्पालयित्रीम् ॥ २॥

आप पूर्णा, शुद्धा, विश्वरूपा, सुरूपा वन्दनीया तथा विश्ववन्द्या हैं । आप सबके अन्तःकरण में वास करती हैं एवं सारे संसार का पालन करती हैं । दिव्य स्थाननिवासिनी आप भगवती महाकाली को हमारा प्रणाम है ॥ २॥

मायातीतां मायिनीं वापि मायां

भीमां श्यामां भीमनेत्रां सुरेशीम् ।

विद्यां सिद्धां सर्वभूताशयस्था-

मीडे कालीं विश्वसंहारकर्त्रीम् ॥ ३॥

महामायास्वरूपा आप मायामयी तथा माया से अतीत हैं, आप भीषण, श्यामवर्णवाली, भयंकर नेत्रों वाली परमेश्वरी हैं । आप सिद्धियों से सम्पन्न, विद्यास्वरूपा, समस्त प्राणियों के हृदयप्रदेश में निवास करनेवाली तथा सृष्टि का संहार करनेवाली हैं, आप महाकाली को हमारा नमस्कार है ॥ ३॥

नो ते रूपं वेत्ति शीलं न धाम

नो वा ध्यानं नापि मन्त्रं महेशि ।

सत्तारूपे त्वां प्रपद्ये शरण्ये

विश्वाराध्ये सर्वलोकैकहेतुम् ॥ ४॥

महेश्वरी ! हम आपके रूप, शील, दिव्य धाम, ध्यान अथवा मन्त्र को नहीं जानते । शरण्ये ! विश्वाराध्ये! हम सारी सृष्टि की कारणभूता और सत्तास्वरूपा आपकी शरण में हैं ॥ ४॥

द्यौस्ते शीर्षं नाभिदेशो नभश्च

चक्षूंषि ते चन्द्रसूर्यानलास्ते ।

उन्मेषास्ते सुप्रबोधो दिवा च

रात्रिर्मातश्चक्षुषोस्ते निमेषम् ॥ ५॥

मातः ! द्युलोक आपके सिर है, नभोमण्डल आपका नाभिप्रदेश है । चन्द्र, सूर्य और अग्नि आपके त्रिनेत्र हैं, आपका जगना ही सृष्टि के लिये दिन और जागरण का हेतु है और आपका आँखें मूँद लेना ही सृष्टिके लिये रात्रि है ॥ ५॥

वाक्यं देवा भूमिरेषा नितम्बं

पादौ गुल्फं जानुजङ्घस्त्वधस्ते ।

प्रीतिर्धर्मोऽधर्मकार्यं हि कोपः

सृष्टिर्बोधः संहृतिस्ते तु निद्रा ॥ ६॥

देवता आपकी वाणि हैं, यह पृथ्वी आपका नितम्बप्रदेश तथा पाताल आदि नीचे के भाग आपके जङ्घा, जानु, गुल्फ और चरण हैं । धर्म आपकी प्रसन्नता और अधर्मकार्य आपके कोप के लिये है । आपका जागारण ही इस संसार की सृष्टि है और आपकी निद्रा ही इसका प्रलय है ॥ ६॥

अग्निर्जिह्वा ब्राह्मणास्ते मुखाब्जं

सन्ध्ये द्वे ते भ्रूयुगं विश्वमूर्तिः ।

श्वासो वायुर्बाहवो लोकपालाः

क्रीडा सृष्टिः संस्थितिः संहृतिस्ते ॥ ७॥

अग्नि आपकी जिह्वा है, ब्राह्मण आपके मुखकमल हैं । दोनों सन्ध्याएँ आपकी दोनों भ्रूकुटियाँ हैं, आप विश्वरूपा हैं, वायु आपका श्वास है, लोकपाल आपके बाहु हैं और इस संसार की सृष्टि, स्थिति तथा संहार आपकी लीला है ॥ ७॥

एवंभूतां देवि विश्वात्मिकां त्वां

कालीं वन्दे ब्रह्मविद्यास्वरूपाम् ।

मातः पूर्णे ब्रह्मविज्ञानगम्ये

दुर्गेऽपारे साररूपे प्रसीद ॥ ८॥

पूर्णे! ऐसी सर्वस्वरूपा आप महाकाली को हमारा प्रणाम है । आप ब्रह्मविद्यास्वरूपा हैं । ब्रह्मविज्ञान से ही आपकी प्राप्ति सम्भव है । सर्वसाररूपा, अनन्तस्वरूपिणी माता दुर्गे! आप हम पर प्रसन्न हों ॥ ८॥

इति श्रीमहाभागवते महापुराणे ब्रह्मविष्णुकृता भद्रकालीस्तुतिः सम्पूर्णा ।

इस प्रकार श्रीमहाभागवतपुराण के अन्तर्गत ब्रह्मा और विष्णु द्वारा की गयी भद्रकाली स्तुति सम्पूर्ण हुई!

कामकलाकाली संजीवन गद्य स्तोत्रम् || श्री काली ताण्डव स्तोत्रम् ||

पता :

कालिका माता मन्दिर, चितौड़गढ़-फोर्ट, चितौड़गढ़, राजस्थान, पिनकोड : 312001 भारत।

फ्लाइट से कालिका माता मन्दिर चित्तौड़गढ़ कैसे पहुँचे

यदि आप चितौड़गढ़ के कालिका माता मंदिर फ्लाइट से जाना की योजना बना रहे है तो हम आपको बता दे चित्तौड़गढ़ शहर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा डबोक हवाई अड्डा उदयपुर है जो चितौड़गढ़ से लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित है। तो आप फ्लाइट से यात्रा करके उदयपुर हवाई अड्डा पहुंच सकते है और हवाई अड्डे से चित्तौड़गढ़ जाने के लिए बस, टैक्सी या कैब किराये पर ले सकते हैं ।

ट्रेन से कालिका माता मन्दिर चित्तौड़गढ़ कैसे पहुँचे

अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ ट्रेन से यात्रा करके कालिका माता मन्दिर चित्तौड़गढ़ जाना चाहते है तो हम आपको बता दे चित्तौड़गढ़ का अपना घरेलू रेलवे जंक्शन है, जो कालिका माता मन्दिर से लगभग 8.0 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह रेलवे जंक्शन चित्तौड़गढ़, को राज्य के और भारत के प्रमुख शहरों से जोड़ता है। जो दक्षिणी राजस्थान के सबसे बड़े रेलवे जंक्शनों में से एक है। चित्तौड़गढ़ रेलवे जंक्शन पहुचने के बाद आप यहाँ से ऑटो, टैक्सी या स्थानीय वाहनों के माध्यम से कालिका माता मन्दिर पहुंच सकते है।

सड़क मार्ग से कालिका माता मन्दिर चित्तौड़गढ़ कैसे पहुँचे

आप ISBT इन्टर स्टेट बस टर्मिनल द्वारा बस अथवा अपनी कार से ६१९.९ किलोमीटर की दूरी तय करके वाया ÑH-4 मार्ग से से, आसानी से 9 घण्टा 36 मिन्ट्स में पहुँच जाओगे कालिका माता मन्दिर।

चित्तौड़गढ़ राजस्थान के प्रमुख शहरों जैसे उदयपुर, जयपुर, जोधपुर आदि और देश के राज्यों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से कालिका मंदिर चित्तौड़गढ़ की यात्रा करना एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। राजस्थान के प्रमुख शहरो से चितौड़गढ़ के लिए नियमित बस सेवा भी उपलब्ध है तो आप अपनी निजी कार, टैक्सी या डीलक्स बसें, एसी कोच और राज्य द्वारा संचालित बसों के माध्यम से कालिका मंदिर चितौड़गढ़ की यात्रा कर सकते हैं।

कालिका माताजी की जय हो। जयघोष हो।।

5 thoughts on “कालिका माता मन्दिर, चितौड़गढ़-फोर्ट, चितौड़गढ़, राजस्थान भाग : ४६९ ,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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