@ नई दिल्ली
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कल विश्व जल दिवस- 2022 के अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय के पेय जल तथा स्वच्छता विभाग द्वारा वर्चुअल रूप से आयोजित कार्यक्रम में धूसर जल प्रबंधन के लिए सुजलाम 2.0 अभियान लॉन्च किया।
नौ मंत्रालयों- जल शक्ति मंत्रालय ग्रामीण विकास मंत्रालय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय युवा कार्य तथा खेल मंत्रालय जनजातीय मंत्रालय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय- ने एक संयुक्त परामर्श पर हस्ताक्षर किए जिसके अंतर्गत कार्यक्रम क्रियान्वयन से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के साथ तालमेल के आधार पर धूसर जल प्रबंधन अपने-अपने स्तर पर प्रारंभ करेंगे।
उन्होंने कहा कि धूसर जल का बेहतर प्रबंधन उसी स्थान पर किया जा सकता है जहां से यह उत्पन्न होता है और यदि यह एकत्रित होता है और रुका रहता है तो इसे बड़े प्रबंधन और अवसंरचना चुनौती में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे पीआरआई घर और सामुदायिक सूखने वाले गड्ढे़ बना कर सर्वाधिक उचित स्तर पर धूसर जल प्रबंधन सुनिश्चित करेंगे।
पेयजल तथा स्वच्छता विभाग की सचिव मती विनी महाजन ने भारतीय संदर्भ के बारे में कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमें नौ मंत्रालयों का समर्थन मिला है क्योंकि बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन के साथ प्रत्येक व्यक्ति जल के महत्व और उस पर दबाव को महसूस करता है। अगस्त 2019 में जल मिशन लॉन्च किए जाने के बाद से इसके अंतर्गत 6 करोड़ नल से पानी के क्नेक्शन दिए गए हैं।
जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन विभाग के सचिव पंकज कुमार ने कहा कि भू-जल जलाशय के रूप में काम करता है जिसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर किया जा सकता है। लेकिन इसे नियमित अंतराल पर भरने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान जल संकट का सामना कर रहे जिलों को कवर करने के लिए 2019 में लॉन्च किया गया था। उन्होंने कहा कि ग्रामीण घरों से निकलने वाले धूसर जल का उचित प्रबंधन करना होगा अन्यथा इससे बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
बरोका ने बताया कि विभाग द्वारा धूसर जल प्रबंधन पर तकनीकी मैन्यूअल विकसित किए गए हैं जिससे धूसर प्रबंधन के लिए टेक्नोलॉजी पर ग्रामीण स्थानीय निकायों को मदद मिलेगी। ये हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है और राज्य तथा जिला प्रशासन को भी उपलब्ध कराए गए हैं। धूसर जल मूल रूप से वह जल है जो रसोई स्नानघर और साफ-सफाई जैसे घरेलू कामों में उपयोग किया जाता है। धूसर जल गंदगीमुक्त होता है और इसमें शौचालयों से निकला काला जल शामिल नहीं होता। उन्होंने सभी से सुजलाम 2.0 अभियान में शामिल होने और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी धूसर जल प्रबंधन लक्ष्य सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
अंत में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पटौरा पंजाब के गुरदासपुर जिले के धियानपुर उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के जलबपुर तथा मेघालय के पूर्वी खासी पहाड़ियों के पोम्लाहीर गांव के सरपंच के साथ बातचीत की गई। इन लोगों ने बताया कि किस तरह धूसर जल प्रबंधन से जीवन स्थिति में सुधार आया है और भू-जल स्तर को रि-चार्ज करने में मदद मिली है।