माता करणी देवी मन्दिर, बीकानेर,राजस्थान भाग : ४५८
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा, भारत के धार्मिक स्थल : शिर्डी वाले साईं बाबा मन्दिर। प्रो० रामनाथ विज मार्ग, सेंट्रल रिज रोड़, नई दिल्ली। यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप कृप्या करके प्रजाटूडे की वेबसाइट पर जाकर www.prajatoday.com पर जाकर धर्मसाहित्य पृष्ठ पर जा कर पढ़ सकते हैं:
माता करणी देवी मन्दिर, बीकानेर,राजस्थान। भाग : ४५८
करणी देवी माता का मन्दिर
25000 चूहों के कारण मशहूर है बीकानेर का ये मन्दिर, चूहों को मारने पर मिलती है सज़ा।बीकानेर-राजस्थान में करणी माता का मन्दिर। चूहों के कारण काफी लोकप्रिय है। इन काले और सफेद चूहों को माता की संतान माना जाता है, इसलिए भक्तों को चूहों का झूठा प्रसाद दिया जाता है।
बीकानेर में करणी माता मन्दिर पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है। यह मन्दिर करणी माता को समर्पित है। यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि करणी माता लोगों की रक्षा करने वाली देवी दुर्गा का अवतार हैं। करणी माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थीं। एक तपस्वी का जीवन जीते हुए, यहां रहने वाले लोगों के बीच वह पूजी जाते थीं। जोधपुर और बीकानेर के महाराजाओं से अनुरोध प्राप्त करने के बाद, उन्होंने मेहरानगढ़ और बीकानेर किलों की आधारशिला भी रखी। हालांकि उन्हें समर्पित कई मन्दिर हैं, लेकिन बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर देशनोक शहर में स्थित इस मन्दिर की सबसे ज्यादा मान्यता है।
मन्दिर की वास्तुकला –
करणी माता मन्दिर का निर्माण 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा किया गया था। मंदिर की पूरी संरचना संगमरमर से बनी है और इसकी वास्तुकला मुगल शैली से मिलती जुलती है। बीकानेर की करणी माता की मूर्ति मंदिर के अंदर गर्भगृह के भीतर विराजमान है, जिसमें वह एक हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए हैं। देवी की मूर्ति के साथ उनकी बहनों की मूर्ति भी दोनों ओर है।
प्रसाद में दी जाती है चूहों की जूठन –
बीकानेर में करणी माता मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए ही लोकप्रिय नहीं है, बल्कि यह वृंदावन में नहीं हिमाचल में है दुनिया का सबसे ऊंचा श्री कृष्ण मंदिर, यहां जाने से चमक जाती है लोगों की किस्मत 25,000 से ज्यादा चूहों का घर है, जिन्हें अक्सर ही यहां घूमते देखा जाता है। आमतौर पर कोई भी चूहों की झूठी चीज खाने के बजाय फेंक देता है, लेकिन यहां पर भक्तों को चूहों का झूठा प्रसाद ही दिया जाता है। यह इस मंदिर की पवित्र प्रथा है। यही वजह है कि भारत और विदेशों के विभिन्न कोनों से लोग इस अद्भुत नजारे को देखने आते हैं।
चूहों को मारना है महापाप –
इतना ही नहीं चूहों के लिए दूध, मिठाई और अन्य प्रसाद भी लाते हैं। सभी चूहों में से, सफेद चूहों को खासतौर से पवित्र माना जाता है क्योंकि उन्हें करणी माता और उनके पुत्रों का अवतार माना जाता है। हालांकि, गलती से भी चूहे को चोट पहुंचाना या मारना इस मंदिर में एक गंभीर पाप है। इस अपराध को अंजाम देने वाले लोगों को तपस्या के तौर पर मरे हुए चूहे को सोने से बने चूहे से बदलना होता है। इसलिए यहां लोग पैर उठाकर चलने के बजाय घसीटकर चलते हैं, ताकि कोई चूहा पैरों के नीचे ना आ जाए। इसे अशुभ माना जाता है।
800 साल पुराने इस मंदिर की सीढ़ियों को छूने पर निकलती है संगीत की धुन, भगवान शिव के भक्तों को एक बार जरूर जाना चाहिए यहां करणी देवी माता के दरबार।
करणी माता की कहानी –
रीति-रिवाजों के अलावा, करणी माता मंदिर से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां भी हैं। इन कहानियों में सबसे प्रचलित करणी माता के सौतेले पुत्र लक्ष्मण की कहानी है। एक दिन कोलायत तहसील में कपिल सरोवर से पानी पीने की कोशिश करते समय लक्ष्मण उसमें डूब जाते हैं। अपने नुकसान से दुखी, करणी माता ने देवता यम से काफी प्रार्थना की। यमराज को विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनजीर्वित करना पड़ा।
मंगला आरती में बिल से बाहर आ जाते हैं चूहे –
इन चूहों की विशेषता यह भी है कि सुबह पांच मंदिर में होने वाली मंगला आरती और सांध्य आरती के समय चूहे अपने बिलों से निकलकर बाहर आ जाते हैं।
साल में दो बार लगता है भव्य मेला –
करणी माता नैनीताल का नैना देवी मंदिर क्यों है देशभर में इतना खास, जहां यामी गौतम और आदित्य धर भी पहुंच गए दर्शन में पुजारियों द्वारा मंगला की आरती की जाती है। मंदिर में आने वाले भक्त देवी और चूहों को प्रसाद भी चढ़ाते हैं। इसके अलावा, बीकानेर में करणी माता मंदिर में नवरात्रि में लगने वाला मेला बड़ा मशहूर है। यह मेला साल में मार्च से अप्रैल के बीच और सितंबर से अक्टूबर के बीच लगता है। इन मेलों के दौरान हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है। खास बात है कि इस प्रसाद को खाने के बाद अब तक किसी के बीमार होने की खबर नहीं मिली है। भारत की इन जगहों पर है शिव के सबसे बड़े भक्त नंदी की मूर्ती, आप भी आकार देख हो जाएंगे हैरान।
पता :
माता करणी देवी मन्दिर, बीकानेर, राजस्थान।पिनकोड : भारत।
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :
हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा फ्लाइट से – बीकानेर से सबसे पास में जोधपुर एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी यहां से 220 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से करणी माता मंदिर के लिए टैक्सी बुक कर सकते हैं। आप तकरीबन चार घण्टे में पहुँच जाओगे माता करणी देवी मन्दिर।
रेल मार्ग से कैसे पहुँचें :
ट्रेन से – यहां से सबसे पास रेलवे स्टेशन लगभग 30 किलोमीटर दूर बीकानेर है। यह दिल्ली, कोलकाता, आगरा, जयपुर, इलाहाबाद आदि शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शानदार ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ राजस्थान के अपने आठ दिन की विजिट में बीकानेर को भी कवर करती है। स्टेशन पर पहुंचकर करणी माता मंदिर के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट आसानी से मिल जाता है।आप कैब द्वारा पहुंच जाओगे माता करणी देवी मन्दिर।
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :
आप ISBT इन्टर स्टेट बस टर्मिनल द्वारा बस अथवा अपनी कार से ४६३.२ किलोमीटर की दूरी तय करके वाया नैशनल हाइवे NH ११ मार्ग से आसानी से ८ घण्टे ४० मिनट्स में पहुँच जाओगे माता करणी देवी मन्दिर।
माता करणी देवी की जय हो। जयघोष हो।।
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