


चौरागढ़ मन्दिर के रास्ते में एक गुफा देखने मिलेगी :
मान्यतानुसार सीता जी, अपने वनवास काल के दौरान इस गुफा में ठहरी थी, यह गुफा सीता जी के नाम पर रखी गई है! यहां पर आपको इस गुफा के पास से ही चौरागढ़ मन्दिर तक जाने के लिए दो रास्ते मिलेंगे एक रास्ता पक्का मिलेगा और एक रास्ता जंगल वाला मिलेगा जो छोटा है आप वहां से भी चौरागढ़ मन्दिर तक जा सकते हैं, वैसे मुझे लगता है कि दोनों रास्ते की दूरी समान ही होगी! लोग पक्के रास्ते से चौरागढ़ मन्दिर तक जाते हैं और आपको भी यही रास्ता लेना चाहिए, आप पक्के रास्ते से जाएं क्योंकि इस रास्ते में आपको किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी और आप आराम से जा सकते हैं और जो जंगल वाला रास्ता है जो शॉर्टकट रास्ता है उससे आपको शायद दिक्कत हो सकती है क्योंकि वह रास्ता पूरी तरह से उबड़ खाबड़ हो सकता है। आपको जैसे जैसे उपर चढाते है आपको पहाडियो को खूबसूरत व्यू देखने मिलता है और चारों तरफ हरियाली देखने मिलती है। यहां पर आपको बहुत सारे बंदर भी देखने मिल जाएंगे बंदरों को अब किसी भी तरह का खाना ना डालिए और खाने का सामान हाथ पर लेकर न चलें नहीं तो बंदर आपके हाथ से छीन सकते है।
महादेव मन्दिर का विवरण :
यह मन्दिर बहुत अच्छी तरह से बन गया है और यहां पर आपको आकर बहुत अच्छा लगेगा! यहां पर पानी की व्यवस्था है आप थोड़ा देर आराम करके पानी पीकर भगवान जी के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं और यहां पर आप नीचे चप्पल उतार कर फिर भगवान जी के दर्शन करने जा सकते हैं! यहां पर शिव भगवान की जो प्रतिमा है वह बहुत आकर्षक है और आपको बहुत खूबसूरत लगेगी और लोग इतनी दूर दूर से भगवान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं और इस प्रतिमा में कहा जाए तो एक प्रकार का जादू है आप इस प्रतिमा को देखते रह जाएंगे! यहां पर आपको अच्छा लगेगा के प्रतिमा के दर्शन करने के बाद बाहर आते हैं तो आपको गणेश जी का मंदिर देखने मिलेगा आप गणेश जी के दर्शन कर सकते हैं उन्हें प्रसाद चढ़ा सकते हैं! उसके बाद आप मंदिर के सामने तरफ आएंगे तो सामने भी आपको शंकर जी और भी अन्य देवी -देवताओं के दर्शन करने मिल जाएंगे जिनकी प्रतिमा मंदिर के बाहर रखी गई है! आप यहां पर त्रिशूल देख सकते हैं, यहां पर ढेर सारे त्रिशूल रखे गए हैं! इतने सारे और बहुत वज़नी त्रिशूल यहां पर देखने मिलतेे है!-त्रिशूल से आड़ बनाई गई थी, मगर अभी पूरी तरह से कवर कर दिया गया है! आपको यहां से चारों तरफ का खूबसूरत व्यू देखने मिलता है जो एकदम अनोखा रहता है आप शायद इस तरह कभी ना देखे हो और शायद देखे भी हो मगर इसके बारे शब्दों में नहीं बताया जा सकता है! आपको मन्दिर के बाहर ही अगरबत्ती जलाने मिलेगी और आप बाहर ही नारियल फोड़ सकते हैं, आप अंदर जाकर सिर्फ भगवान जी के दर्शन कर सकते हैं। शिव भगवान जी के और दर्शन करके आपको बाहर आना पड़ेगा । यहां पर आप खूबसूरत वदियों के परिदृश्य अपने मोबाइल में कैद भी कर सकते है! आपको यह लगता है कि जो बादल है वह आपके पास ही से उड रहे हो! यहां पर जो बरसात का मौसम रहता उस टाइम भी अच्छा लगता है वैसे गर्मी के मौसम में भी यहां अच्छा लगता है, क्योंकि यहां पर चारों तरफ हरियाली रहती है! यहां के जो पेड़ पौधे रहते हैं वह गर्मी के मौसम में भी हरे भरे रहते हैं! इस जगह पर आकर आपकी थकावट दूर हो जाती है, जो इतनी दूर से आप चल कर आते हैं! वह थकावट आपकी इस जगह पर आकर पूरी तरह चली जाती है!
अब यहां मंदिर बहुत अच्छा बन गया है! इस शिवालय में करीब २७ वर्ष पहले गए थे तब यहां पर मेरे सँग श्री माईक शोरिंग और उनकी पत्नी आआई थीँ, यह इन कस्टडी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान हुआ! यहां पर शिवशँकर भगवान की मूर्ति खुले में ही रखी हुई थी और त्रिशूल से मन्दिर के चारों तरफ त्रिशूली-दीवार बनाई हुई थी!
नाग मन्त्र :-
ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्!
जो लोग इस मन्त्र का जप करते हैं उनके आस-पास भी विषैले जीव नहीं होते हैं! अगर हर दिन इस मन्त्र का जप नहीं कर सकते तो कम से कम नाग-पँचमी को नाग देवता की पूजा करते हुए इस मन्त्र को जपना चाहिए! इस मन्त्र में अतुलनीय अक्षुण्ण शक्ति मानी गई है! सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की पँचमी को भारतवर्ष देश में नागपँचमी का त्योहार मनाया जाता है। बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में इस दिन से नवविवाहिता कन्याएं १५ दिनों का नागपूजन करती हैं जिसका समापन कृष्ण पक्ष की पँचमी पर होता है! सावन के कृष्ण पक्ष के दिन भी देश के कई भागों में नागपँचमी का त्योहार मनाया जाता है! पुराण में नागपूजन की परम्परा विधि और इससे धार्मिक, आत्मिक और आर्थिक लाभ का भी ज़िक्र किया गया है! नागपँचमी के दिन ही ब्रह्माजी ने नागों को जनमेजय के नाग यज्ञ से रक्षा का उपाय बताया था! इसी दिन जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने नागों को भस्म होने से भी बचाया था! इसलिए नागपँचमी नागलोक और पृथ्वीलोक का बड़ा त्योहार माना जाता है! इसदिन नागलोक में भी उत्सव मनाया जाता है, ऐसा धर्मग्रंथों में बताया गया है!
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :
हवाई मार्ग से: भोपाल स्थित हवाई अड्डा या जबलपुर हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है! मध्यप्रदेश के हवाई अड्डा दैनिक उड़ानों के साथ दिल्ली और दुनियाँ से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं! हवाई अड्डे के साथ मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है! हवाई अड्डे से महादेव मन्दिर के लिए टैक्सी उपलब्ध हैं!
रेल मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :
रेल द्वारा आप नई दिल्ली से मध्यप्रदेश के लिए लोकप्रिय ट्रेन लेकर पिपरिया रेलवे स्टेशन से कैब द्वारा बस या टैम्पो द्वारा जा सकते हैं महादेव मन्दिर पँचमणि मध्यप्रदेश पहुँच जाओगे!
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :
अंतर्देशीय बस स्थानक यानी ISBT से आप तक़रीबन १६ घण्टे २७ मिनट्स में आप राष्ट्रीय राजमार्ग NH: ४४ से ९०८.४ किलोमीटर की यात्रा तय करके बस अथवा स्वयँ की कार द्वारा महादेव मन्दिर पँचमणि पहुँच जाओगे! पँचमणि बस स्थानक से लगभग १४ किलोमीटर दूर है महादेव शिवालय! महादेव मन्दिर जाने के लिए पहले पँचमणि से १० किलोमीटर का मार्ग वाहन से और ३ किलोमीटर का पैदल मार्ग तय करने के बाद १३०० सीढ़ियों का सफ़र महादेव मन्दिर जाकर ही समाप्त होता है! ॐ नमः शिवाय! शिवजी सदा सहाय!!
देवाधिदेव महादेव की जय हो! जयघोष हो!!