महिला-बाल विकास और अमेरिकन इण्डिया फाउण्डेशन के बीच एमओयू हस्ताक्षरित

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@ भोपाल मध्यप्रदेश

महिला-बाल विकास विभाग प्रदेश में कुपोषण के स्तर को समाप्त करने के लिये लगातार प्रयासरत है। साथ ही सुपोषित मध्यप्रदेश के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये कई नवाचार कर रहा है। इसी कड़ी में गुरूवार को राज्य सरकार और अमेरिकन इण्डिया फाउण्डेशन (एआईएफ) के मध्य प्रोजेक्ट “समग्र” के क्रियान्वयन के लिये एमओयू हुआ। अपर मुख्य सचिव महिला-बाल विकास अशोक शाह की उपस्थिति में संचालक महिला-बाल विकास डॉ. राम राव भोंसले और निदेशक पब्लिक हेल्थ अमेरिकन इण्डिया फाउण्डेशन डॉ. महेश वास ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये।

अपर मुख्य सचिव अशोक शाह ने कहा कि प्रदेश में कुपोषण को जड़ से खत्म करना हमारी प्राथमिकता है। प्रोजेक्ट समग्र का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर में सुधार, सीखने की क्षमता में वृद्धि तथा महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी आय में वृद्धि के अवसर बनाना है।

संचालक महिला-बाल विकास डॉ. भोंसले ने बताया कि प्रोजेक्ट समग्र में विदिशा जिले के ग्यारसपुर ब्लॉक में जीरो से 6 वर्ष के लगभग 10 हजार बच्चों को लाभान्वित किया जा रहा है। यह पायलेट प्रोजेक्ट ग्यारसपुर ब्लॉक की 229 आँगनवाड़ी, 184 स्व-सहायता समूह और 112 एसएचजी रसोई तक पहुँचेगा। उन्होंने बताया कि अमेरिकन इण्डिया फाउण्डेशन प्रोजेक्ट समग्र से आँगनवाड़ी केन्द्रों में 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये टीएचआर और पका हुआ गर्म भोजन, बीमार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण घर आधारित देखभाल और पोषण परामर्श प्रदान करने के लिये फ्रंटलाइन और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कौशलवर्धन करेगा। इसके अतिरिक्त गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के समय पर रेफरल के लिये लिंकेज को मजबूत करने और 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिये स्कूल की तैयारी सुनिश्चित करने के साथ ही आँगनवाड़ी केन्द्रों को आवश्यकता आधारित शिक्षण सामग्री प्रदान करने संबंधी कार्य भी करेगा।

एआईएफ के कंट्री डायरेक्टर मेथ्यू जोसेफ ने कहा कि मध्यप्रदेश में महिला-बाल विकास विभाग के साथ इस साझेदारी से महिलाओं, बच्चों और युवाओं पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। साथ ही हमारा उद्देश्य समुदाय स्तर पर सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिये शासकीय योजनाओं की विशेषता और नवाचार का लाभ भी उठाना है। जोसेफ ने कहा कि प्रोजेक्ट समग्र की सफलता का आकलन करने के लिये एण्ड लाइन सर्वे करवाकर तथा प्रगति का नियमित मूल्यांकन और आवधिक प्रक्रिया प्रतिवेदन तैयार कर समय-समय पर राज्य के साथ साझा किया जायेगा।

 

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