नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब,जी० टी० करनाल रोड, दिल्ली। भाग : ४६०,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब, जी० टी० करनाल रोड, दिल्ली। भाग : ४६०

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा, भारत के धार्मिक स्थल : शनी देव मन्दिर, उदयपुर मार्ग, सेंथी, बापू नगर, चितौड़गढ़, राजस्थान। यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप कृप्या करके प्रजाटूडे की वेबसाइट पर जाकर www.prajatoday.com पर जाकर धर्मसाहित्य पृष्ठ पर जा कर पढ़ सकते हैं:

नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब, जी० टी० करनाल रोड, दिल्ली। भाग : ४६०

सिख धर्म के व्याख्यानकर्ता महान उपदेशक व देश विदेश में ख्याति प्राप्त सुरीले किरतनीए भाईसाहब भाई बक्शीश सिंह जी “बंदा” जी से इस रविवार को किस गुरुद्वारे का उल्लेख किया जाना चाहिए पूछने पर :इस प्रश्न के उत्तर में बंदा जी ने फरमाया: रोहिणी से जब आप जी०टी०करनाल रोड़ पर जाते हैं तो सामने ही आप देखोगे गुरुद्वारा साहिब नानक प्याऊ है। मैने पुनः प्रश्न किया क्या आप अपने जत्थे के साथ वहां कीर्तन प्रवचन कर चुके हो? बंदा जी ने कहा अनेक बार…यह सौभाग्य प्राप्त हो चुका है भाई बक्शीश सिंह बंदाजी ने
फरमाया:

नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब भारत के उत्तरी दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा साहिब पहले सिख गुरु श्री गुरु नानक देव जी को समर्पित है। गुरुद्वारा नानक प्याऊ उस स्थान पर बनाया गया था, जहां गुरु नानक देव जी ने सुल्तान सिकंदर लोदी के शासनकाल के दौरान 1505 में दिल्ली का दौरा किया था। यह राणा प्रताप रोड (ग्रैंड ट्रंक रोड या जीटी रोड के रूप में भी जाना जाता है) पर है। ऐसा कहा जाता है कि लोग श्रद्धेय पैगंबर के पास आते थे और उन्हें और भाई मरदाना को कीमती उपहार और प्रसाद चढ़ाते थे। गुरु नानक देव जी इन सभी प्रसाद को गरीबों और जरूरतमंदों को वितरित कर देते थे। इसके अलावा वे भूखे- प्यासे लोगों को भोजन और पानी पिलाते थे, इसलिए इस तीर्थ का नाम पड़ा। “प्याऊ” शब्द का अर्थ “पीने ​​के लिए तरल की पेशकश” है और इस तीर्थस्थल पर आने वाले सभी प्यासों को पानी की पेशकश को संदर्भित करता है।

गुरुद्वारा नानक प्याऊ, आज भी, गुरु द्वारा उपयोग किया जाने वाला कुआँ संरक्षित है। गुरुद्वारा नानक प्याऊ साहिब दिल्ली में स्थित एक ऐसा ऐतिहासिक गुरुद्वारा है जिसे सिख धर्म के पहले गुरु, प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी महाराज के नाम से जाना जाता है। श्री गुरु नानक देव जी महाराज के समय- काल से ही एक कुआँ है, जिसका जल आज भी किया जा सकता है यह कुआँ इस गुरुद्वारे में स्थित है जहां पर सभी आए श्रद्धालु भक्तों आज भी इस गुरुद्वारा साहिब के एतिहासिक जल को अमृत के रूप में मान कर अपने आपको भाग्यशाली मानते हैं।

गुरुद्वारा नानक प्याऊ साहिब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस गुरुद्वारे का पूरा प्रबंध करती है तथा दि०सि०गु०प्र ० कमेटी द्वारा होने के कारण यहां पर सारा दिन सिख- संगत व श्रद्धालुजन व देश विदेशों से श्रद्धालु आकर यहां पर दर्शन करते हैं और यह लंगर लगातार सारा दिन चलता रहता है और रात के 9:00 बजे तक इस गुरुद्वारा साहिब में कीर्तन होता है। इसके साथ-साथ इस गुरुद्वारा साहिब में सारा दिन गुरु का लंगर भी चलता है। इस गुरुद्वारा साहिब में गुरुद्वारा साहिब की बिल्डिंग के पीछे सरोवर भी है और यहां का बहुत खूबसूरत नजारा देखने योग्य है। गुरुद्वारा साहिब का बाहर का दृश्य उसका इसका गुम्मत सफेद रंग का है। यह गुरुद्वारा इतना सुंदर है कि पूर्णमासी की रात में, चांद की रोशनी में, जब श्रद्धा से इस गुरुद्वारा साहब को बाहर से देखते हैं तो सफेद रंग का यह गुरुद्वारा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। अपने आप में यह अपनी पेशकश करता है। नजारा दर्शनीय एवम खूबसूरत होता है।

श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर नवंबर की कार्तिक पूर्णिमा को एक महान नगर कीर्तन निकाला जाता है, तो वह नगर कीर्तन गुरुद्वारा साहिब से आरंभ होता है गुरुद्वारा साहिब। नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब के अंदर जहां पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया जाता है वह जहां पर प्रकाश होता है वह पालकी स्वयं में स्वर्ण की है, सोने की बनी हुई पालकी, साल दर साल में आने वाले 10 गुरुओं के गुरु पूर्ब पर कई विशेष कीर्तन दरबार आयोजित किए जाते हैं, जिसमें देश और विदेशों से ज्ञानी गुरु के कथावाचक आकर यहां पर श्री गुरु नानक देव जी की महिमा का गुणगान करते हैं। उनका प्रचार करते हैं। गुरुद्वारा नानक प्याऊ साहिब का हॉल कमरा बहुत ही बड़ा है और ऊंचाई में भी बहुत ऊंचा है, हजारों की संख्या में आने वाले श्रद्धालु भक्त बड़े आराम से यहां पर बैठकर गुरबाणी कीर्तन का आनंद मानते हैं और गुरुद्वारे का बहुत बड़ा विशाल हॉल में एसी लगै हुए हैं। इस गुरुद्वारे के हॉल के 4 मुख्य दरवाजे मुख्य द्वार से जाकर श्री गुरु महाराज जी के दर्शन करते हैं और एक द्वार लेफ्ट में एक राइट में और एक पीछे द्वार है। पीछे के द्वार से श्रद्धालु जाकर सरोवर के दर्शन करते हैं।यह गुरुद्वारा दिल्ली में गुजरांवाला टाउन के पास पड़ता है।

श्री गुरु नानक देव जी महाराज ने अपने जीवन काल में चार उदासियां की उदासीनता अर्थ जहां पर यात्रा है और यह यात्रा बहुत लंबी हुआ करती थी अर्थात जगतगुरु पिता श्री गुरु नानक देव जी महाराज ने जब अपनी पहली उदासी की थी वो पंजाब के सुल्तानपुर लोधी से लेकर हरिद्वार तक। तब उस समय मार्ग पर चलते हुए करनाल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत, पानीपत, दिल्ली पहुंचे। जब वह दिल्ली पहुंचे तो पहले के समय यहां पर आए उन्होंने जल वितरण किया एवम स्वयं भी पिया और वह ऐतिहासिक हुआ है। यहां पर आज भी जल के रूप में सिख- संगत श्रद्धालु भक्तजनो के लिए तरोताजा वैसा ही जल निकलता है कि जैसा कि श्री गुरु नानक देव जी के समय में हुआ करता था। कह सकते हैं गुरु के द्वारा यह वही साक्षात जल हुआ है जिसने श्री गुरु नानक देव जी महाराज के दर्शन किए और इस कुएं के पानी को पीने के हित में किस्से कहे जाते हैं। जहां पर पानी पिलाया जाता है क्योंकि यहां पर पानी पिलाया जाता है इसलिए इस स्थान का नाम पड़ गया: नानक प्याऊ गुरुद्वारा। जहां गुरु का स्थान बनाया जाता है उस स्थान के नाम को कहा जाता है गुरुद्वारा। ईस प्रकार इस स्थान का नाम पड़ गया गुरुद्वारा नानक प्याऊ साहिब।

कोई भी उस कुएँ को देख सकता है जहाँ से श्री गुरु नानक देव जी ने तीर्थस्थल पर जल चढ़ाया था। नतीजतन, समय के साथ गुरुद्वारा नानक पियाओ ने एक पवित्र और पूजनीय ऐतिहासिक मंदिर का दर्जा प्राप्त किया। गुरु नानक देव शांति, भाईचारे, अहिंसा और सौहार्द के दूत थे। उनके उपदेशों ने उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए सम्मान के रूप में उनके सामने झुके लोगों पर बहुत उत्थान और स्वस्थ प्रभाव पैदा किया। गुरुद्वारे के आसपास का बगीचा पूरी दिल्ली के लोगों के लिए एक तीर्थ स्थान बन गया। यहीं पर उन्हें आध्यात्मिक मुक्ति का संदेश मिला।

पता :

नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब, NH 1, जी टी करनाल रोड, सुल्तान पूरी, किरपाल बाग, राणा प्रताप बाग, गुजराँ वाला टाउन, दिल्ली, पिनकॉड : 110009 भारत।

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :

हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा फ्लाइट से पालम दिल्ली सबसे पास एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी यहां से २२.४ किलोमीटर है। एयरपोर्ट से श्री गुरुनानक देव जी के एतिहासिक नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब के लिए टैक्‍सी बुक कर सकते हैं। आप तकरीबन ४६ मिनट्स में पहुँच जाओगे श्री गुरुनानक देव जी एतिहासिक नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब।

मेट्रो रेल मार्ग से कैसे पहुँचें :

मेट्रो ट्रेन, यहां से सबसे पास रेलवे स्टेशन मॉडल टाउन है। मॉडल टाउन येलो लाइन पर है। लगभग १६.६ किलोमीटर नजदीकी रेलवे स्टेशन है और गुरु तेग बहादुर नगर है, जो १७ किलोमीटर येलो लाइन पर स्थित है। आजादपुर मेट्रो स्टेशन पिंक लाइन पर स्थित १६.३ किलोमीटर है। आप कैब अथवा ई -रिक्शा द्वारा पहुंच जाओगे श्री गुरु नानक देव जी एतिहासिक नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब।

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :

आप ISBT इन्टर स्टेट बस टर्मिनल द्वारा बस अथवा अपनी कार से १६.५ किलोमीटर की दूरी तय करके वाया GT करनाल मार्ग से आसानी से ०घण्टे २० मिनट्स में पहुँच जाओगे श्री गुरुनानक देव जी एतिहासिक नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब।

श्री गुरु नानक देव जी महाराज की जय हो। जयघोष हो।।

3 thoughts on “नानक प्याऊ गुरुद्वारा साहिब,जी० टी० करनाल रोड, दिल्ली। भाग : ४६०,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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