नारियलवाली अम्बे माता मन्दिर इन्दौर, मध्यप्रदेश भाग : ३८३,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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नारियलवाली अम्बे माता मन्दिर, राजेन्द्र नगर, इन्दौर, मध्यप्रदेश भाग : ३८३

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिकस्थल : श्री शिर्डी वाले साईँ बाबा मन्दिर सेक्टर ४०, नोएडा, उत्तरप्रदेश। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:

नारियलवाली अम्बे माता मन्दिर, राजेन्द्र नगर, इन्दौर, मध्यप्रदेश भाग : ३८३

नारियलवाली माता मन्दिर :

अद्भुत है इस मन्दिर में माँ बहन बेटियों की सूनी गोद भरी जाती है। प्रत्येक मङ्गलवार को सूनी गोदें माँ की कृपा से भरी जाती हैं। जिन भक्तों कक मङ्गलवार के दिन रात्रि नौ बजे माँ की आरती में शामिल होना होता है। बहन बेटियों की सूनी गोद मङ्गलवार दस बजे से साढ़े ग्यारह बजे के मध्य भरी जाती है। हम बात कर रहे हैं दत्त नगर क्षेत्र राजेन्द्र नगर में स्थित है।

चढ़ाए गए नारियल का क्या किया जाता है:

भारत वर्ष में आने वाली तीनों नवरात्रियों में यह नारियल पेड़ से उतार लिए जाते हैं। नारियल इतनीस अधिक मात्रा में हो जाते हैं कि ट्रक में भरा जाता है। इस नारियल को न तो खाया जाता है न ही बेचा जाता है। इन नारियलों को केवल मात्र हवन यज्ञ करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। भक्तगण इसे अम्बा वाली माता जी भी कहते हैं। यहाँ पर कई बेऔलाद बहन बेटियों की सूनी गोद भरी गयी है। इन नारियों का आँकड़ा सात हज़ार से अधिक है।प्रत्येक मङ्गलवार को यहाँ बहन बेटियाँ अपनी सूनी गोद भरवाने के लिए आती हैं।

इन्दौर में वैसे तो कई मंदिर प्रचलित है और इंदौर का इतिहास भी काफी समृद्ध है। इसी कड़ी में अम्बा वाली माता के नाम से जाना जाता है और राजेंद्र नगर में स्थित है, इस मन्दिर के बारे में यह प्रचलित है की यहाँ मन्नत करने के पश्चात सुनी गोद ज़रुर भर जाती है। यहाँ काफी दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते है | यहाँ पर आरती रात के साढ़े दस (१०:३०) बजे होती है और मगलवार की रात्री को विशेष आरती होती है जो रात को १२ (बारह) बजे होती है |

यहाँ एक प्रवेश द्वार बना हुआ है और इससे प्रवेश करते ही दाई और मन्दिर है और बाई और एक बड़ा सा कढ़ाव रखा हुआ है जिसका फोटो पास में ही लगा हुआ है | दाई और प्रवेश करते ही मंदिर अपने अपूर्ण रूप में नजर आता है यह अभी निर्माणाधीन है इसके चारो और नक्काशी किये हुए खम्भे बने हुए है और मन्दिर के भविष्य का माडल भी रखा हुआ है ।

माताजी की मूर्ति के चारों और जाली लगी हुई है यहाँ स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है “महिलाओ का अँदर प्रवेश करना मना है |“ वही चौक में हवनकुण्ड बना हुआ है | जाली से अँदर प्रवेश करते ही आपको मूर्ति के ऊपर नारियलों की बड़ी सी माला बनी हुई नज़र आएगी। यहाँ मङ्गलवार के दिन गोद भराई की रस्म भी की जाती है। यहाँ के नियमानुसार मन्नत माँगने वाले व्यक्ति को आरती में अवश्य आना होता है और मन्दिर की प्ररिक्रमा करनी होती है | और पाँच नारियलों की माला भी अर्पित करना होती है |

यहाँ की माँ की फोटो को आप पास से देख सकते है। यह मन्दिर राजेंद्र नगर में स्थित है यहाँ पहुचने के लिए आपको राजेंद्र नगर आकर दत्त नगर की और जाना होगा वहीँ मोड़ पर आपको दत्त मन्दिर नज़र आएगा, दत्त मन्दिर के पास वाली गली से अँदर जाने के बाद आप दूसरी गली में दाये और मुड़ जाएँ इसी गली में आपको अम्बा वाली माता का मन्दिर बाई और नज़र आ जायेगा!

मन्नत माँगने वालोँ के लिए नियम :

पूजन सामग्री तीन (३) जटा वाले नारियल, पँचमुखीकलावा, तेल, गूग्गल हार फूल, अगरबत्ती लाना होता है। मन्नत माँगने वाले व्यक्ति को पाँच (५) मङ्गलवार आना आवश्यक है। पाँचों मङ्गलवार मन्नत माँगने वाले व्यक्ति को इक्कीस बार परिक्रमा लगाना आवश्यक है। यहाँ प्रत्येक मङ्गलवार को बहु बेटियों की गोद भराई होती है। मन्दिर परिसर में नशा करके आना वर्जित होता है बेशक़ से चरस गाँजा हशीश यानी बिना खुशबू के (ताड़ी शराब पीने से तो दुर्गंध आती है) कोई भी नशा वर्जित होता है। मन्दिर में दान देने पर पावती यानी रसीद अवश्य ले लें।

आरती का समय :

प्रतिदिन रात्रि की आरती साढ़े दस बजे १० : ३० बजे होती है। परन्तु मङ्गलवार की रात्रि आरती बारह बजे १२ बजे होती है।

धर्मशाला की छत पर कबूतर चिड़ियों के लिए ज्वार बाजरा चढ़ाने की भी यथाशक्ति दान देने की परम्परा है।

माँ के आशीष से गोदभराई की रस्म :

१.मन्नत का विशेष दिन मङ्गलवार होता है।

२.पूजा का पंचरंगी धागा सिद्ध-धागा आरती के बाद लाईन लगाकर लेना होता है।

३.जो भी व्यक्ति मन्नत माँगता है मन्नत के धागे को अपनी दाईं भुजा पर बाँधकर उसे पाँच मङ्गलवार माता के दरबार में आकर २१ परिक्रमाएँ लगानी होती हैं।

४.मन्नत माँगने वाले को यह मन्नत लेनी होती है कि मन्नत पूरी होने पर क्या चढ़ाएंगे यह सँकल्प लिया जाता है। जब मन्नत सम्पूर्ण हो जाएगी।

५. मन्नत पूर्ण होने पर जो सँकल्प लिया हो, वह पूरा करना होता है।
यह अनिवार्य है।

६.किसी कारणवश यदि कोई भाई या बहन जिसने मन्नत माँगी हो, उसे मङ्गलवार का उपवास करना होता है। रात्रि १२ बजे के बाद ही भोजन करना होता है।

७.मन्दिर परिसर में रात्रि आरती के पश्चात भोजन वितरित किया जाता है।

बहन बेटियों की सुनी गोद मंगलवार रात्रि १० बजे से ११:३० के मध्य भरी जाती है हम बात कर रहे है दत्त नगर की अम्बा वाली माता के मन्दिर की। जो इन्दौर के राजेंद्र नगर क्षेत्र में स्थित है। साल में आने वाली तीनों नवरात्र के पूर्व सभी नारियलों को पेड़ से उतार लिया जाता हैं।

माँ का होता है कुमकुम से स्नान :

नवरात्रि की अष्टमी को माँ की पूजा आरती भव्यता से की जाती है। यहाँ पर देश विदेश से माता के भक्त गण मन्नत माँगने और माँ के दर्शन करने आते हैं। अष्टमी वाले दिन की पूजा अर्चना को माँ की कुमकुम स्नान भी कहा जाता है। इस दिन माँ अपने भक्तोँ को रात भर दर्शन देती है। माँ को पचरङ्गा धागा बाँधा जाता है।

सन्तान प्राप्ति का माँ का दिव्य मन्त्र :

ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीति मशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।।

निः संतान दंपत्ति चैत्र नवरात्र में माँ दुर्गा के सामने बैठकर उपरोक्त मन्त्र का ५ माला जाप करते हुए संतान प्राप्ति की कामना करें। निश्चित ही देवी दुर्गा की कृपा से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी।

पता :

अम्बा वाली माता मन्दिर, दत्त नगर, राजेन्द्र नगर, इन्दौर, मध्यप्रदेश, भारत। पिनकोड : 452014

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :

इन्दौर के अहिल्या बाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से कैब द्वारा वाया सब्ज़ी मण्डी मैन रोड़ -इन्दौर रोड़ होते हुए आप ०३ किलोमीटर का मार्ग तय करके ०९ मिन्टस में पहुँच जाओगे मन्दिर।

रेल मार्ग से कैसे पहुँचें:

रेल द्वारा इन्दौर जँक्शन उतर कर ५.४ किलोमीटर की यात्रा करके कैब द्वारा २३ मिन्टस में जवाहर लाल मार्ग होते हुए पहुँच जाओगे मन्दिर।

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :

यदि आप दिल्ली के ISBT से बस / बाइक या कार द्वारा NH ४६ से होते हुए ८५७.४ किलोमीटर की दूरी तय करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग से होते हुए १५ घण्टे ४ मिन्ट्स में पहुँच जाओगे मन्दिर।

नारियलवाली अम्बे माता की जय हो। जयघोष हो।।

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