@ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पटना में बिहार विधान सभा के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित किया।प्रधानमंत्री ने शताब्दी स्मृति स्तंभ का अनावरण किया जिसे बिहार विधानसभा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया है। उन्होंने विधानसभा संग्रहालय की आधारशिला भी रखी। संग्रहालय में विभिन्न दीर्घाएं बिहार में लोकतंत्र के इतिहास और मौजूदा बुनियादी सुविधाओं के विकास को प्रदर्शित करेंगी। इसमें 250 से अधिक लोगों की क्षमता वाला एक सम्मेलन हॉल भी होगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने विधानसभा गेस्ट हाउस की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार का ये स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है बिहार उसे वो प्यार कई गुना करके लौटाता है। उन्होंने कहा आज मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है। मैं इस स्नेह के लिए बिहार के जन-जन को हृदय से नमन करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि शताब्दी स्मृति स्तंभ बिहार की असंख्य आकांक्षाओं को प्रेरित करेगा।
बिहार विधानसभा के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं।आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। आजादी के बाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुये नीतीश जी की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया जिसके तहत महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा यह विधान सभा इस बात का उदाहरण है कि लोकतंत्र में सामाजिक जीवन में समान भागीदारी और समान अधिकारों का पालन कैसे किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने दोहराते हुए कहा कि विश्व में लोकतन्त्र की जननी हमारा भारत है भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है और बिहार की गौरवशाली विरासत पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज भी इसके जीवंत प्रमाण हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा बिहार के इस वैभव को न कोई मिटा सकता है न छिपा सकता है। उन्होंने कहा इस भवन ने पिछले सौ वर्षों से भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया है इसलिए यह हमारे लिए नमन का पात्र है। यह भवन उस चेतना से जुड़ा हुआ है जिसने गुलामी के दौर में भी लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षय नहीं होने दिया।
प्रधानमंत्री ने अंग्रेजों के खिलाफ बाबू द्वारा शासन में स्वतंत्रता के दावे को याद किया।बिहार हमेशा लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहा। मोदी ने कहा कि बिहार ने आजाद भारत को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ तो भी उसके खिलाफ बिहार ने सबसे आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका। प्रधानमंत्री ने कहा बिहार जितना समृद्ध होगा भारत का लोकतंत्र उतना ही शक्तिशाली होगा। बिहार जितना मजबूत होगा भारत उतना ही सामर्थ्यवान होगा।
आजादी का अमृत महोत्सव और बिहार विधान सभा के 100 साल का यह ऐतिहासिक अवसर भी हम सभी के लिए प्रत्येक जन प्रतिनिधि के लिए आत्मनिरीक्षण और आत्म-विश्लेषण का संदेश लेकर आया है। हम अपने लोकतंत्र को जितना मजबूत करेंगे हमें अपनी आजादी और अपने अधिकारों के लिए उतनी ही ताकत मिलेगी।
21वीं सदी की बदलती जरूरतों और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में नए भारत के संकल्पों के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहादेश के सांसद के रूप में राज्य के विधायक के रूप में हमारी ये भी ज़िम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं। पक्ष विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर देश के लिए देशहित के लिए हमारी आवाज़ एकजुट होनी चाहिए।
21वीं सदी को भारत की सदी के रूप में चिह्नित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा भारत के लिए ये सदी कर्तव्यों की सदी है।हमें इसी सदी में अगले 25 सालों में नए भारत के स्वर्णिम लक्ष्य तक पहुंचना है। इन लक्ष्यों तक हमें हमारे कर्तव्य ही लेकर जाएंगे। इसलिए ये 25 साल देश के लिए कर्तव्य पथ पर चलने के साल हैं। मोदी ने विस्तार से कहा हमें अपने कर्तव्यों को अपने अधिकारों से अलग नहीं मानना चाहिए। हम अपने कर्तव्यों के लिए जितना परिश्रम करेंगे हमारे अधिकारों को भी उतना ही बल मिलेगा। हमारी कर्तव्य निष्ठा ही हमारे अधिकारों की गारंटी है।