साईँ मन्दिर औरैया, उत्तरप्रदेश भाग : ३८९
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिकस्थल : गिरिजात्मक विनायक मन्दिर, गोलेगाँव, ताल्लुका जुन्नार, डिस्ट्रिक्ट : पुणे, महाराष्ट्र। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:
साईँ मन्दिर, औरैया, उत्तरप्रदेश भाग : ३८९
औरैया से इटावा को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग सँख्या दो के बाईं तरफ़ है यह अद्भुत खूबसूरत शिरड़ी वाले साईं बाबा का बना हुआ है साईं बाबा का मन्दिर। साईँ बाबा के साथ-साथ भगवान शिवशँकर का भी खूबसूरत सा मन्दिर बना हुआ है।
मन्दिर में नियमित रूप से प्रसाद वितरण होता है जिसके लिए ₹२० की रसीद कटती है मन्दिर का अपना मैरिज हॉल भी है जिसमें अलग-अलग फ़ंक्शन की अलग-अलग फीस निर्धारित है। मन्दिर परिसर में स्वच्छ पानी की सुविधा उपलब्ध है, मन्दिर का मुख्य भाग जहाँ देवता विराजमान है अत्यँत ही सुन्दरता पूर्ण तरीके से सजाया गया है। मन्दिर का शिखर नागर शैली के शिखरों के समान है तथा अत्यधिक ऊंचा है साईँ मन्दिर एक बड़े चबूतरे पर निर्मित किया गया है तथा चबूतरे पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है।
औरैया जनपद मुख्यालय से लगभग ५ किलोमीटर दूर मन्दिर एक बहुत ही अच्छा पर्यटन स्थल है साथ ही आध्यात्मिक स्थल के रूप में भी है काफी आकर्षक है। मन्दिर में जो मुख्य समस्या है वह यह है कि यहाँ पर पार्किंग का स्थान सीमित है, जिसे भविष्य में विस्तारित किए जाने की व्यवस्था होनी शेष है।
प्रत्येक साईँवार को यहाँ गूलों की पुष्पों की सुगन्ध से महक उठता है मन्दिर का प्राँगण, जब बड़ी श्रद्धा से साईँ पालकी निकाली जाती है। सम्पूर्ण मन्दिर अलौकिक सुगन्ध से स्वर्ग का आनन्द होता है। ततपश्चात बिना ₹२०/ की रसीद के प्रत्येक गुरुवार को तरह तरह के व्यंजन साईँ के नाम पर बाँटें जाते हैं।
साईँ सच्चरित्र अध्याय ५ का शेष भाग :
अन्य सन्तों से सम्पर्क क्रमशः :
शिरडी आने पर श्री साई बाबा मसजिद में निवास रने लगे । बाबा के शिरडी में आने के पूर्व देवीदास नाम के एक सन्त अनेक वर्षों से वहाँ रहते थे । बाबा को वे बहुत प्रिय थे । वे उनके साथ कभी हनुमान मन्दिर में और कभी चावड़ी में रहते थे । कुछ समय के पश्चात् जानकीदास नाम के एक संत का भी शिरडी में आगमन हुआ ।
अब बाबा जानकीदास से वार्तालाप करने में अपना बहुत-सा समय व्यतीत करने लगे । जानकीदास भी कभी-कभी बाबा के स्थान पर चले आया करते थे और पुणताम्बे के श्री गंगागीर नामक एक पारिवारिक वैश्य संत भी बहुधा बाबा के पास आया-जाया करते थे । जब प्रथम बार उन्होंने श्री साई बाबा को बगीचा-सिंचन के लिये पानी ढोते देखा तो उन्हें बड़ा अचम्भा हुआ । वे स्पष्ट शब्दों में कहने लगे कि शिरडी परम भाग्यशालिनी है, जहाँ एक अमूल्य हीरा है ।
जिन्हें तुम इस प्रकार परिश्रम करते हुए देख रहे हो, वे कोई सामान्य पुरुष नहीं है । अपितु यह भूमि बहुत भाग्यशालिनी तथा महान् पुण्यभूमि है, इसी कारण इसे कारण इसे यह रत्न प्राप्त हुआ है । इसी प्रकार श्री अक्कलकोटकर महाराज के एक प्रसिदृ शिष्य पधारे, उन्होंने भी स्पष्ट कहा कि यघपि बाहृदृषि्ट से ये साधारण व्यक्ति जैसे प्रतीत होते है, परंतु ये सचमुच असाधारण व्यक्ति है । इसका तुम लोगों को भविष्य में अनुभव होगा । ऐसा कहकर वो येवला को लौट गये । यह उस समय की बात है, जब शिरडी बहुत ही साधारण-सा गाँव था और साई बाबा बहुत छोटी उम्र के थे ।
बाबा का रहन-सहन व नित्य कार्यक्रम :
तरुण अवस्था में श्री साई बाबा ने अपने केश कभी भी नहीं कटाये और वे सदैव एक पहलवान की तरह रहते थे । जब वे रहाता जाते (जो कि शिरडी से ३ मील दूर है)तो गहाँ से वे गेंदा, जाई और जुही के पौधे मोल ले आया करते थे । वे उन्हें स्वच्छ करके उत्तम भूमि दोखकर लगा देते और स्वंय सींचते थे । वामन तात्या नाम के एक भक्त इन्हें नित्य प्रति दो मिट्टी के घडे़ दिया करते थे । इन घड़ों दृारा बाबा स्वंय ही पौधों में पानी डाला करते थे । वे स्वंय कुएँ से पानी खींचते और संध्या समय घड़ों को नीम वृक्ष के नीचे रख देते थे । जैसे ही घड़े वहाँ रखते, वैसे ही वे फूट जाया करते थे, क्योंकि वे बिना तपाये और कच्ची मिट्टी क बने रहते थे । दूसरे दिन तात्या उन्हें फिर दो नये घड़े दे दिया करते थे । यह क्रम ३ वर्षों तक चला और श्री साई बाबा इसी स्थान पर बाबा के समाधि-मंदिर की भव्य इमारत शोभायमान है, जहाँ सहस्त्रों भक्त आते-जाते है ।
नीम वृक्ष के नीचे पादुकाओं की कथा क्रमशः
पता :
746, शिर्डी साईँ बाबा मन्दिर, औरैया, उत्तरप्रदेश, पिनकोड : 206122 भारत।
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचे मन्दिर :
चौधरी चरणसिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से कैब द्वारा तीन घण्टे १० मिनट्स में वाया NH २७ और १९ से १७०.२ किलोमीटर की दूरी तय करके पहुँच जाओगे औरैया के साईँ मन्दिर।
रेल मार्ग से कैसे पहुँचे मन्दिर :
रेल द्वारा आप औरैया रेल्वे स्टेशन से ४ किलोमीटर की दूरी तय करके आप ७ मिनट्स में पहुँच जाओगे औरैया के साईँ मन्दिर।
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचे मन्दिर :
ISBT से औरैया के साईँ मन्दिर आने के लिए बस, अपनी कार या बाईक से आते हैं तो ३८५.२ किलोमीटर की दूरी तय करके आप ५ घण्टे २८ मिनट्स में पहुँच जाओगे औरैया के साईँ मन्दिर।
राजाधिराज योगिराज परब्रह्म साईंनाध् महराज् श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईंनाध् महाराज् की जय हो। जयघोष हो।।