सीता-रामचँद्र स्वामी भद्राचलम, तेलंगाना भाग: १३१,पँ० ज्ञानेश्वर हँस “देव” की कलम से

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भारत के धार्मिक स्थल: सीता-रामचँद्र स्वामी, भद्राचलम, तेलंगाना भाग: १३१

आपने पिछले भाग में पढ़ा : भारत के प्रसिद्ध धार्मिकस्थल: आर्य समाज मन्दिर, हरि नगर, नई दिल्ली! यदि आपसे यह लेख छूट गया हो और आपमें पढ़ने की जिज्ञासा हो तो आप प्रजा टुडे की वेबसाइट की धर्म-सहित्य पृष्ठ पर जा कर उक्त लेख पढ़ सकते हैं!

आज हम भारत के धार्मिक स्थल: सीता-रामचँद्र स्वामी, भद्राचलम, तेलंगाना भाग: १३१

तेलंगाना के इस मन्दिर में भगवान विष्णु ने भद्रा की प्रार्थनाओं का उत्तर देने के लिए ही प्रकट हुए, इसलिए इस स्थान का नाम भद्राचलम रखा गया होगा! श्री रामचँद्रजी की धर्मपत्नी जानकी माता सीता और भाई लक्ष्मण यतिजी भद्राचलम के केंद्रीय चिह्न का हिस्सा हैं! अतः भद्राचलम में उक्त मन्दिर निर्माण किया गया, और अन्य खातों की मरम्मत प्रसिद्ध भक्ति संत कंचेरला गोपन्ना द्वारा की गई थी – जिसे भद्राचल रामदासु के नाम से भी जाना जाता है!

गोलकुंडा के सुल्तान अबुल हसन कुतुब शाह के शासनकाल में गोपाना भद्राचलम का तानाशाह राजस्व अधिकारी ‘गोपन्ना’ पर आरोप लगा था और सीता रामचंद्रस्वामी मन्दिर के निर्माण के लिए सल्तनत के खज़ाने के लिए धन का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था! गोपन्ना ने १२ वर्ष करावास में बिताए, जहाँ उन्होंने इस मन्दिर में गाए जाने वाले भक्ति गीतों की सँरचना की थी!

दक्कन क्षेत्र के मुगल नियंत्रण के औरंगज़ेब के विस्तार के दौरान गोलकुंडा सल्तनत के पतन से पहले, गोपन्ना को सुल्तान तानाशाह द्वारा रिहा कर दिया गया था, जिसमें क्षेत्रीय किंवदंतियों में कहा गया कि भगवान श्री रामचँद्र स्वयँ लक्ष्मण यति जी के साथ मिलकर सोने के सिक्कों का भुगतान करने के लिए प्रकट हुए थे! सुल्तान ने गोपन्ना की रिहाई की माँग की थी! इसके बाद गोपन्ना ने इस मन्दिर में श्रीरामचँद्र को समर्पित कविताओं की सँरचना करना जारी रखा!

गोपन्ना के बाद, तुमू लक्ष्मी नरसिम्हा दासु और वरदा रामदासु ने मन्दिर के अनुष्ठानों की देखभाल की! भद्राचलम वैष्णव पँचरात्र आगम परम्परा का पालन करता है और इसकी पूजा प्रणाली श्रीरँगम में रँगनाथस्वामी मन्दिर पर आधारित है! मन्दिर में चार प्रवेश द्वार हैं; राजगोपुरम उत्तरी प्रवेश द्वार पर स्थित है, जिसे वैकुण्ठ द्वारम कहा जाता है! मन्दिर में कई उप-मन्दिर और कुछ मण्डप हैं!

भद्राचलम अपने प्रमुख देवता श्रीरामचँद्र के लिए उल्लेखनीय है! गोपन्ना ने वैष्णव परम्परा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भद्राचलम को भजन परम्परा के केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया! वार्षिक ब्रह्मोत्सवम भद्राचलम में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है! मुख्य घटना श्रीसीतारामचँद्र थिरु कल्याण महोत्सवम या श्री राम नवमी की पूर्व सँध्या पर श्रीरामचँद्रऔर सीताजी का विवाह मनाया जाता है! भद्राचलम में मनाए जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण त्योहार वैकुण्ठ एकादशी, वसँतोत्सवम और विजयदशमी माने जाते हैं! यहाँ दर्शनार्थी श्रद्षालुजनों को मनवान्छित फल की प्राप्ति होती है!

                                                                                              श्री राम चँद्र स्तुति :

श्री रामचँद्र कृपालु भजमन
हरण – भाव – भय दारुणम्!
नव-कंज लोचन, कंज मुख
कर कंज पद कन्जारुणम!!

कंदर्प अगणित अमित छवी
नव – नील, नीरज, सुन्दरम!
पट पीत मानहु, तड़ित रुचि
शुचिनौमीजनक सुतावरम्!!

भजु दीन – बंधु, दिनेश,
दानव दैत्य-वंश निकंदनम् !
रघु – नन्द आनन्द – कन्द,
कौशलचंद दशरथनन्दनम!!

सिर मुकुट कुण्डल तिलक
चारू उदारु अंग विभुषणं!
आजानु भुज, शरचाप धर,
संग्राम – जित खर-धूषणं!!

इति वदति “तुलसी दास”
शँकर शेषमुनिमन रंजनम्!
मम् हृदय कुंज निवासकुरु
कामादी खलदल गंजनम्!!

छंद :

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि
सोबरु सहजसुंदर सांवरों!
करुणा – निधान – सुजान
शीलु स्नेहु जानत रावरो!!

एहीभांतीगौरीअसीससुनि
सियसहितहियहरषीअली!
तुलसी भवानी: पूजि पुनि
पुनिमुदित मनमंदिरचली!!

॥सोरठा॥

जानि गौरी अनुकूल सिय
-हिय हरषु न जाइ कहि!
मञ्जुल – मङ्गल……मूल
वाम अन्ग फरकन लगे!!

सियावरराम जयजयराम
मेरेप्रभुराम जयजयराम!
सियावरराम जयजयराम
मेरेप्रभुराम जयजयराम!!

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से आप कैब से ११७ किलोमीटर का सफ़र तय का तीन घण्टे ३० मिन्ट्स में पहुँच सकते हो!हैदराबाद और चैन्नई के हवाईअड्डे क्रमश: ३२५- ३२५ किलोमीटर की दूरी पर हैं!

रेल मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

रेल से आप भद्राचलम स्टेशन उतर कर ऑटो रिक्शा अथवा बस से आप ४० किलोमीटर की दूरी तयकर आसानी से मन्दिर पहुँच सकते हो!

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

कार बाइक अथवा बस से १०३०६.६ किलोमीटर की दूरी तय करके राष्ट्रीय राजमार्ग NH-४४ से आप आसानी से पहुँच सकते हो मन्दिर!

सीता-रामचँद्र की जय हो! जयघोष हो!!

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