शानी देव मन्दिर, उदयपुर मार्ग, सेंथी, बापू नगर, चितौड़गढ़, राजस्थान भाग : ४५९
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा, भारत के धार्मिक स्थल : माता करणी देवी मन्दिर, बीकानेर, राजस्थान। यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप कृप्या करके प्रजाटूडे की वेबसाइट पर जाकर www.prajatoday.com पर जाकर धर्मसाहित्य पृष्ठ पर जा कर पढ़ सकते हैं:
शानी देव मन्दिर, उदयपुर मार्ग, सेंथी, बापू नगर, चितौड़गढ़, राजस्थान भाग : ४५९
शनि देव का प्रकटीकरण और इतिहास :
किवदंती के अनुसार शनि देव की यह मूर्ति मेवाड़ के महाराणा स्व. श्री उदयसिंह जी अपने हाथी की ओदी पर रखकर उदयपुर की ओर ले जा रहे थे |उक्त स्थान पर पहुंचने पर शनि देव की मूर्ति हाथी की ओदी से गायब हो गयी जो काफी ढूढ़ने पर भी नहीं मिली।
कालांतर में काफी वर्षो के बाद यहाँ ऊँचनार खुर्द निवासी जोतमल जाट के खेत में बेर की झाड़ी के निचे शनि देव की मूर्ति का कुछ हिस्सा बाहर प्रकट हुआ जहाँ इनकी पूजा अर्चना सेवा तेल प्रसाद बालभोग आरम्भ किया गया उस समय यह स्थान काला भेरू के नाम से जाना जाता था।
विगत शताब्दी में कुछ लोगो ने मूर्ति का जमीन में धंसा हिस्सा बाहर निकालने का प्रयास किया लेकिन नाकाम रहे ,
उसी समय वहाँ एक संत महात्मा अचानक आ पहुंचे तो लोगो ने उनके साथ मिलकर उनके कहे अनुसार मूर्ति को ऊपर की ओर खिंचा तो उसका अधिकांश हिस्सा बाहर निकल आया था और कुछ अंदर ही रह गया। इसके बाद वह संत महात्मा वहाँ से कुछ दुरी पर जाकर गायब हो गये। लोगो ने इसे मूर्ति का चमत्कार माना इसके बाद से ही यह स्थान श्री शनि महाराज के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
शनि देव का चमत्कार :
यहाँ कई चमत्कार हुए है जिसमे एक प्राकृतिक तेल कुंड भी प्रकट हुआ जो आज भी है। यहाँ शनि देव पर चढ़ाया जाने वाल तेल इस प्राकृतिक तेल कुंड में ही इक्कठ्ठा होता है इस तेल का उपयोग चर्म रोगों के लिए ही होता है।
कई बार इस प्राकृतिक तेल कुंड के तेल को व्यवसायिक उपयोग हेतु निकला गया तो इसमें से तेल के गुण ही समाप्त हो गए वो मात्र तरल पानी हो गया। ऐसे कई प्रयास हुए लेकिन सफल नहीं हो पाए। यह भी शनिदेव का ही चमत्कार माना जाता है।
मुख्य पुजारी का देवलोक गमन इस स्थान की पूजा अर्चना सर्वप्रथम स्व. महाराज श्री रामगिरि जी रेबारी ने प्रारम्भ की। श्री रामगिरी जी रेबारी ने मुख्य पुजारी के रूप में शनि देव की काफी वर्षो तक सेवा पूजा की। उनका देवलोक गमन होने के बाद उनकी समाधी स्थल के लिए नींव खोदने पर प्राकृतिक तेल निकला जिसको कुंड बनाकर रखा गया और पास में ही समाधी स्थल बनाया गया।
श्री शनि महाराज मंदिर गांव – आली :
शनिदेव की प्रसादी, यहाँ प्रसादी में रूप में चुरमा-बाटी बनता है तथा इसका बालभोग लगने से पहले तक चींटिया भी शक्कर निर्मित चुरमे को खाना तो दूर छूती तक भी नहीं है। मेवाड़ के प्रसिद्ध शनि महाराज के मंदिर चौवदस शुक्रवार के रोज शनिदेव की पूजा अर्चना कर शनिदेव का दान पत्र खोला गया जिसमें 24 लाख 77 हजार 570 रूपये की राशि रुपए की गणना की गई। मेवाड़ के प्रसिद्ध शनि महाराज के मंदिर चौवदस शुक्रवार के रोज शनिदेव की पूजा अर्चना कर शनिदेव का दान पत्र खोला गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर कमेटी के अध्यक्ष छगनलाल गुर्जर ने बताया कि की शनिदेव की पूजा अर्चना कर शनिदेव का दान पत्र खोला गया जिसमें 24 लाख 77 हजार 570 रूपये की राशि रुपए की गणना की गई, जबकि छोटे सिखों की गिनती नहीं की गई।
शनि चालीसा :
दोहा
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।हिय माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई।मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति-मति बौराई।रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
दोहा
पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
पता :
शानी देव मन्दिर A 27 उदयपुर मार्ग, सेंथी, बापू नगर, चितौड़गढ़, राजस्थान।पिनकोड : 312025 भारत।
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :
हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा फ्लाइट से चितौड़गढ़ के सबसे पास एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी यहां से १.९ किलोमीटर है। एयरपोर्ट से शनि देव मंदिर के लिए टैक्सी बुक कर सकते हैं। आप तकरीबन ५ मिनट्स में पहुँच जाओगे शनी देव मन्दिर।
रेल मार्ग से कैसे पहुँचें :
ट्रेन से – यहां से सबसे पास रेलवे स्टेशन लगभग नजदीकी रेलवे स्टेशन कपासन और चित्तौडग़ढ़ है। यह दिल्ली, कोलकाता, आगरा, जयपुर, इलाहाबाद आदि शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चितौड़गढ़ को भी कवर करती है। स्टेशन पर पहुंचकर शनि देव मंदिर के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट आसानी से मिल जाता है।आप कैब द्वारा पहुंच जाओगे शनी देव मन्दिर।
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :
आप ISBT इन्टर स्टेट बस टर्मिनल द्वारा बस अथवा अपनी कार से ६१९.७ किलोमीटर की दूरी तय करके वाया नैशनल हाइवे NH ४ मार्ग से आसानी से ९ घण्टे ४७ मिनट्स में पहुँच जाओगे शनी देव मन्दिर।
श्री शनि महाराज का प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन उपखण्ड के आली गांव में स्थित है | आली गांव को शनि महाराज के नाम से ही जाना जाता है |
श्री शनि महाराज मंदिर चारो दिशाओ से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है | एक तरफ चित्तौड़गढ़ से उदयपुर (वाया मंगलवाड़) भादसौड़ा चौराहा 6 लेन हाईवे मात्र 8 किमी पर है तो दूसरी तरफ चित्तौड़गढ़ से उदयपुर वाया:कपासन-फतहनगर-मावली4लेन हाईवे 16किलोमीटर दूर है| दोनों ही हाईवे से शनि महाराज मंदिर तक सड़क मार्ग की सुविधा है |
चित्तौड़गढ़ ,भीलवाड़ा , कपासन, फतहनगर, कांकरोली, नाथद्वारा, राजसमंद, सांवलिया सेठ जी, निम्बाहेड़ा , नीमच , प्रतापगढ़ , बांसवाड़ा से बस सुविधा हर समय उपलब्ध है |
शनी देव महाराज की जय हो। जयघोष हो।।