श्री खण्ड मन्दिर ज़िला-कुल्लू, हिमाचल प्रदेश भाग:३१२
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिक स्थल : प्राचीन सूर्य देव मन्दिर। बेलाउर गाँव, ज़िला भोजपुर, , बिहार! यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:
भारत के धार्मिक स्थल : श्री खण्ड मन्दिर ज़िला-कुल्लू, हिमाचल प्रदेश भाग:३१२
पाठकों को शारदीय नवरात्रि पर्व पर हार्दिक बधाइयाँ, माँ मनोरथ पूरे करे!
श्रीखंड महादेव: अमरनाथ से भी कठिन है यात्रा, २५ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़ कर जाना होता है! सावन के महीने में काँवड़िए अपने इष्ट देवता देवाधिदेव महादेव भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए काँवड़ यात्रा पर निकल पड़ते हैं। दुर्गम रास्ते और सभी मुश्किलों को झेलते हुए अपने भोले का जलाभिषेक करके ही उनकी यात्रा पूर्ण मानी जाती है। यह जरूरी नहीं है कि हर कोई काँवड़ लेकर ही जाए, आप भगवान शिव से जुड़े किसी भी एक धार्मिक स्थल के दर्शन कर सावन के महीने में विशेष पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं। देश भर में स्थित १२ ज्योर्तिंलिंगों के अलावा भगवान शिव के कुछ ऐसे चर्चित तीर्थस्थान भी हैं, जिनका पौराणिक महत्व सबसे ज्यादा है। इन्हीं में से एक है श्रीखंड महादेव। श्रीखंड महादेव की यह यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी कठिन और दुर्गम मानी जाती है।
श्रीखंड महादेव: अमरनाथ से भी कठिन है यात्रा है, २५ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़कर भगवान भोले नाथ के श्री खण्ड रूप में शिवलिँग के दर्शन दीदार सम्भव हो पाते हैं!
श्री खण्ड महादेव दुनियाँ की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्रा :
दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित धार्मिक स्थलों में से एक श्रीखंड महादेव का मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है। १८,३०० फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको २५ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी होगी। जो कि अपने आपमें सबसे बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि इसे अमरनाथ यात्रा से भी दुर्गम माना जाता है। श्रीखंड महादेव पहुंचने के रास्ते में कई श्रृद्धालुओं की मौत तक हो जाती है और जो सही सलामत दर्शन कर पाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
१-दर्जन से अधिक श्री खण्ड मार्ग के धार्मिक स्थल:
श्रीखंड महादेव पहुंचने के रास्ते में आपको करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल और देव शिलाएं मिलेंगी। श्रीखंड महादेव एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हैं। यहां पर आने से करीब ५० मीटर पहले ही माता पार्वती, भगवान गणेश और स्वामी कार्तिक की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। वहीं रास्ते में प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मन्दिर, जावों में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मन्दिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड़, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि धार्मिक स्थल हैं।
पौराणिक मान्यताएँ :
यहां के बारे में मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां भस्मासुर नामक राक्षस ने कठोर तपस्या करके शिव से वरदान प्राप्त किया था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। फिर उसके मन में पाप आ गया और वह माता पार्वती से विवाह करने के बारे सोचने लगा और वह भगवान शिव के ऊपर हाथ रखकर उन्हें नष्ट करना चाहता था। मगर भगवान विष्णु सब समझ गए। उन्होंने माता पार्वती का रूप धारण करके भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य करते हुए भस्मासुर ने खुद के ही सिर पर हाथ रख लिया और वह भस्म हो गया। बताते हैं कि आज भी यहां की मिट्टी और पानी लाल दिखाई देते हैं।
कैसे पहुंचे श्रीखण्ड महादेव मन्दिर :
भगवान भोलेनाथ की ज्योतिर्लिंग श्रीखंड महादेव हिमाचल प्रदेश में स्थित है, जिसकी उंचाई लगभग ७५ फीट है। श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए आपको कई पड़ाव पार करके यात्रा करनी पड़ती है। सबसे पहले शिमला ज़िले के रामपुर से कुल्लू ज़िले के निरमंड होकर बागीपुल की ओर आओ, यहाँ तक गाड़ियों और बस से पहुंचना पड़ता है। यहां से आगे करीब ३० किलोमीटर की दूरी दुर्गम मार्ग से तय करनी पड़ती है।
श्रीखण्ड महादेव साधना :
देवाधिदेव महादेव शिवशँकर की साधना करने के लिए दक्षिण की ओर मुँह करके पीले आसन पर बैठ जाएँ और अपने सामने एक पात्र में स्वास्तिक बनाकर चौकी पर रखें अथवा सँगमरमर के श्री गणेश और साथ ही स्फटिक के शिवलिंग को स्थापित करें। इसके बाद शिवलिंग का विधि-विधान से पूजन एवँ अभिषेक करें। साथ ही जिस मनोकामना को लेकर आप भगवान शिव की साधना कर रहे हैं, उसका मनन करें। भोलेनाथ एक मात्र ऐसे देवता हैं, जो मात्र एक लोटा कोरा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें प्रसन्न करने के लिए गङ्गाजल, बेल पक्ष, धतूरा, भांग, चंदन का त्रिपुण्ड तिलक आदि भी अर्पित किया जाता है।ताकि शिवजी की कृपा पाई जा सके। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिवशँकर को बेलपत्र अर्पित करने से जल्द ही उनका असीम शुभआशीष प्राप्त होता है।
शिव का महाँशक्तिशाली गायत्री मन्त्र :
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
शिव-गायत्री मन्त्र बहुत ही प्रभावशाली और शक्तिशाली मन्त्र है। माना जाता है कि सावन में प्रतिदिन इस मन्त्र का जाप करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। सुख-सम्रद्धि, व्यापार में उन्नति, नौकरी में सफलता, रोग मुक्ति, शत्रु मुक्ति कोर्ट-कचहरी में विजय श्री दिला देगा यह शिवजी का तांत्रिक शिव शाबर मन्त्र।
इस शिव शाबर मन्त्र को सिद्ध करने के बाद बड़ी से बड़ी समस्याओं से सरलता से मुक्ति मिल जाती है।
सावन मास में तंत्राधिपति भगवान महाकाल की अनेक तांत्रिक मन्त्रों का जप कर पूजा की जाती है। शिव जी के तंत्र मंत्रों में से एक ऐसा शिव मन्त्र है जिसे शिव शाबर मन्त्र कहते हैं। तंत्र शास्त्र के अनुसार, इस मन्त्र की साधना से भगवान महाकाल शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त को जीवन में सुख-सम्रद्धि, व्यवसाय में उन्नति, नौकरी में सफलता, कठिन रोगों से मुक्ति, घातक शत्रु से मुक्ति दिलाते है। कहा जाता है कि शिवजी के शाबर मन्त्र स्वयँ में सिद्ध होते हैं इसलिए इन्हें सिद्ध करने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इनको चमत्कारी व शक्तिशाली बनाने के लिए नियमित रूप से उच्चारण सहित बोल बोल कर जाप करना आवश्यक होता है तब ही ये व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति कर पाते हैं। इस शिव शाबर मन्त्र को सिद्ध करने के बाद बड़ी से बड़ी समस्याओं से सरलता से मुक्ति मिल जाती है।
।। शिवजी का शाबर तांत्रिक मन्त्र ।।
“आदी अन्त धरती, आदी अन्त परमात्मा! दोनो बीच बैठे शिवजी महात्मा! खोल घड़ा, दे दड़ा, देखा शिव जी महाराज तेरे शब्द का तमाशा” !! ॐ नमः शिवाय!!
शिव शाबर मन्त्र की साधना विधि :
भगवान शिव की आराधना करते समय जितना ध्यान पूजा विधि-विधान आदि पर दिया जाता है, उससे अधिक यदि भगवान शिव के प्रति समर्पण भाव व दृढ़ विश्वास होना अनिवार्य होता है।
शिव शाबर मन्त्र जाप के लाभ :
इस मन्त्र का जाप पूर्ण विश्वास और दृढ़सँकल्प के साथ लगातार ४१ दिनों तक शिव शाबर तांत्रिक साधना करें। साधना काल में प्रतिदिन जाप पूर्ण होने के बाद शिवलिंगम् को गङ्गाजल एवँ गाय के दुध से अभिषेक अवश्य करें। पुनः गङ्गाजल स्नान से इस शिव साधना से बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी दूर हो जाती हैं! घर में सुख-सम्रद्धि, व्यवसाय में उन्नति व नौकरी में आ रही अड़चन, रोग से मुक्ति, वैवाहिक जीवन में कलह और शत्रु से छुटकारा, कोर्ट कचहरी में विजय। ये सभी कार्य सिद्ध, स्वतः ही सिद्ध होने लगते हैं।
१- वैसे तो साल में किसी भी सोमवार के दिन से इस साधना को शुरू कर सकते हैं लेकिन सावन मास में इस साधना को करने से इसके ज्यादा चमत्कारिक परिणाम सामने आते हैं।
२- घर के पूजा स्थल में एक कोरा लाल कपडा बिछाकर भगवान शिव की फोटो या मूर्ति स्थापित कर धूप-दीप जलाकार तांबे के लौटे में शुद्ध जल रखें, रिक्त लौटे में थोड़ा सा गङ्गजल डालें व जल मिलाने से लौटे का सम्पूर्ण जल गङ्गाजल हो जाता है। अगली सुबह तुलसी में श्रद्धा सबुरी सँग ॐ राम शिव जप से अर्पण करें।
३- अब श्री गणेश जी व अपने सदगुरु देव जी का ध्यान करते हुए सीधे हाथ में जल लेकर संकल्प लें।
४- संकल्प के बाद शिव शाबर मंत्र को पहले याद कर लें , जाप ५०१ बार अवश्य करें।
५- ५०१ बार बोलबाल कर लगातार सवा घण्टे उक्त मंत्र का जाप करें।
६- किसी के लिए ब्राह्मण रूप में माला करो तो ४१वें दिन माला ही उसके गले में डाल दो। साधक को भी इस मन्त्र का जाप करा सकते हैं। उचित्त तो यह है कि रुद्राक्ष की उक्त माला साधक को पहना कर केवल “ॐ नमः शिवाय” जाप करने को कहें! यदि माला से जप करें तो रुद्राक्ष की माला साधक से मंगाकर ही जप करें। ४१ दिन की कम से कम ₹५१०००/= पारिश्रमिक साधक को देना चाहिए! वस्त्र आसन गौ-दूध गङ्गजल गूगल धूप शुद्ध घी दीपक आसन अवश्य साधक को देना चाहिए!
श्रीखंड महादेव का ट्रेकिंग मार्ग :
श्रीखण्ड महादेव का ट्रेकिंग एक तरफ से लगभग ३५ किलोमीटर की होती है। अगर दोनों तरफ की बात की जाए, तो आपको श्रीखंड महादेव की यात्रा करने के लिए कुल ७० किलोमीटर की टेकिंग करनी होगी। श्रीखंड महादेव की ट्रेकिंग हिमाचल प्रदेश के जाओं नामक एक गांव से शुरू होती है।
श्रीखण्ड मन्दिर का पता:
स्थान: श्री खण्ड मन्दिर, जाओं गाँव, ज़िला-कुल्लू, हिमाचल प्रदेश!
(सबसे पहले शिमला ज़िले के रामपुर से कुल्लू ज़िले के निरमंड होकर बागीपुल की ओर आओ, यहाँ तक गाड़ियों और बस से पहुंचना पड़ता है। यहाँ से आगे करीब ३० किलोमीटर पैदल तय करनी पड़ती है।)
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :
श्रीखण्ड मन्दिर तक पहुंचने के लिए उड़ान द्वारा: भुंतर हवाई अड्डा से जांव गाँव पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा है। वहाँ से आपको जांव गाँव पहुंचने के लिए निजी कैब लेनी होगी। वहाँ से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। फ्लाइट से श्रीखण्ड महादेव की यात्रा करने के लिए सबसे पहले आपको शिमला जाना होगा। शिमला से आपको आपको रामपुर बुशहर के लिए आसानी से बस मिल जाएगी। शिमला से रामपुर बुशहर की दूरी करीब १२३-१२६ किलोमीटर होती है।
लोहपथगामिनी मार्ग से कैसे पहुँचें :
ट्रेन से श्रीखण्ड महादेव की यात्रा करने के लिए आपको शिमला जाना पड़ेगा। शिमला से आप बस पकड़ कर रामपुर बुशहर और वहां से दूसरी बस पकड़ कर जाओं गाँव पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :
अगर आप अपनी बाइक या कार से श्रीखण्ड महादेव की यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको अपनी बाइक या कार रामपुर बुशहर या जाओं गाँव में ही पार्क करनी पड़ेगी। रामपुर बुशहर पहुंचने के बाद आप वहीं पर बात कर लें कि आप अपनी बाइक या कार जाओं गाँव में पार्क कर सकते हैं या नहीं। अगर आपको अपनी बाइक या कार जाओं गांव में पार्क करने की सलाह दी जाती है, तो आप जाओं गाँव तक अपनी बाइक या कार लेकर जाएं। ऐसा करने से आपके बाइक या कार की पार्किंग के लिए भी कम पैसे देने पड़ेंगे।शिमला आईएसबीटी से बसें उपलब्ध हैं। शिमला से रामपुर के लिए १३० किलोमीटर के लिए कैब / स्थानीय बस लें, फिर निरमंड (कुल्लू) के रास्ते जांव गाँव के लिबए। अगर आप श्रीखंड महादेव की यात्रा को बस से कंप्लीट करना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले दिल्ली या किसी अन्य शहर से बस पकड़ कर शिमला आना होगा, लेकिन अगर आपके शहर से रामपुर बुशहर के लिए बस ना मिले, तो ही आप शिमला के लिए बस पकड़ें, क्योंकि शिमला पहुंचने के बाद आपको फिर से रामपुर बुशहर के लिए बस पकड़नी पड़ेगी। रामपुर बुशहर से आपको जाओं गांव के लिए बस मिल जाएगी और जाओं गांव पहुंचने के बाद आप श्रीखण्ड महादेव के लिए अपनी ट्रेकिंग स्टार्ट कर सकते हैं।
श्रीखण्ड महादेव की जय हो! जयघोष हो!!