श्री शनिदेव महाराज मन्दिर, गाँव:आली,चितौड़गढ़ भाग :४३९,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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श्री शनिदेव महाराज मन्दिर, गाँव:आली,चितौड़गढ़ भाग :४३९

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा, भारत के धार्मिक स्थल : उमिया माता मन्दिर, ऊँझा, मेहसाणा, गुजरात। यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप कृप्या करके प्रजाटूडे की वेबसाइट पर जाकर www.prajatoday.com पर जाकर धर्मसाहित्य पृष्ठ पर पढ़ सकते हैं:

श्री शनिदेव महाराज मन्दिर, गाँव:आली,चितौड़गढ़ भाग :४३९

श्री शनिमहाराज मन्दिर (आली) तहसील कपासन , ज़िला : चित्तौड़गढ़, राजस्थान! श्री शनि महाराज मंदिर(आली) शनि जयंती को , शाम को विशाल भजन संध्या शनिवार को भक्तो की भीड़, लगी लम्बी कतारश्री शनिमहाराज का 3 दिवसीय विशाल मेला से अन्य जानकारी।

शनि देव का प्रकटीकरण और इतिहास :

प्रबंधकारिणी कमेटी, दर्शन और आरती समय। यात्री सुविधाएँ

डोनेशन/ दान / भेंट, तीर्थ स्थल विकास कार्य, बाल भोग प्रसाद भंडार, शनि देव किवदंती के अनुसार शनि देव की यह मूर्ति मेवाड़ के महाराणा स्व. श्री उदयसिंह जी अपने हाथी की ओदी पर रखकर उदयपुर की ओर ले जा रहे थे |उक्त स्थान पर पहुंचने पर शनि देव की मूर्ति हाथी की ओदी से गायब हो गयी जो काफी ढूढ़ने पर भी नहीं मिली।

शनि देव खेत से प्रकटे :

कालांतर में काफी वर्षो में बाद यहाँ ऊँचनार खुर्द निवासी जोतमल जाट के खेत में बेर की झाड़ी के निचे शनि देव की मूर्ति का कुछ हिस्सा बाहर प्रकट हुआ जहाँ इनकी पूजा अर्चना सेवा तेल प्रसाद बालभोग आरम्भ किया गया उस समय यह स्थान काला भेरू के नाम से जाना जाता था।
विगत शताब्दी में कुछ लोगो ने मूर्ति का जमीन में धंसा हिस्सा बाहर निकालने का प्रयास किया लेकिन नाकाम रहे। सन्त महात्मा का।

सन्त महात्मा शनिदेव की मूर्ति निकलने के बाद बाबा ग़ायब :

उसी समय वहाँ एक संत महात्मा अचानक आ पहुंचे तो लोगो ने उनके साथ मिलकर उनके कहे अनुसार मूर्ति को ऊपर की ओर खिंचा तो उसका अधिकांश हिस्सा बाहर निकल आया था और कुछ अंदर ही रह गया। इसके बाद वह संत महात्मा वहाँ से कुछ दुरी पर जाकर गायब हो गये। लोगो ने इसे मूर्ति का चमत्कार माना इसके बाद से ही यह स्थान श्री शनि महाराज के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

शनि देव का चमत्कार :

यहाँ कई चमत्कार हुए है जिसमे एक प्राकृतिक तेल कुंड भी प्रकट हुआ जो आज भी है। यहाँ शनि देव पर चढ़ाया जाने वाल तेल इस प्राकृतिक तेल कुंड में ही इक्कठ्ठा होता है इस तेल का उपयोग चर्म रोगों के लिए ही होता है।

कई बार इस प्राकृतिक तेल कुंड के तेल को व्यवसायिक उपयोग हेतु निकला गया तो इसमें से तेल के गुण ही समाप्त हो गए वो मात्र तरल पानी हो गया। ऐसे कई प्रयास हुए लेकिन सफल नहीं हो पाए। यह भी शनिदेव का ही चमत्कार माना जाता है।

मुख्य पुजारी का देवलोक गमन

इस स्थान की पूजा अर्चना सर्वप्रथम स्व. महाराज श्री रामगिरि जी रेबारी ने प्रारम्भ की। श्री रामगिरी जी रेबारी ने मुख्य पुजारी के रूप में शनि देव की काफी वर्षो तक सेवा पूजा की। उनका देवलोक गमन होने के बाद उनकी समाधी स्थल के लिए नींव खोदने पर प्राकृतिक तेल निकला जिसको कुंड बनाकर रखा गया और पास में ही समाधी स्थल बनाया गया।

गाँव – आली

शनिदेव की प्रसादी, यहाँ प्रसादी में रूप में चुरमा-बाटी बनता है तथा इसका बालभोग लगने से पहले तक चींटियाँ भी शक्कर निर्मित चुरमे को खाना तो दूर छूती तक भी नहीं हैं।

शनिश्चरवार को क्या न खरीदें :

शनिवार को इन वस्तुओं की न करें शॉपिंग, वरना भुगतना पड़ सकता है बुरा अंजाम

पूरे सप्ताह में शनिश्चरवार को काफी अहम दिन माना जाता है। इस दिन हनुमान जी पूजा तो श्रेष्ठ होती ही है, लेकिन साथ ही इस दिन शनिदेव की पूजा का भी उतना ही महत्व माना जाता है। शनिवार के दिन जो व्यक्ति पूरे श्रद्धा से शनिदेव की पूजा-अर्चना करता है, वह शनिदेव की कुदृष्टि से बचा रहता है।

लेकिन इसके विपरीत यदि व्यक्ति से भूल से भी कोई एेसा काम हो जाए जो शनिवार को करना वर्जित माना जाता है तो शनिदेव व्यक्ति को कठोर से कठोर सजा देते हैं। तो आईए आपको बताएं कुछ एेसी चीजों के बारे में जिनके सेवन से नहीं बल्कि खरीदने से ही शनिदेव रुष्ट हो जाते हैंं।

शनिवार के दिन इन वस्तुओं को खरीदने से करें परहेज़ :

१.तेल, २.काले तिल, ३.नमक ४.काले रँग के जूते ५.काले रँग के कपड़े ६.इलेक्ट्रॉनिक वस्तु न ख़रीदें ७.स्याही न ख़रीदें ८.लोहे से बनी वस्तु न ख़रीदें ९.कैंची १०.
तेल खरीदने से बचें, शनिवार के दिन तेल खरीदने से बचना चाहिए। इस दिन सरसों या किसी भी पदार्थ का तेल खरीदने से व्यक्ति कई रोगों से ग्रस्त हो सकता है।

काले तिल खरीदने से बचें

शनिवार को काले तिन खरीदने की वजह से जरूरी कार्यों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि काले तिल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं लेकिन काले तिल की खरीदार शनिवार के अलावा किसी अन्य दिन ही करें।

नमक खरीदने से करें परहेज

निवार के दिन कभी नमक न खरीदें। इस दिन नमक खरीदने से कर्ज में बढ़ौतरी की संभावना बढ़ जाती है।

काले रंग के जूते/कपड़े

शनिवार के दिन भूलकर भी काले रंग के जूते नहीं खरीदने चाहिए। इस दिन खरीदे गए काले रंग के जूते पहनने से हर किए काम में असफलता मिलने लगती है। इसके अलावा शनिवार को काले रंग के कपड़े भी न खरीदें।

इलेक्‍टॉनिक सामान

शनिवार के दिन किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। शनिवार का दिन इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी के लिए अशुभ माना जाता है।

स्याही, शनिवार के दिन स्याही (पैन) नहीं खरीदनी चाहिए। शनिवार के दिन खरीदी गई स्याही से इंसान अपयश की ओर बढ़ता जाता है।

लोहे से बनी चीजें

शनिवार के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु बिल्कुल भी न खरीदें। इस दिन लोहे से बनी वस्तुएं खरीदने से परहेज करना चाहिए।

कैंची

शनिवार के दिन कैंची न खरीदें। शनिवार के दिन कैंची खरीदने से रिश्तों में तनाव आने लगता है।

इस के अलावा यदि शनिदेव की कृपा पानी चाहते हैं तो शनिदेव के इन मंत्रो को जाप करें।

क्षमायाचना शनि मन्त्र :

आपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्र्य मेव च आगता:
सुख संपत्ति पुण्योहम तव दर्शनात ।।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए शनि मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलाहपरिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।
शनैनार्मनि पत्नीनामेतानि संजपन पुमान।
दुखानि नाश्येनितम्म सौभगयमेधतेे सुखमं।।

शनि देव की आराधना :

शनि देव की आराधना करने के लिए अलग मंत्र है। जब आप शनि पूजा कर रहे हैं तब आपको इस मंत्र के साथ उन्हें चंदन लेपते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

भो शनिदेव: चन्दनम दिव्यं गंधादय सुमनोहरम।
विलेपन छायात्मज: चन्दनम प्रति गृह्यन्ताम।।

पता :

A27, शनी देव मन्दिर, उदयपुर मार्ग, सैंथि, बापू नगर, चितौढ़गढ़, राजस्थान, पिनकोड : 312025 भारत।

हवाई मार्ग सर कैसे पहुँचें :

हवाईजहाज से उदयपुर में निकटतम हवाई अड्डे को महाराणा प्रताप हवाई अड्डा कहा जाता है जो शहर के केंद्र से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है। यह दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और जयपुर सहित भारत के सभी प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जेट एयरवेज, इंडियन एयरलाइंस, एयर डेक्कन और किंगफिशर एयरलाइंस कुछ लोकप्रिय एयरलाइंस हैं जिनकी उदयपुर से और के लिए दैनिक उड़ानें हैं।

एक बार जब आप हवाई अड्डे पर पहुँच जाते हैं, तो आप कैब किराए पर ले सकते हैं या प्री-पेड टैक्सी बुक कर सकते हैं जो हवाई अड्डे और शहर के बीच यात्रा करने के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग से कैसे पहुँचें :

ट्रेन से उदयपुर रेल के एक विशाल नेटवर्क पर स्थित है जो इसे भारत के प्रमुख शहरों जैसे जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, मुंबई और कोटा से जोड़ता है। प्रतिदिन चलने वाली कुछ लोकप्रिय ट्रेनों में मेवाड़ एक्सप्रेस, ग्वालियर-उदयपुर एक्सप्रेस, बांद्रा-उदयपुर एसएफ एक्सप्रेस, चेतक एक्सप्रेस और अनन्या एक्सप्रेस हैं। वास्तव में, प्रसिद्ध और शानदार पैलेस ऑफ व्हील्स भी उदयपुर में एक निर्धारित पड़ाव बनाता है। एक बार जब आप स्टेशन पहुंच जाते हैं, तो आप शहर में कहां उतरना चाहते हैं, इसके आधार पर आप टैक्सी या ऑटो-रिक्शा किराए पर ले सकते हैं। किराया कवर किए गए किलोमीटर की संख्या पर निर्भर करेगा।

सड़क मार्ग सर कैसे पहुँचें :

बस से अपने शहर से उदयपुर के लिए सबसे अच्छा मार्ग सुनिश्चित नहीं है। इसे रूटप्लानर पर खोजें। दिल्ली कशमीरीगेट के ISBT अंतर्राज्यीय बस अड्डे से अपनी कार य्या बस द्वारा आते हैं तो वाया किलोमीटर की दूरी तय करके घण्टे मिनेट्स में पँहुँच जाओगे शनिदेव के मन्दिर।

शनि देव महाराज जी की जय हो। जयघोष हो।।

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