@ सिद्धार्थ पाण्डेय गुवा झारखंड
दिघा का इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट सेंटर (आईडीसी), बाईहातु व दोदारी का आसन्न ग्रामीण जलापूर्ति योजना (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) व छोटानागरा के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र वर्तमान में शोभा की बस्तु बनी हुई है।
ऐसे तो सारंडा 700 पहाड़ियों की घाटी, साल पेड़ों की विशाल वन श्रृंखला, प्राकृतिक झरने व नदी-नालें, सन राइज व सन सेट, प्राकृतिक खूबसूरती, लौह व मैंगनीज अयस्क रूपी खनिज संपदा, आदिवासियों की कला-संस्कृति व पर्यावरण प्रेम, हाथियों व अन्य वन्य प्राणियों की शरणस्थली आदि के लिए जाना जाता है ।
झारखण्ड सरकार की विफलताओं को दिघा का आईडीसी सेंटर, छोटानागरा का सरकारी अस्पताल व बाईहातु व दोदारी का जलमीनार इंगित कर रहा है । केन्द्र व राज्य सरकार ने उक्त तीनों भवनों अथवा ढांचा का निर्माण कर करोड़ों रुपये जरूर खर्च किए हैं । हालांकि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सारंडा के वनवासियों को इसका लाभ शून्य मिल रहा है ।
बताया जाता है कि वर्ष 2011 में पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने सारंडा के दिघा गांव में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के माध्यम से लगभग 5.40 करोड़ रुपये की लागत से 26,000 वर्ग फुट क्षेत्र में (विभिन्न विभागों के 26 कमरा) आईडीसी सेंटर का निर्माण करवाया था ।
बाईहातु आसन्न ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर लगभग आठ करोड़ रुपये खर्च कर छोटानागरा पंचायत के 10 गांवों में व दोदारी आसन्न जलापूर्ति योजना पर लगभग 14.38 करोड़ रुपये खर्च कर गंगदा पंचायत के 14 गांवों में घर-घर शुद्ध पेयजल आपूर्ति करना था । लेकिन इस योजना के तहत ग्रामीणों को कोयना नदी की लाल व दूषित पानी बिना फिल्टर किये ही आपूर्ति की जा रही है ।
2021 में बनी छोटानागरा का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जहां आज तक सारंडा के मरीजों का इलाज प्रारंभ नहीं हुआ है । स्वास्थ्य विभाग इस नए भवन को अब तक अधिग्रहण नहीं कर पाई है । भवनों पर सरकार व जनता के टैक्स के करोड़ों रुपये बर्बाद हो गये हैं, लेकिन इसका लाभ जनता को अब तक शून्य मिला ।