” तुझ में खोया कितना मसरूफ़ है दिल ” कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से…

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तुझ में खोया कितना मसरूफ़ है दिल ” कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से…

तुझ में खोया कितना मसरूफ़ है दिल,
जब से देखा तुझे, है एक ही मुश्किल,
इसने कभी ये जाना नहीं,
कब से तुम ज़िन्दगी में शामिल,
न साथ तेरे ये रह सके,
दूर जाना भी नहीं मुमकिन,
तुम ही कुछ कह दो कभी,
कितना मैं करूँ इंतज़ार,
और किस तरह करूँ ऐतबार,
के मिल ही जाये इस बार,
वो ख़ूबसूरत बहुत,
तेरे क़रीब मेरी मंज़िल…!!

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