आमजन को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाना हमारी पहली प्राथमिकता : डॉ. सुबोध अग्रवाल

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@ जयपुर राजस्थान

अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि जल गुणवत्ता बनाए रखना हमारी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने आमजन को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए विभाग के इंजीनियर्स तथा रसायनज्ञों को साथ मिलकर समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए। डॉ. अग्रवाल शुक्रवार को राज्य स्तरीय प्रयोगशाला के चार दिवसीय जल गुणवत्ता कार्यक्रम के प्रशिक्षण शिविर के समापन सत्र में विभाग के रसायनज्ञों को सम्बोधित कर रहे थे।
 
उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभाग के रसायनज्ञों एवं तकनीकी कर्मचारियों को एन.ए.बी.एल. निरंतरता तथा जल गुणवत्ता के लिए प्रयुक्त होने वाली नवीनतम तकनीकों के बारे में नीरी, नागपुर के वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण में नीरी, नागपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रणव, डॉ. पवन तथा डॉ. अतुल ने गुणवत्ता के बारे में एवं नवीनतम जांच उपकरणों तथा विश्लेषण विधियों के बारे में बताया गया।राज्य प्रयोगशाला में कुल चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिनमें करीब 40 रसायनज्ञों तथा तकनीकी स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया।
 
राज्य की समस्त 33 प्रयोगशालाओं को एन.ए.बी.एल. मान्यता प्राप्त है। इन प्रयोगशालाओं के एन.ए.बी.एल. निरंतरता हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है, जिससे कि समय-समय पर एन.ए.बी.एल. प्रमाणपत्रें का नवीनीकरण सुनिश्चित हो सके।उक्त प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षणार्थियों को मौके पर विभिन्न उपकरणों से नवीनतम जांच विधियों के बारे में जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया गया।
 
प्रशिक्षण शिविर में यूनिसेफ के वाश अधिकारी श्री नानक संतदासानी भी उपस्थित रहे। इन्होने यूनिसेफ द्वारा प्रयोगशालाओं को दिए जा रहे तकनीकी सहयोग की जानकारी दी और स्वच्छ पानी मुहैया करवाने हेतु वाटर सेफ्टी प्लानिंग पर ज़ोर दिया, साथ ही वाटर क्वालिटी टास्क फोर्स बनवाने की हिदायत भी दी
 
शिविर को मुख्य रसायनज्ञ एच. एस. देवेन्दा ने स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की सुनिश्चितता पर ज़ोर देते हुए कार्यक्रम को सम्बोधित कर विभाग में किये जा रहे विभिन्न नवाचारों की जानकारी दी। प्रशिक्षणार्थियों को फील्ड में आ रही विभिन्न समस्याओं का समाधान मौके पर ही डॉ. भावना त्रिवेदी ने किया, जिससे कि एन.ए.बी.एल. प्रमाण पत्र की निरंतरता सुनिश्चित हो सकेगी।
 
राज्य की समस्त 33 जिलास्तरीय प्रयोगशालाओं को एन.ए.बी.एल. प्रमाणित हो जाना, राज्य के लिए बहुत ही गर्व की बात है। एन.ए.बी.एल. प्रमाणपत्र से प्रयोगशालाओं द्वारा किये जाने से राष्ट्रीय स्तर पर प्रामाणिक होने से आम समुदाय में विभाग द्वारा किये जाने वाले जल गुणवत्ता के टेस्ट में बढ़ोतरी हो रही है तथा आम समुदाय को जल गुणवत्ता के प्रिवेंटिव उपाय हो सकेंगे। एन.ए.बी.एल. की निरंतरता बनाये रखने में जो समस्याएं आती है उनके निराकरण के उपाय बताये गए।

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