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” और हम मिले भी नहीं ” कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से…
और हम मिले भी नहीं
किसी बात ने किया
कभी इतना तन्हा नहीं,
के मिले उन से और हम मिले भी नहीं,
ख़्वाब में पहली बार
कल उन्हें देखा,
वही आहट, वही मुस्कुराहट, वही सवाल निगाहों में,
मिलना और फ़िर कहीं खो जाना,
हक़ीक़त में मानी हर बात मैंने,
मगर अब ये जाना,
मेरे तो ख़्वाब भी
उनकी ही सुना करते हैं,
उनको ही देखा करते हैं,
एक मुलाक़ात ने किया,कभी इतना तन्हा नहीं,
के मिले उन से
और हम मिले भी नहीं…
बहुत सुंदर और रूमानी।
बहुत शुक्रिया सर
वाह, अनुरागी मन का मधुर प्रीत राग!! शुभकामनाएं ❤❤❤💐💐💐🌹🌹
बहुत शुक्रिया आपका 💐
Bahut Khoob👍👍
Thank you Sir
बहुत ही सुंदर कविता।
Thank you.