देवी मन्दिर पानीपत, हरियाणा भाग: २४६,पँ० ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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भारत के धार्मिक स्थल : देवी मन्दिर पानीपत, हरियाणा भाग: २४६

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा श्री साईँ मन्दिर, सेक्टर २२, द्वारका, दिल्ली! यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप प्रजा टुडे की वेबसाईट http://www.prajatoday.com पर जाकर धर्म साहित्य पृष्ठ पर जाकर पढ़ सकते हैं! आज हम आपके लिए लाएं हैं।

भारत के धार्मिक स्थल : देवी मन्दिर, पानीपत, हरियाणा भाग: २४६

देवी मन्दिर पानीपत शहर, भारत वर्ष के हरियाणा राज्य में स्थित है! देवी मन्दिर देवी दुर्गो को समर्पित है! यह मन्दिर पानीपत शहर का मुख्य मन्दिर है तथा पर्यटकों को और श्रद्धालुओं को बहुत आकर्षित करता है! यहाँ मन्दिर एक तालाब के किनारे स्थित है जो कि अब सूख गया है और इस सुखे हुए तालाब में एक पार्क का निर्माण किया गया है जहाँ बच्चे व बुज़ुर्ग सुबह शाम टहलने आते है! इस पार्क में नवरात्रों के दौरान रामलीला का आयोजन भी किया जाता है जो कि लगभग १०० से अधिक वर्षो से किया जाता रहा है!

देवी के मन्दिर में सभी देवी देवताओं कि मूर्तियाँ प्राण- प्रतिष्ठित हैं तथा मन्दिर में एक यज्ञशाला भी है! मन्दिर का पुनः निर्माण किया गया है जो कि बहुत ही सुन्दर तरीके से जो कि भारतीय वास्तुकला की एक सुन्दर छवि को दर्शाता है! इस मन्दिर में भक्त दर्शनों के लिए लगभग पुरे भारत से आते हैं! ऐसा माना जाता है कि इस मन्दिर का इतिहास लगभग २५० वर्ष पुराना है! इस मन्दिर का निर्माण १८वीं शाताब्दी में किया गया था!

१८वीं शताब्दी के दौरान, मराठा इस क्षेत्र में सत्तारूढ़ थे, मराठा योद्धा सदा शिव राव भाऊ अपनी सेना के साथ युद्ध के लिए यहाँ आये थे! सदा शिव राव भाऊ अफ़गान से आया अहमदशाह अब्दाली जो कि आक्रमणकारी था के खिलाफ युद्ध के लिए यहाँ लगभग दो महीने रूके थे!

ऐसा माना जाता है कि सदाशिवराव को लिए देवी की मूर्ति तालाब के किनारे मिली थी, तब सदाशिवराय ने यहाँ मन्दिर बनाने का फैसला किया!

ऐसा माना जाता है कि जब मन्दिर का निर्माण किया जा रहा था तो देवी की मूर्ति को रात को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखा गया था परन्तु सुबह मूर्ति उसी स्थान मिली थी जहाँ से उसे पाया गया था! तब यहाँ यह निर्णय लिया गया कि मन्दिर उसी स्थान पर बनाया जाये जहां देवी की मूर्ति मिली है!

देवी मन्दिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है! इस दिन मन्दिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है! मन्दिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल को सुख और दिमाग को शाँति प्रदान करता है! माँ के भक्तोँ की मानें तो सच्चे मन से की गई दुआ अवश्य क़ुबूल होती है! निर्धन को धन, निसन्तान को औलाद, रोगी निरोगी होकर स्वस्थ हो जाते हैं दुर्गा देवी का जयघोष करते हैं! यहाँ बड़े बड़े गायक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर माँ के दरबार में हाज़री लगाते हैं!

देवी स्तुति :

माँ दुर्गा अपने भक्तों के दुःख दर्द दूर करती हैं। माँ दुर्गा बहुत ही दयालु है और दुश्मनों का नाश करती हैं। सदाचारियों का माँ सदा ही उद्धार करती हैं। नवरात्रा के समय माँ की स्तुति बहुत ही लाभदायक है। नित्य माँ दुर्गा की स्तुति से माता रानी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं जिससे सारे दुःख दर्द दूर हो जाते हैं। माँ दुर्गा की स्तुति नित्य स्नान करके सुद्ध वातावरण में माता रानी की मूर्ति के समक्ष की जानी चाहिए।

दुर्गा स्तुति का पाठ संकल्प और न्यास के साथ इसके उच्चारण से हमारे अंदर एक रासायनिक परिवर्तन होता है, जो आत्मिक शक्ति और आत्मविश्वास को शिखर पर पहुंचाने की ताकत रखता है। दुर्गा स्तुति से हमारी आंतरिक ऊर्जा का विस्तार होता है।

माता दुर्गा की महिमा : माता दुर्गा को आदि शक्ति माना जाता है। माँ दुर्गा पार्वती जी का ही रूप हैं। उपनिषदों में माँ के बारे में वर्णन मिलता है। उमा हैमवती के नाम से माता की महिमा का वर्णन उपनिषदों में मिलता है। देवताओं की प्रार्थना पर माँ ने अवतार लिया जिससे असुरों का अंत किया जा सके। माता दुर्गा के द्वारा असुरों का संहार करने के कारन ही युद्ध की देवी के रूप में पूजा जाता है। देवताओं ने सामूहिक रूप से माँ पार्वती का आह्वान किया और माँ ने दुर्गा रूप धारण किया और समस्त असुरों का अंत किया। ऐसी मान्यता है की माँ ने दुर्गेश नाम के राक्षक अंत करके “दुर्गा” नाम धारण किया। ब्रह्मवैवर्त पुराण में माता के सोलह नामों की जानकारी मिलती है। माता दुर्गा के सोलह नाम हैं – दुर्गा, नारायणी, ईशाना, विष्णुमाया, शिवा, सती, नित्या, सत्या, भगवती, सर्वाणी, सर्वमंगला, अंबिका, वैष्णवी, गौरी, पार्वती, और सनातनी। दुर्गा शप्तशती में माता के नाम हैं – ब्राह्मणी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति, रक्तदन्तिका।

माँ दुर्गा के नाम से समस्त विषय विकारों का अंत होता है, दुर्गा शब्द से आशय है की समस्त आसुरी शक्तियों का अंत करने वाली। समस्त दुःख दर्द, शोक, भय का नाश होता है माँ दुर्गा के नाम के जाप से। माँ दुर्गा के नाम से ही समस्त नकारात्मक शक्तियों और क्लेश का अंत होता है। समस्त शक्तियों का वरदान और सिद्धि देनी वाली शक्ति है माता दुर्गा।

माता दुर्गा को शिव प्रिया कहा जाता है क्यों की एक तो माता रानी को पार्वती जी का अवतार माना जाता है और दूसरा शिव के नाम के समान ही माता जी के नाम का अर्थ है कल्याणकारी और शुभ शक्तियों का पोषण करने वाली माता।

माँ दुर्गा के रूप : शास्त्रों में माँ दुर्गा के ९ रूप माने गए हैं। माता दुर्गा जो जगत जननी है, उनके रूप निम्न है। नवरात्रों में माँ के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी सिद्धिदात्री!
माँ दुर्गा सदा अपने भक्तों पर ऐसे दया भाव दिखाती हैं जैसे कोई माँ अपने बच्चों को प्रेम से रखती है। भक्तों के समस्त दुखों का अंत होता है। माँ के मन्त्र है जिनसे माँ की स्तुति की जाती है निम्न है –

घर में सुख सुविधा और वैभव प्राप्ति, संतान प्राप्ति और संपत्ति के लिए माँ दुर्गा के निम्न मंत्र का जाप फलदायी है।

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यंति न संशय॥
माँ दुर्गा का कल्याणकारी मंत्र है जो समस्त बाधाओं का अंत करता है और जीनव में कल्याण लाता है।
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
यदि कोई जातक आर्थिक रूप से संकटों से घिरा है, विपन्नता उसका पीछा नहीं छोड़ रही है, व्यापार में लगातार घाटा प्राप्त हो रहा है तो माता रानी के निम्न मंत्र के जाप से लाभ प्राप्त होता है।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥
यदि आप आकर्षण चाहते हैं तो माता रानी की निम्न मंत्र का जाप करें।
ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही सा,
बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति
समस्त संकटों और विपत्तियों के नाश के लिए माता रानी के इस मंत्र से मिलेगी माता रानी की विशेष कृपा और होगा समस्त विपत्तियों का नाश।
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
शक्ति प्राप्त करने के लिए माता रानी के निम्न मंत्र का जाप करें।
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥
रक्षा पाने के लिएमाता रानी के निचे दिए गए मंत्र का जाप करे।
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति माता रानी के दिए गए मंत्र का जाप करें।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
भय नाश के लिए माता रानी की इस मंत्र का जाप करे सभी आसुरी शक्तियों का नाश होगा।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥
महामारी नाश के लिए माता रानी के इस मंत्र का जाप करे।
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
सुलक्षणा पत्‍‌नी की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें।
पत्‍‌नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
पाप नाश के लिए इस मंत्र का जाप करें।
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽन: सुतानिव॥

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्य भिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु छाया-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू लज्जा-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु व्रती-रुपेणना संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु स्मृती-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु भ्राँति-रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इन्द्रियाणा मधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या |
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ||

चितिरुपेण या कृत्स्नम एतत व्याप्य स्थितः जगत
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

भारतवर्ष के इन्दिरगाँधी अंतरराष्ट्रीय से आप कैब द्वारा ८७ किलोमीटर्स यात्रा करके २ घण्टे १५ में हवाईअड्डे देवी मन्दिर पानीपत, हरियाणा पहुँच जाओगे!

रेल मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

रेल द्वारा आप पानीपत उतर कर पैदल अथवा ऑटो साईकल रिक्शा या विक्रम या कैब से भी जा सकते हैं देवी मन्दिर पानीपत, हरियाणा पहुँच जाओगे!

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

अंतर्देशीय बस स्थानक यानी ISBT से आप तक़रीबन घण्टे में राष्ट्रीय राजमार्ग NH:४४ द्वारा ८६.५ किलोमीटर की यात्रा तय करके बस अथवा स्वयँ की कार द्वारा देवी मन्दिर पानीपत, हरियाणा पहुँच जाओगे!

देवी माँ की जय हो! जयघोष हो!!

One thought on “देवी मन्दिर पानीपत, हरियाणा भाग: २४६,पँ० ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

  1. . अदभुत – वर्णन माॅ का🙏🙏🙏🙏🎉🎉🎉🎉

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