DKD द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का चम्पाधार, कठूली, जाखणीधार में आयोजन

@ प्रजा दत्त डबराल देहरादून उत्तराखंड :-

27 एवं 28 फरवरी 2.25 को स्थान चम्पाधार, कठूली, जाखणीधार विकासखण्ड टिहरी गढ़वाल में लघु एवं सीमान्त किसानों की क्षमता निर्माण हेतु जलवायु अनुकूलन कृषि प्रणालियों एवं नई तकनीकियों की जानकारी उपलब्ध कराए जाने के सम्बन्ध में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

बैठक में परियेाजना क्षेत्र के 3. किसान उपस्थित थे। प्रशिक्षण के मुख्य रिसोर्स पर्सन श्री दिनेश भट्ट, सृष्टि सामाजिक संस्थान, उत्तरकाशी थे।

बैठक सत्र – प्रथम

बैठक का शुभारम्भ सर्वप्रथम सरस्वती वन्दना से हुई। वन्दना उपरान्त परिचय सत्र में उपस्थित सभी प्रतिभागियों द्वारा परिचय दिया गया। परिचय सत्र के बाद परियोजना एसोसिऐट द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि डालियांे का दगड़िया (डी.के.डी.) संस्था द्वारा परियोजना क्षेत्र के 15 गांवों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों को सम्बोधित करने तथा उनके समाधान और निदान के लिए बच्चो का समूह, युवाओं का समूह, किसानों का समूह तथा समुदाय आधारित जलवायु रिजिलियन्स समितियों का गठन किया गया है।

इन सभी समूहों का गठन करने का मुख्य उद्देश्य यह था कि सभी अपने -अपने गांवों का पर्यावरणीय मुद्दों की पहचान करके जलवायु परिवर्तन एक्शन प्लान तैयार कर समाधान हेतु जिला स्तर तक पहुंचाना मुख्य रूप से है। उन्होंने भविष्य में परियोजना आगे भी सुचारू रूप से चलती रही, उस पर भी sustainability रणनीति तैयार करने की बात कही। बाल गु्रप बच्चों द्वारा जागरूकता गीतों के माध्यम से अपने गांव की खेती, जंगल के बचाव का सन्देश दिया गया।

आशाराम ममंगाई, परियोजना फील्ड फैसिलिटेटर ने 15 गांवों के सहभागी स्प्रिंगशेड के अन्तर्गत किए गए वर्षा संग्रहण करने वाली तकनीकियों के बारे में बताया गया कि इन तकनीकियों के माध्यम से वर्षा के पानी को भूमिगत में संचय व संरक्षण कर गांवों के धारों, और कुंओं में कम होते पानी की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है।

किरन रावत, परियोजना फील्ड फैसिलिटेटर द्वारा सी.आर.यू. परियोजना के अन्तर्गत .2 सालों में 15 गांवों में किए गए कार्यक्रमों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। उन्होने बताया कि आज परियोजना क्षेत्र के 15 गांवों के बच्चे अपने अधिकारों के बारे में जान गए है और स्कूलों में भी इन अधिकारों का प्रचार-प्रसार करने का कार्य किया गया है। गांव के युवा बैठकों में अपने अपने गांवों के पर्यावरण संरक्षण, वनाग्नि रोकथाम, प्लास्टिक उन्मूलन तथा खेल मैदान आदि पर चर्चाऐं करते है और इन चर्चाओं को पंचायत बैठकों तथा जिलास्तर पर प्रस्तावों के माध्यम से पहुंचाने का कार्य कर रही है।

डा. मोहन सिंह पंवार, निदेशक, सी.आर.यू. परियोजना ने कहा कि आज वर्तमान में वो ही लोग सशक्त है जो कि संगठनों के साथ जुड़कर अपने गांव, समाज, जिला व राज्य का विकास कर रहे है। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों को अपने आप स्वयं में सशक्त होने की बात कही गई। उनके द्वारा संगठनों के आपस में मिलजुल कर किया गया अमूल दूध और लिज्जत पापड़ स्वरोजगार का उदाहरण देते हुए कहा कि आज अमूल का निर्यात 1.2 देशों मंे किया जा रहा है तथा लिज्जत पापड़ के नाम से हर निवासी जानता है।

इसलिए संगठन में इतनी मजबूती है जो कि कई बड़े कार्य करने में सक्षम है। उन्होने लघु एवं सीमान्त किसानों को कहा कि वह किसी पर निर्भर नहीं है वह अपने खेती से स्वयं व अपने परिवार के लिए भोजन एकत्रित कर सकता है। कोरोना काल 2.19 का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि जितने भी लोग बाहर शहरों में रह रहे थे उन सभी के द्वारा अपने – अपने गांवों की ओर रूख किया किन्तु जो किसान या उसका परिवार गांवों में रह रहा था वह स्वस्थ और अपनी खेती पर आश्रित होकर सुखी से रहा। उन्होने कहा कि सरकार के कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, पशुपालन विभाग, सिंचाई विभाग आदि द्वारा किसानों के लिए कई नई योजनाऐं हर साल बनाई जाती है जिसका लाभ प्रत्येक किसान अपने हित में ले सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक किसान अैर सी.बी.सी.आर.सी. सदस्यों को अपने सीमावर्ती विभागों की जानकारी होना आवश्यक है जिससे वह समय-समय पर योजनाओं को लाभ ले सकें। उन्होंने यह भी कहा कि डी.के.डी. संस्था द्वारा जो भी परियोजनाऐं चलाई जाती है उन सभी का एक समय निर्धारित रहता है, इसलिए आज से सभी अपने को सशक्त करें और जो भी ज्ञान व जानकारी संस्था द्वारा मिली है उन सभी लाभों को सरकारी विभागों से लेने की प्रक्रिया को जाने व समझे।

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