एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज इंडिया के सीईओ ने महिला सशक्तिकरण के लिए भागीदारी

@ नई दिल्ली :-

SOS Children’s Villages India ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में, देशव्यापी पहल के तहत अपने 32 बाल गांवों में ‘कार्रवाई में तेजी’ की थीम पर आधारित पैनल चर्चा का आयोजन किया। इन चर्चाओं में विभिन्न क्षेत्रों की प्रेरणादायक महिला नेतृत्वकर्ताओं ने भाग लिया। इस दौरान, एनजीओ के सीईओ सुमंत कर ने भागीदारी, कौशल विकास एवं लैंगिक समानता के ज़रिये महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने को चर्चा का मुख्य विषय बनाया। इस पहल ने इस बात को उजागर किया कि, वित्तीय स्वतंत्रता, शिक्षा की सुलभता और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देकर सभी की बराबरी वाले समाज को आकार देने में महिला देखभालकर्मियों और एसओएस माताओं की भूमिका बेहद अहम है।

SOS Children’s Villages India ने परिवारों को सशक्त बनाने वाले अपने कार्यक्रमों और समग्र देखभाल के दूसरे उपायों के ज़रिये महिलाओं को आवश्यक कौशल और अवसर प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़कर काम किया है। इन कार्यक्रमों के ज़रिये 8706 से अधिक महिला देखभालकर्मियों को प्रशिक्षण एवं कौशल प्रदान किया गया है, जिससे उन्हें स्थायी रोजगार प्राप्त करने या खुद का व्यवसाय शुरू करने में मदद मिली है। केवल 2024 में ही 2770 महिलाओं ने सफलतापूर्वक अपने उद्यम की शुरुआत की है या स्थायी आय स्रोत प्राप्त किए हैं, और अब वे अपने परिवारों की वित्तीय सुरक्षा में योगदान दे रही हैं। फिलहाल संगठन में एसओएस माताओं की संख्या 318 हैं, जो इसके बाल गाँवों में बच्चों की परवरिश कर रही हैं तथा सहयोगी एवं सशक्त माहौल तैयार करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

SOS Children’s Villages India के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, सुमंत कर ने कहा, भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए बहुआयामी तरीकों को अपनाने की जरूरत है। तीन आवश्यक घटक: यानी भागीदारी, कौशल विकास और लैंगिक समानता इस सशक्तिकरण की बुनियाद हैं। सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने में इन घटकों की भूमिका बेहद अहम है, जहाँ महिलाएँ आगे बढ़ने के साथ-साथ अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सकती हैं। हम समाज को अधिक समावेशी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लिहाजा सही मायने में लैंगिक समानता को साकार करने के लिए इन प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक हो जाता है। SOS Children’s Villages India बड़ी संख्या में बालिकाओं एवं महिलाओं को शिक्षा और कौशल प्रदान करता है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनने की राह पर आगे बढ़ती हैं। हमने अपने कार्यक्रमों को विकसित भारत में सक्रिय योगदान देने के लिए डिज़ाइन किया है।

बीते एक साल के दौरान, एसओएस इंडिया के सामुदायिक कार्यक्रमों के तहत आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी 319.98 प्रतिशत बढ़ी है, जिससे आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलों के कारगर होने का पता चलता है।

महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और समाज में उनकी स्थिति को मजबूत करने में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सहायक रहे हैं। एसओएस इंडिया ने इस तरह के 1257 एसएचजी और महिलाओं की अगुवाई वाली पहलों को अपना सहयोग दिया है, जिससे महिलाओं को सामुदायिक विकास के लिए एक मंच तैयार हुआ है। इन पहलों ने महिलाओं को वित्तीय साक्षरता और कौशल प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने का आत्मविश्वास भी दिया है, जिसका प्रभाव उनके जीवन के अलावा समुदाय पर भी पड़ा है।

कर ने आगे कहा, भागीदारी महिलाओं के सशक्तिकरण की बुनियाद है। महिलाओं को परिवार या समुदाय के स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होना होगा, तभी उनकी आवाज़ सुनी जाएगी। समावेशन से महिलाएं निर्णयों को प्रभावित करने, विचारों में योगदान देने और अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने वाले समाधान तैयार करने में सक्षम होती हैं। शासन व्यवस्था, व्यवसाय और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी से एक नया नज़रिया मिलता है, जिससे समग्र रूप से समाज को बेहतर परिणाम मिलते हैं। चाहे जमीनी स्तर पर या किसी अन्य मंच के माध्यम से, महिलाओं को भाग लेने में सक्षम बनाना लैंगिक समानता की दिशा में एक आवश्यक कदम है।

पुणे की सुनीता भी इन पहलों के बेहद कारगर होने की एक और मिसाल हैं, जिन्हें परिवारों को सशक्त बनाने वाले हमारे कार्यक्रम का फायदा मिला और आज वे आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने कहा, मैं इस किराने की दुकान को चलाने में सक्षम बनी, जो मेरे लिए सिर्फ़ आजीविका का ज़रिया नहीं है, बल्कि यह तो मेरे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक कदम है। मैं बस इतना चाहती हूँ कि उन्हें अपने जीवन में बेहतर अवसर मिलें, और यह दुकान मुझे उस सपने को पूरा करने में मदद करेगी।

SOS Children’s Villages India ने महिलाओं के लिए समावेशी और उन्हें सक्षम बनाने वाले माहौल के निर्माण के अपने संकल्प को जारी रखा है, और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें अब तक इस दिशा में हुई प्रगति के साथ-साथ आगे किए जाने वाले कार्यों की याद दिलाता है। संगठन ने कौशल विकास, भागीदारी और लैंगिक समानता में कार्रवाई में तेजी लाकर एक ऐसे भविष्य के निर्माण का लक्ष्य रखा है, जहाँ हर महिला को आगे बढ़ने का अवसर मिले।

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