@ चंडीगढ़ हरियाणा :-
हरियाणा गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने पुलिस और अभियोजन अधिकारियों से दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या और मादक पदार्थ तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में सजा की दर बढ़ाने के लिए प्रयास तेज करने को कहा है।
‘चिन्हित अपराध’ पहल के तहत 25वीं राज्य स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने 61.5% की वर्तमान सजा दर को पार करने की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक में बताया गया कि राज्य ने फरवरी और मार्च 2025 के लिए इस पहल के तहत 117 नए मामलों को शामिल किया है और वर्तमान में 1,683 मामलों की सक्रिय निगरानी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सजा सुनिश्चित करने के लिए त्वरित, साक्ष्य-आधारित जांच और समय पर फोरेंसिक रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण हैं। डॉ सुमिता मिश्रा ने कहा कि पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। जांच या सुनवाई में देरी या लापरवाही से जनता का विश्वास कमजोर होता है।
उन्होंने जिला पुलिस अधिकारियों और अभियोजकों को आपसी तालमेल के साथ काम करने का निर्देश देते हुए, कुछ मामलों में विशेष अभियोजकों की नियुक्ति का सुझाव दिया ताकि अदालत में मजबूत पक्ष रखा जा सके। डॉ. मिश्रा ने गंभीर मामलों की नियमित निगरानी का आह्वान किया और किसी भी लापरवाही के लिए जवाबदेही तय करने की चेतावनी दी।
उन्होंने छह महीने से अधिक समय से लंबित गंभीर अपराधों की जिला-वार सूची तैयार करने का निर्देश दिया और कहा कि इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर देखा जाये, साथ ही उचित कानूनी रणनीति और प्रशासनिक निगरानी सुनिश्चित की जाए। डॉ. सुमिता मिश्रा ने अभियोजन टीमों को डिजिटल उपकरणों और प्रशिक्षण से लैस करने की आवश्यकता बताई, ताकि इलेक्ट्रॉनिक और फोरेंसिक साक्ष्यों को अदालत में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सके। इसके अतिरिक्त, उन्होंने हरियाणा में हाल ही में अपनाई गई गवाह संरक्षण नीति को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया, ताकि संवेदनशील मामलों में गवाहों को सुरक्षा और आत्मविश्वास मिल सके।
हरियाणा गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि जिला स्तरीय समितियों (DLCs) को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 346 का पालन हो, जिससे ‘चिन्हित अपराध’ मामलों की सुनवाई शीघ्रता से शुरू हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि सुनवाई के लिए तिथियां तय ब्लॉक की जाएं, जिससे बचाव पक्ष अनावश्यक स्थगन की मांग न कर सके।
बैठक के दौरान बताया गया कि मामलों की जांच को मजबूत करने के लिए, राज्य की फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) विशेष रूप से संवेदनशील मामलों में डीएनए और फोरेंसिक रिपोर्ट्स को तेज़ी से पूरा कर रही है। कुछ जिलों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है — फरीदाबाद, करनाल, डबवाली और फतेहाबाद ने 100% सजा दर हासिल की है। कुरुक्षेत्र, सिरसा और रेवाड़ी ने भी क्रमशः 75%, 78.57%, और 85% सजा दर के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि ‘चिन्हित अपराध’ पहल हरियाणा में सभी के लिए सुरक्षा, निष्पक्षता और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने का प्रतीक है।
बैठक में स्टेट क्राइम ब्रांच के एडीजीपी ममता सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुई। आईजीपी/सीआईडी मनीष चौधरी, डीआईजी/स्टेट क्राइम ब्रांच हामित अख्तर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।