गोयल ने पेट्रोलियम और विस्फोटक उद्योग तथा पीईएसओ के साथ हितधारक परामर्श बैठक की

@ नई दिल्ली

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में पेट्रोलियम, विस्फोटक, आतिशबाजी और अन्य संबंधित उद्योग के अग्रणी व्‍यक्तियों से जानकारी और फीडबैक प्राप्त करने के लिए हितधारक परामर्श बैठक की अध्यक्षता की। इसका उद्देश्य पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) के कामकाज में दक्षता बढ़ाना है। गोयल ने कहा कि पेट्रोलियम और विस्फोटक उद्योग के अनुपालन को सार्वजनिक सुरक्षा के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। हितधारक परामर्श उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा आयोजित किया गया था।

गोयल ने PESO द्वारा दिए जाने वाले लाइसेंसों के लिए महिला उद्यमियों के लिए 80 प्रतिशत तथा एमएसएमई के लिए 50 प्रतिशत लाइसेंस शुल्क में छूट की घोषणा की। उन्होंने PESO को निर्देश दिया कि वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) के साथ परामर्श करके सुरक्षा उपायों का खाका तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करे, जिससे 30 से 50 मीटर के दायरे में आबादी होने पर पेट्रोल पंपों की खुदरा दुकानों को चालू रखने की अनुमति मिल सके।

गोयल ने कहा कि सिलेंडरों के लिए क्यूआर कोड को गैस सिलेंडर नियम के मसौदे में शामिल किया गया है और जल्द ही अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया कि विस्फोटक, परिवहन और विनिर्माण के लिए लाइसेंस दस साल के लिए दिया जा सकता है या नहीं, इसका अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी; एक समिति लाइसेंस की वैधता को 10 वर्ष तक बढ़ाने के मुद्दे की जांच करेगी क्योंकि विस्फोटकों को छोड़कर सभी लाइसेंस दस साल की अवधि के लिए दिए जाते हैं।

प्रक्रियाओं को और अधिक युक्तिसंगत बनाने के लिए,  गोयल ने निर्देश दिया कि अधिक क्षेत्रों में तीसरे पक्ष की निरीक्षण एजेंसियों को शामिल करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि PESO द्वारा कुछ क्षेत्रों के लिए ऑनलाइन अनुमति मॉड्यूल विकसित किए जाएंगे जो अभी तक ऑफ़लाइन हैं। गोयल ने निर्देश दिया कि PESO में रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए।

पेट्रोल पंप लाइसेंस पेट्रोलियम नियम 2002 के फॉर्म XIV में जारी किए जाते हैं जबकि पेट्रोलियम खुदरा दुकानों के भीतर सीएनजी वितरण सुविधाओं के लिए लाइसेंस गैस सिलेंडर नियमों के फॉर्म जी में जारी किए जाते हैं। चूंकि दोनों लाइसेंस अलग-अलग नियमों और अधिनियमों के तहत हैं, इसलिए उसी पेट्रोल पंप में सीएनजी सुविधाओं के लिए लाइसेंस दिए जाने के बाद फॉर्म XIV में लाइसेंस में संशोधन भी किया जाना आवश्यक है। मॉड्यूल में आवश्यक बदलाव करके इस संशोधन को समाप्त कर दिया जाएगा। इससे अनुपालन बोझ कम होगा और साथ ही PESO का कार्यभार भी कम होगा।

परामर्श के दौरान उद्योग द्वारा दिए गए सुझावों और उठाए गए मुद्दों के जवाब में,  गोयल ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और संबंधित उद्योग संघों को उनके द्वारा दिए गए सुझावों का विवरण तैयार करने के लिए समितियां बनाने का निर्देश दिया। इन समितियों को सर्वोत्तम प्रथाओं और मानकों का अध्ययन करने तथा अनुशंसा करने का काम सौंपा गया था। उन्होंने इन उद्योग समितियों को प्रक्रियाओं में तेजी लाने और उन्हें सुव्यवस्थित करने के लिए नियामक नियमों और ढांचे की समीक्षा तथा संशोधन प्रस्‍तावित करने का सुझाव दिया। उन्होंने डीपीआईआईटी को उद्योग प्रतिनिधियों, PESO अधिकारियों, डीपीआईआईटी अधिकारियों, सीपीसीबी, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और तेल कंपनियों से मिलकर एक समिति बनाने का भी निर्देश दिया, जो सुझाए गए सुधारों पर समयबद्ध तरीके से काम करेगी।

PESO ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से डिजिटलीकरण और पारदर्शिता बढ़ाने, पूछताछ का त्वरित जवाब सुनिश्चित करने तथा समय पर एनओसी और लाइसेंस जारी करने की अनुशंसायें की गईं।

डीपीआईआईटी के अधीन एक अधीनस्थ कार्यालय PESO, विस्फोटक अधिनियम, 1884, पेट्रोलियम अधिनियम, 1934 के तहत स्थापित नियामक ढांचे को प्रशासित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के वर्षों में, PESO ने महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जिनमें कागज रहित लाइसेंसिंग प्रणाली की शुरुआत, सख्त अनुमोदन समयसीमा का पालन और तृतीय-पक्ष निरीक्षण एजेंसियों का एकीकरण शामिल है, जिसका उद्देश्य अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना और खतरनाक पदार्थों से निपटने वाले उद्योगों में सुरक्षा मानकों को मजबूत करना है।

हितधारकों के साथ विचार-विमर्श में पेट्रोलियम और विस्फोटक क्षेत्रों में अनुकूल विनियामक वातावरण को बढ़ावा देने की दिशा में सहयोगात्मक प्रयास को रेखांकित किया गया। डीपीआईआईटी अनुपालन बोझ को कम करने, व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देने और पूरे देश में उद्योग मानकों की सुरक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। डीपीआईआईटी ने हितधारकों के साथ चल रही बातचीत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और PESO के भीतर विनियामक प्रक्रियाओं को और अधिक कारगर बनाने के लिए फीडबैक को शामिल करने का संकल्प लिया। विनियमन के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाने, विनियामक निकायों के लिए क्षमता निर्माण और डिजिटल रूपांतरण को बढ़ाने की पहल को मंत्रालय के भविष्‍य की प्राथमिकताओं के रूप में रेखांकित किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

LIVE OFFLINE
track image
Loading...