जितिन प्रसाद ने रोमानिया की विदेश मंत्री ओआना-सिल्विया त्शोईयू के साथ द्विपक्षीय बैठक की

@ नई दिल्ली :-

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बुखारेस्ट में रोमानिया की विदेश मंत्री ओआना-सिल्विया त्शोईयू के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान हुई चर्चाओं में दोनों देशों के बीच व्यापार के विस्तार, निवेश आकर्षित करने और भारत-यूरोपीय संघ के व्यापक आर्थिक ढांचे के भीतर आपूर्ति श्रृंखलाओं की सामर्थ्य को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

दोनों पक्षों ने इस वर्ष चल रही वार्ताओं के लिए निर्धारित राजनीतिक दिशा के अनुरूप निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने की दिशा में कार्य करने पर सहमति व्यक्त की।

मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच स्थिर व्यापार और निवेश संबंधों की समीक्षा की। वित्त वर्ष 2024-25 में रोमानिया को भारत का निर्यात 1.03 अरब अमेरिकी डॉलर के पार चला गया जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में कुल द्विपक्षीय व्यापार लगभग 2.98 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था। दोनों पक्षों ने पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग सामग्रियों, दवाइयों और सिरेमिक जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में आपूर्ति-श्रृंखला से जुड़े संबंधों को और बढ़ाने तथा दोनों पक्षों की बाज़ार तक पहुंच में वृद्धि के लिए मानकों के निर्माण, परीक्षण और निवेश साझेदारी में सहयोग को सुगम बनाने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने उत्पादन में विविधता लाने तथा विश्वसनीय साझेदारों के रूप में मज़बूत और अधिक सामर्थ्यवान आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण के लिए मिलकर काम करने पर भी सहमति व्यक्त की ताकि दोनों देशों के व्यवसायों में स्थिरता आए और आपसी विश्वास सुनिश्चित हो सके।

भारत और रोमानिया के नेतृत्व के बीच हाल ही में हुई उच्च-स्तरीय वार्ता के आधार पर दोनों पक्ष नियमित रूप से विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से इस तरह की बातचीत में गति बनाए रखने पर सहमत हुए। उन्होंने व्यापार को सुव्यवस्थित करने, गतिशीलता से जुड़ा टूलकिट विकसित करने और अवसरों को ठोस परिणामों में बदलने के लिए निवेशकों तक पहुंच को मज़बूत करने के उद्देश्य से आगे की कार्रवाइयों के सिलसिले में आपसी तालमेल बनाने का भी निर्णय लिया।

जितिन प्रसाद की यह यात्रा भारत-रोमानिया आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता पर बल देती है जो व्यापार का विस्तार करेगी, निवेश प्रवाह बढ़ाएगी तथा दोनों अर्थव्यवस्थाओं के पारस्परिक लाभ के लिए कौशल आधारित गतिशीलता का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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