मेघाहातुबुरु और किरिबुरू लौह अयस्क खदानों के लिए स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की लगाई गुहार, सौंपा मांग पत्र

@ सिद्धार्थ पाण्डेय /चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम ) झारखंड

बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक, मेघाहातुबुरु) का एक प्रतिनिधिमंडल, दीपक कुमार राम (क्षेत्रीय सचिव, इंटक, मेघाहातुबुरु) के नेतृत्व में, जगन्नाथपुर के विधायक सोनाराम सिंकु से मिला। इस बैठक में सेल की किरीबुरु खदान के साउथ ब्लॉक और मेघाहातुबुरु खदान के सेंट्रल ब्लॉक के स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की अनुमति शीघ्र दिलाने की मांग की गई।

उन्होंने मांग पत्र में लिखा कि भारत इस्पात प्राधिकरण की प्रमुख इकाइयों में शामिल मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदान (1984 से) और किरिबुरू लौह अयस्क खदान (1964 से) निरंतर उत्पादन कर भारत के औद्योगिक विकास में योगदान दे रही हैं। वर्तमान में इन खदानों में लौह अयस्क का भंडार समाप्ति के कगार पर है। मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदान, केवल 3.3 मिलियन टन अयस्क शेष, जिससे मात्र 7-8 माह तक उत्पादन संभव। किरीबुरू लौह अयस्क खदान, लगभग 8 मिलियन टन अयस्क शेष, जिससे डेढ़ वर्ष तक उत्पादन किया जा सकता है।

आरएमडी के तहत उत्पादन और गुणवत्ता में शीर्ष पर रहने वाली इन खदानों की स्थिति आज निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। इससे 4,000 से 5,000 स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है, जिससे वे अपनी नौकरी खोने की आशंका से ग्रस्त हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली ने 2010 में 247.50 हेक्टेयर वन भूमि का स्टेज-1 डायवर्सन सशर्त अनुमोदित किया था। सेल प्रबंधन द्वारा सभी शर्तों का अनुपालन करने के बावजूद, अब तक स्टेज-2 क्लीयरेंस नहीं मिला है।

केंद्रीय एवं राज्य सरकार से अनुरोध है कि इस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए। मेघाहातुबुरु और किरीबुरू खदानों पर निर्भर सारंडा क्षेत्र के गाँव (कुमडी करमपदा, भनगर्गीय, नयागांव, बरायबुरू आदि) के लगभग 30,000-40,000 ग्रामीणों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है। इन खदानों की बंदी से इन परिवारों की आजीविका और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यदि 2024 में स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की मंजूरी नहीं मिली, तो ये खदानें बंद हो जाएंगी, जिससे हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों के जीवनयापन का संकट उत्पन्न हो जाएगा।

मेघाहातुबुरु खदान में मैनपावर की कमी को देखते हुए श्रम नियोजन द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए। अयस्क की कमी, उत्खनन की कठिनाइयों और इस्पात संयंत्रों की आवश्यकता को देखते हुए, सेन्ट्रल ब्लॉक में उत्खनन एवं उत्पादन शीघ्र शुरू किया जाए। सेल द्वारा माइनिंग कॉलेज की स्थापना कर क्षेत्र के युवाओं को कौशल विकास का अवसर प्रदान किया जाए, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक) केंद्र और राज्य सरकार से विनम्र आग्रह करती है कि मेघाहातुबुरु और किरिबुरू लौह अयस्क खदानों की समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए, 247.50 हेक्टेयर वन भूमि के स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की शीघ्र मंजूरी दिलाने की कृपा करें। इससे इन खदानों का उत्पादन सुचारू रूप से चलता रहेगा और हजारों कामगारों तथा उनके परिवारों को बेरोजगारी के संकट से बचाया जा सकेगा। हम इस समर्थन के लिए सदा आभारी रहेंगे।

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