निर्मला सीतारामन 1 मार्च 2025 को 49वें सिविल लेखा दिवस समारोह की मुख्य अतिथि होगी

 

@ नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री  निर्मला सीतारामन 1 मार्च 2025 को नई दिल्ली में भारतीय सिविल लेखा सेवा स्थापना दिवस के अवसर पर 49वें सिविल लेखा दिवस समारोह की अध्यक्षता करेंगी।

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उद्घाटन सत्र में भारत में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन का डिजिटलीकरण: परिवर्तनकारी दशक (2014-24) ” शीर्षक से सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली पर एक सार संग्रह भी जारी किया जाएगा। सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली-पीएफएमएस ऑनलाइन प्रणाली है जिसे लेखा महानियंत्रक द्वारा विकसित और कार्यान्वित किया जाता है।

यह भुगतान, रसीद, लेखा, नकदी प्रबंधन और वित्तीय रिपोर्टिंग सहित सरकार के वित्तीय प्रशासन का प्रमुख आईटी प्लेटफॉर्म है। पीएफएमएस ने सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण संचालित करने का डिजिटल बुनियादी ढांचा प्रदान किया है जो सरकार के प्रमुख सार्वजनिक व्यय प्रबंधन सुधारों में से एक है।सिविल लेखा सेवा स्थापना दिवस समारोह के दूसरे सत्र में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत: अगला दशक” विषय पर संबोधित करेंगे।

भारतीय सिविल लेखा सेवा की स्थापना 1976 में सार्वजनिक वित्तीय प्रशासन में महत्वपूर्ण सुधार के तहत की गई थी। 1 मार्च, 1976 को भारत के तत्‍कालीन राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार के खातों को लेखापरीक्षा कार्यों से अलग करने संबंधी अध्यादेश जारी किए थे। तब से लेखा महानियंत्रक के नेतृत्व में भारतीय सिविल लेखा सेवा वित्तीय प्रशासन में अग्रणी रहा है।

भारतीय सिविल लेखा सेवा के 49वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान यह लेखा संगठन डेटा-संचालित निर्णय लेने में उन्नत प्रौद्योगिकियों के इस्‍तेमाल, व्यापक डिजिटलीकरण द्वारा सेवा सुविधा बढ़ाने, सुरक्षित और कुशल वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुन:पुष्टि करेगा। सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली केंद्र सरकार के सम्‍पूर्ण बजट के लेखांकन और उसके बजटीय भुगतान के 65 प्रतिशत का कार्य संभालती है। यह भारतीय सिविल लेखा सेवा द्वारा किए जा रहे महत्‍वपूर्ण कार्यों को दर्शाता है।

समारोह में भारतीय सिविल लेखा संगठन के अधिकारी और कर्मचारी, केंद्र सरकार के सचिव, वित्तीय सलाहकार, व्यय विभाग और अन्य केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, सेवानिवृत्त आईसीएएस अधिकारी, बैंकों और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

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