@ सिद्धार्थ पाण्डेय गुवा/ जमशेदपुर झारखंड
जगन्नाथपुर विधानसभा के पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने उपायुक्त को पत्र लिखकर सूचित किया कि डीएमएफटी फंड से विद्यालयों के मरम्मत के नाम पर हो रही है व्यापक लूट।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि पश्चिमी सिंहभूम जिला में डीएमएफटी फंड से विद्यालयों की मरम्मती को लेकर विभिन्न विभागों द्वारा निविदा की गई है। विभाग वैसे विद्यालयों का मरम्मत करने का बात कह रही है। जो हाल के दिनों में ही शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों से मरम्मत अथवा रंग रोगन की जा चुकी है। मरम्मती के लिए जिन विद्यालयों की निविदा की गई है उसे ऐसा प्रतीत होता है कि योजना की स्वीकृति सिर्फ लूट के लिए ही की गई है।
निविदा के समय उपायुक्त कार्यालय के पास संवेदकों की मारपीट अत्यंत ही चिंताजनक विषय है। योजनाओं में व्यापक रूप से अत्यधिक राशि का प्राक्कलन के तहत लूट की योजना है। आदिवासी बहुल जिला में लूट की योजना पहला नहीं है। बिहार के समय भी पशुपालन घोटाला, वृक्षारोपण घोटाला से लेकर निरंतर जारी है। भोले-भाले ग्रामीणों के बीच मनमाने तरीके से ग्राम सभा कराई जाती है। योजनाओं के डुपलेटिंग उजागर होने पर ग्राम सभा में माथा पढ़ दिया जाता है। पूर्व के जिला में डीएमएफटी फंड की लूट जिस प्रकार से की गई है, यदि योजनाओं का प्राक्कलन निष्पक्ष रुप से देखा जाए तो लूट भी शरमा जाएगी। योजनाओं के कार्यावन्यन के लिए अत्यधिक प्राक्कलन राशि दर्शाई गई है।
उदाहरण स्वरुप ग्रामीण विकास विभाग, विशेष प्रमंडल अभियंता के कार्यालय चाईबासा द्वारा निविदा सूचना संख्या आर डी डी/ एस डी/ चाईबासा/06 2022-23 की योजना संख्या 16 नोवामुंडी प्रखंड के मोदी पंचायत के यूपीजी हाई स्कूल मोदी विद्यालय, नोवामुंडी प्रखंड के अभियंता कार्यालय, लघु सिंचाई प्रमंडल चाईबासा एम आई डी/ चाईबासा/ एफ 2-12/2022-23 योजना संख्या 11 के किरीबुरू पूर्वी पंचायत के युपीजी एमएस बरायबुरु विद्यालय के मरम्मती योजना का प्राक्कलन लूट को प्रमाणित कर रही है। इस प्रकार विभिन्न विभागों के माध्यम से डीएमएफटी फंड की लूट की योजना बनाई गई है। योजनाओं से बेखबर ग्राम सभा मूक दर्शक बन जाते हैं। साथ ही जनप्रतिनिधि इस लूट का हिस्सा बन जाते हैं।
योजनाओं में कुल संवेदक को छोड़कर 50 प्रतिशत की राशि लूट की जाती है। संवेदक अपना लाभ के चक्कर में योजनाओं में अनियमितता बरतते हैं। निविदाओं में पारदर्शिता का लवादा छोड़ कर भ्रष्ट पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलकर चहेते संवेदकों को कार्य दिला देते हैं। योजनाओं में की जा रही लूट किसी से छिपा नहीं है। लूट खुलेआम जारी है। इसे रोका जाना चाहिए। इस संबंध में संबंधित अभियंताओं पर भी नियंत्रण किया जाना चाहिए।