प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय आपदा रोधी अवसंरचना सम्मेलन 2025 को संबोधित किया

@ नई दिल्ली :-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय आपदा रोधी अवसंरचना सम्मेलन 2025 को संबोधित किया। सभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आपदा रोधी अवसंरचना सम्मेलन 2025 में भाग लेने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। यह सम्मेलन यूरोप में पहली बार आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने इस आयोजन में सहयोग के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति महामहिम इमैनुएल मैक्रों और फ्रांस सरकार का आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के लिए भी अपनी शुभकामनाएं दीं।

इस सम्मेलन के विषय ‘तटीय क्षेत्रों के लिए एक सुदृढ़ भविष्य को आकार देना’ पर प्रकाश डालते हुए, मोदी ने प्राकृतिक आपदाओं एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति तटीय क्षेत्रों व द्वीपों की संवेदनशील स्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल, कैरिबियन में तूफान बेरिल, दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान यागी, संयुक्त राज्य अमेरिका में तूफान हेलेन, फिलीपींस में तूफान उसागी और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चक्रवात चिडो सहित हाल की विभिन्न आपदाओं का हवाला दिया। मोदी ने जोर देकर कहा कि इन आपदाओं ने जान-माल को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे प्रतिरोधी अवसंरचना और सक्रिय आपदा प्रबंधन की आवश्यकता को बल मिलता है।

वर्ष 1999 के भीषण चक्रवात और 2004 की सुनामी सहित विभिन्न विनाशकारी आपदाओं से जुड़े भारत के पिछले अनुभवों को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारत ने सुदृढ़ता के साथ अनुकूलन एवं पुनर्निर्माण किया, संवेदनशील क्षेत्रों में चक्रवात संबंधी आश्रयों का निर्माण किया और 29 देशों को लाभान्वित करने वाली सुनामी चेतावनी प्रणाली की स्थापना में योगदान दिया।

आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) द्वारा 25 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ मिलकर आपदा रोधी घरों, अस्पतालों, स्कूलों, ऊर्जा प्रणालियों, जल सुरक्षा के उपायों और पूर्व चेतावनी प्रणालियों के निर्माण के लिए जारी कार्यों को रेखांकित करते हुए, मोदी ने प्रशांत, हिंद महासागर एवं कैरीबियाई क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति की सराहना की और गठबंधन में अफ्रीकी संघ की भागीदारी का स्वागत किया।

प्रमुख वैश्विक प्राथमिकताओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, प्रधानमंत्री ने 5 प्रमुख विषयों को रेखांकित किया। पहला, भविष्य की चुनौतियों से निपटने हेतु कुशल कार्यबल तैयार करने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा में आपदा रोधी पाठ्यक्रमों, मॉड्यूल एवं कौशल विकास के कार्यक्रमों को समन्वित करने का महत्व। दूसरा, उन्होंने आपदाओं का सामना करने वाले और सुदृढ़ता के साथ पुनर्निर्माण करने वाले देशों से प्राप्त सर्वोत्तम तरीकों और सीखों का दस्तावेजीकरण करने के हेतु एक वैश्विक डिजिटल संग्रह की आवश्यकता पर बल दिया।

मोदी ने आपदा से निपटने के लिए नवोन्मेषी वित्तपोषण की आवश्यकता पर जोर दिया तथा उन्होंने विकासशील देशों को आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने के लिए कार्यान्वित करने योग्य कार्यक्रम बनाने को तीसरी प्राथमिकता बताया। चौथा, प्रधानमंत्री ने छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को बड़े महासागरीय देशों के रूप में मान्यता देने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया तथा उनकी कमजोरियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।

पांचवीं प्राथमिकता का उल्लेख करते हुए, मोदी ने पूर्व चेतावनी प्रणाली एवं समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और समय पर निर्णय लेने एवं अंतिम छोर तक प्रभावी संचार की सुविधा स्थापित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं में इन आवश्यक पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने विकास में सुदृढ़ता की आवश्यकता पर बल देते हुए कठिन परिस्थितियों में स्थिर बनी रहने वाली अवसंरचना के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने दुनिया के लिए एक मजबूत और आपदा-प्रतिरोधी भविष्य के निर्माण की दिशा में वैश्विक प्रयासों का आग्रह करते हुए अपने संबोधन का समापन किया।

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