पुण्डरीक तीर्थ शिव मन्दिर पुण्डरी, कैथल, हरियाणा भाग: २३५,पँ० ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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भारत के धार्मिक स्थल : पुण्डरीक तीर्थ शिव मन्दिर पुण्डरी, कैथल, हरियाणा भाग: २३५

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा श्री चिट्टा हनुमान मन्दिर, यमुना नगर, हरियाणा! यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप प्रजा टुडे की वेबसाईट http://www.prajatoday.com पर जाकर धर्म साहित्य पृष्ठ पर जाकर पढ़ सकते हैं! आज हम आपके लिए लाएं हैं ।

भारत के धार्मिक स्थल :पुण्डरीक तीर्थ शिव मन्दिर पुण्डरी, कैथल, हरियाणा भाग: २३५

पुण्डरीक तीर्थ, पुण्डरी नामक यह तीर्थ कैथल से १५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है! इस तीर्थ का वर्णन वामन पुराण एवँ महाभारत में भी वर्णित है! महाभारत काल केअनुसार पुण्डरीक तीर्थ का वर्णन इस प्रकार से आता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक यहाँ स्नान करता है वो नर-नारी पुण्डरीक तीर्थ के यज्ञ के फल को प्राप्त करते हैं!

शुक्लपक्षो दशम्यांच पुण्डरीक समविशेत!
तत्र स्नात्वा नरो राजनपुण्ड्रिक फलं लभेत!

उक्त श्लोक से स्पष्ट है कि इस तीर्थ का स्नान ध्यान पूजा अर्चना, चैत्र मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को श्रेयस्कर होता है, अतः दशमी को यहाँ काफ़ी तादाद में श्रद्धालु यहाँ स्नान करने आते हैं! वामन पुराण में इस तीर्थ का सेवन स्नान करने वाले को उसी फल का विधान है! जिस फल विशेष का वर्णन महाभारत में है!

पौण्डरीके नरः स्नात्वा पुण्डरीक फलं लभेत!
दशम्यां शुक्लपक्षस्य चैत्रस्य तु विशेषतः!
स्नानँ जपं तथा श्राद्धम मुक्तिमार्ग प्रदायकं!

चैत्र मास की दशमी को इस तीर्थ में किया गया स्नान जप एवँ श्राद्ध मोक्ष पड़ को देने वाला होता है! महाभारत के सभा पर्व के पाँचवें अध्याय में पुण्डरीक नामक महायज्ञ का वर्णन है! लगभग ३५ एकड़ में फैला हुआ पुण्डरी तीर्थ परिसर कुरुक्षेत्र भूमी में स्थित विशाल तीर्थों में से एक है! सरोवर के पश्चिम तट पर घाट से लगे हुए सात उत्तर मध्यकालीन मन्दिर हैं! इन मन्दिरों की पुरानी आन्तरिक भित्तियों में पौराणिक एवँ महाकाव्यों के प्रसङ्ग पर आधारित, भीति चित्र हैं! जिनमें गोपियों सँग कृष्ण, मत्स्यावतार, नृसिंघअवतार,हनुमानजी, शेषशैय्या विराजे विष्णुजी शिवपार्वती प्रमुख हैं!

कैथल स्थित पूंडरी पुंडरीक यह प्राचीन एवं ऐतिहासिक पुंडरीक तीर्थ पानी को तरस रहा है! सरोवर के पश्चिमी तट के घाट पर अवस्थित सात मध्यकालीन मंदिर इस तीर्थ को भव्यता प्रदान करते हैं! कैथल-कस्बावासियों के अनुसार पुंडरीक तीर्थ में पिछले लगभग तीन वर्षों से जल नहीं है! जिस कारण श्रद्धालु इस तीर्थ में स्नान के महत्व से वंचित हैं!

कैथल-कस्बावासियों का कहना है कि अब पुंडरी का यह पवित्र तीर्थ द्यूत क्रीड़ा करनेवालों का सबसे सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है! तीर्थ पर जगह-जगह समूहों में कुछ लोग पत्ते खेलते सहज ही दिख जाते हैं! हालांकि पवित्र द्यूतक्रीड़ा सही नहीं है! अब कुछ दिनों से जल विहीन तीर्थ में युवा खेलते नजर आ रहे हैं! कैथल के कस्बावासियों की प्रशासन से मांग है कि इस तीर्थ में जल भरा जाए ताकि श्रद्धालु स्नान कर सकें! पुंडरीक नामक यह तीर्थ पूंडरी शहर में स्थित है! महाभारत के अनुसार इस तीर्थ में स्नान करने से मनुष्य पुंडरीक यज्ञ के फल को प्राप्त करता है!

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें:

फ्लाइट से चंडीगढ़ के भगत सिंह अँतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे उतर कर वहाँ से कैब द्वारा पहुँच जाओगे पुण्डरीक तीर्थ, शिव मन्दिर, पुण्डरी, कैथल, हरियाणा!

रेल मार्ग से कैसे पहुँचें:

रेल द्वारा कैथल रेलवे स्टेशन है! इस रेल्वे स्टेशन पर आप उतर कर, कैब अथवा स्थानीय बस या ऑटो से भी पहुँच सकते हो पुण्डरीक तीर्थ, शिव मन्दिर, पुण्डरी, कैथल, हरियाणा!

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें:

आप कार अथवा बस से दिल्ली से रवाना होते हो तो मन्दिर पहुँचने के लिए आप ३ घण्टे २६ मिनट्स का रास्ता तय करते हुए १५५ किलोमीटर यात्रा करके राष्ट्रीय राजमार्ग NH: ४४ से पहुँच जाओगे पुण्डरीक तीर्थ, शिव मन्दिर, पुण्डरी, कैथल, हरियाणा!

श्री शिवशँकर की जय हो! जयघोष हो!!

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