@ रांची झारखंड
रविवार को गुआ के स्थानीय कलाकारों ने हिंदी सीने जगत के महान पार्श्वगायक दिवंगत मो.रफी को उनके 42 वीं पुण्यतिथि पर याद किया। स्थानीय कलाकारों के द्वारा रफी साहब के तस्वीर में माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। इस दौरान गायक कलाकार हरजीवन कच्छप ने रफी जी के द्वारा गाए हुए कई भूले बिसरे नगमों को गुनगुनाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। गीतों में ये दुनिया ये महफिल,दिल का सुना साज, छलकाए जाम , जानेवाले लौट कर नहीं आते जैसी गीत सामिल थी।
कच्छप ने कहा रफी जी के अमर आवाज से युगों युगों तक लोग रफ़ी साहब को याद करेंगे। 31जुलाई 1980 को मरहूम रफ़ी साहब ने दुनिया को अलविदा कहा । आज नई पीढ़ी में भी रफी साहब के अमर गीतों को युवा वर्ग द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है ।मौके पर भानू चंद्र दास,संतोष बेहेरा,सानू सांडिल, विकी,आशुतोष, आजाद, सुशांत व अन्य लोग मौजूद थे।