@ नई दिल्ली
वैज्ञानिकों ने पाया है कि रेत के कणों की आकृति रेत के द्रवीकरण को प्रभावित करती है और जो भूकंप के दौरान संरचनाओं के ढहने के प्रमुख कारकों में से एक है। रेत का द्रवीकरण एक ऐसी घटना है जिसमें भूकंप के झटकों के समय भारी पदार्थों के तेजी से किसी स्थान पर एकत्र होने से वहां मिट्टी की ताकत और कठोरता में कमी आ जाती है और ऐसी स्थिति में तरलीकृत हो चुकी जमीन पर खड़ी संरचनाएं ध्वस्त होकर ढहने लगती हैं।
चूंकि नियमित आकार वाली प्राकृतिक रेत आसानी से तरलीकृत हो जाती है इसलिए वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि ढलानों और दीवारों को बनाए रखने जैसी संरचनाओं के स्थायित्व और स्थिरता के लिए वहां उपयोग की जाने वाली प्राकृतिक रेत के स्थान पर अनियमित आकार वाली रेत का उपयोग किया जा सकता है।
हालांकि रेत के द्रवीकरण के प्रतिरोध पर कणों के आकार और आकृति के गुणात्मक प्रभाव अच्छी तरह से ज्ञात हैं परन्तु उनके बीच मात्रात्मक संबंध आभासी एवं अस्पष्ट हैं। इस दिशा में अधिकांश अध्ययनों ने कणों की आकृति और आकार को मापने के लिए पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल किया, जिसमें चलनी द्वारा विश्लेषण और दृश्य अवलोकन शामिल हैं। एक सफल अध्ययन में, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोधकर्ताओं ने रेत कणों के आकार के लाक्षणिक वर्णन के लिए डिजिटल छवि विश्लेषण का उपयोग करके उन्हें रेत की द्रवीकरण क्षमता से जोड़ा। उन्होंने दोनों के बीच एक मजबूत सम्बन्ध पाया।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अंतर-कण लॉकिंग को तोड़ने के लिए आवश्यक अपरूपण बल (संरचना के एक हिस्से को किसी एक विशिष्ट दिशा में और उसी संरचना के दूसरे हिस्से को विपरीत दिशा में धकेलने वाला बल) अपेक्षाकृत रूप से अनियमित आकार वाले कणों के लिए अधिक होता है। एमएटीएलएबी (एमएटी लैबोरेट्री) में विकसित कम्प्यूटेशनल एल्गोरिदम के माध्यम से रेत कणों की सूक्ष्म छवियों का विश्लेषण किया गया था जो कि उनके आकार मापदंडों को निर्धारित करने के लिए डेटा का विश्लेषण करने के लिए एक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है। चक्रीय (साइक्लिक) सरल अपरूपण परीक्षण जिसमें नमूनों को तनाव के वैकल्पिक चक्रों की नकली भूकंप स्थितियों के अंर्तगत रखा जाता है और विशिष्ट भूकंप स्थितियों के अंतर्गत रेत द्रवीभूत होने की उनकी क्षमता का निर्धारण करने के लिए रेत के नमूनों का संपीड़न किया जाता है।
इन परीक्षणों के लिए, वैज्ञानिकों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से प्राप्त विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षिक संस्थानों के वित्त पोषण में विज्ञान एंऔर प्रौद्योगिकी अवसंरचना में सुधार के लिए कोष के से माध्यम चक्रीय सरल अपरूपण परीक्षण सेटअप का उपयोग किया। चक्रीय सरल अपरूपण परीक्षण करने के लिए हुए अध्ययन को इंडियन जियोटेक्निकल जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया गया है।
लता, जी.एम. और बालाजी, एल. (2022) रेत में द्रवीकरण को मापने और कम करने के लिए रूपात्मक दृष्टिकोण। इंडियन जियोटेक्निकल जर्नल,स्प्रिंगर। प्रकाशन के लिए स्वीकृत।