सँकटमोचन हनुमान मन्दिर, पद्मपुरी जवाहर नगर कॉलोनी भेलपुर, वाराणसी, उत्तरप्रदेश भाग : ३६७
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिकस्थल : भोजेश्वर महादेव मन्दिर, भोजपुर गाँव, भोपाल, मध्यप्रदेश। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:
सँकटमोचन हनुमान मन्दिर, पद्मपुरी जवाहर नगर कॉलोनी, भेलपुर, वाराणसी, उत्तरप्रदेश भाग : ३६७
श्री संकटमोचन मन्दिर, वाराणसी यह मन्दिर उत्तर प्रदेश के बनारस शहर में स्थित है। इस मन्दिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है। श्री सँकटमोचन हनुमान मन्दिर में श्री हनुमान जी की दिव्य प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसी दास जी के तप एवँ पुण्य से प्रकट हुई थी। इस मूर्ति में हनुमान जी दाएं हाथ से भक्तों को अभयदान दे रहे हैं और बायाँ हाथ उनके ह्रदय पर स्थित है। प्रत्येक कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को सूर्योदय के समय यहां हनुमान जी की विशेष आरती होती है।
संकट मोचन हनुमान मन्दिर हिन्दू भगवान हनुमानजी के पवित्र मन्दिरों में से एक हैं। यह बनारस अर्थात वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारतवर्ष में स्थित है। यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय कॆ निकट दुर्गा मन्दिर और नयॆ विश्वनाथ मन्दिर के रास्ते में स्थित हैं। सँकट मोचन का अर्थ है परेशानियों अथवा दुखों को हरने वाला। इस मन्दिर की रचना बनारस हिन्दू विश्व- विद्यालय के सँस्थापक श्री मदन मोहन मालवीय जी द्वारा १९०० ई० में हुई थी। यहाँ हनुमान जयँती बड़े ही धूमधाम से मनायी जाती है, इस दौरान एक विशेष शोभा यात्रा निकाली जाती है जो दुर्गाकुंड से सटे ऐतिहासिक दुर्गा मन्दिर से लेकर सँकट मोचन तक चलायी जाती है। भगवान हनुमान को प्रसाद के रूप में शुद्ध घी के बेसन के लड्डू चढ़ाये जाते हैं। भगवान श्री हनुमान जी के गले में गेंदे एवँ तुलसी की माला शोभित रहती हैं।
इस मन्दिर की एक अद्भुत विशेषता यह हैं कि भगवान श्री हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना इस प्रकार हुई हैं कि वह भगवान राम की ओर ही देख रहे हैं,ऐवं श्री राम चन्द्र जी के ठीक सीध में संकट मोचन महराज का विग्रह है , जिनकी वे निःस्वार्थ श्रद्धा से पूजा किया करते थे। भगवान हनुमान की मूर्ति की विशेषता यह भी है कि मूर्ति मिट्टी की बनी है। सँकट मोचन महराज कि मूर्ति के हृदय के ठीक सीध में श्री राम लला की मूर्ति विद्यमान है, ऐसा प्रतीत होता है संकट मोचन महराज के हृदय में श्री राम सीता जी विराज मान है।
मन्दिर के प्रांगण में एक अति प्राचीन कूआँ जो संत तुलसीदास जी के समय का कहा जाता है, श्रद्धालु इस कूप का शीतल जल ग्रहण करते हैं। यहाँ विस्तृत क्षेत्र में तुलसी के पौधों को लगाया गया है साथ ही आस पास पुराने रास्ते पर अनेक वृक्ष लगाने के साथ स्वक्षता का ध्यान रखा गया है जिसके कारण विषाक्त सर्पों से भय मुक्त वातावरण तैयार हुआ है |
सँकट मोचन मन्दिर प्रवेश द्वार :
माना जाता हैं कि इस मन्दिर की स्थापना वही हुईं हैं जहाँ महाकवि तुलसीदास को पहली बार हनुमान का स्वप्न आया था। संकट मोचन मंदिर की स्थापना कवि तुलसीदास ने की थी। वे वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अवधी सँस्करण रामचरितमानस के लेखक थे। संत तुलसी दास जी के अंतिम दिनों में अपने बाह ( भुजाओं) के असहनिय दर्द की अवस्था में संकट मोचन महराज के समक्ष ” हनुमान बाहुक ” की रचना किया था । परम्पराओं की माने तो कहा जाता हैं कि मन्दिर में नियमित रूप से आगंतुकों पर भगवान हनुमान की विशेष कृपा होती हैं।
हर मङ्गलवार और शनिवार, हज़ारों की सँख्या में लोग भगवान हनुमान को पूजा अर्चना अर्पित करने के लिए कतार में खड़े रहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भगवान हनुमान मनुष्यों को शनि गृह के क्रोध से बचते हैं अथवा जिन लोगों की कुंडलियो में शनि गलत स्थान पर स्तिथ होता हैं वे विशेष रूप से ज्योतिषीय उपचार के लिए इस मंदिर में आते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान हनुमान सूर्य को फल समझ कर निगल गए थे, तत्पश्चात देवी देवताओं ने उनसे बहुत याचना कर सूर्य को बाहर निकालने का आग्रह किया। कुछ ज्योतिषो का मानना हैं कि हनुमान की पूजा करने से मंगल ऐवं शनि ग्रह के बुरे प्रभाव अथवा मानव पर अन्य किसी और ग्रह क़की वजह से बुरे प्रभाव को बेअसर किया जा सकता हैं।
“सँकटमोचन हनुमान अष्टक”
हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित |संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ बजरंगबली के भक्तों में अत्यंत लोकप्रिय होने के साथ साथ उतना ही प्रभावशाली भी है।
हनुमान जी भगवान शिव के अँश (अंशावतार) होने के कारण जन्म से ही अत्यंत बलशाली और दैवी शक्तियों से युक्त हैं। बाल्यावस्था में अपने चँचल स्वभाव के कारण वे सबको परेशान करते रहते थे। एक दिन एक तपस्वी ऋषि ने क्रोधित होकर हनुमान जी को अपनी सारी शक्तियों को भूल जाने का शाप दे दिया।
माता अँजनी के प्रार्थना करने पर ऋषि ने कहा कि मेरा शाप तो विफल नहीं हो सकता पर जब भी बजरँगबली को कोई उनकी शक्तियों की याद दिलाएगा, तो वे अपने वास्तविक स्वरूप और शक्ति के साथ कठिन से कठिन कार्य को भी सिद्ध कर देंगे।
सँकटमोचन हनुमान अष्टक में हनुमान जी के ही किये हुए कार्यों का वर्णन है जिसे सुनकर वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं।
|| सँकटमोचन हनुमान अष्टक ||
बाल समय रबि भक्षि लियो
तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो |
ताहि सों त्रास भयो जग को
यह संकट काहु सों जात न टारो ||
देवन आनि करी बिनती
तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो |
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो || १ ||
अर्थ – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया।
इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि
जात महाप्रभु पंथ निहारो |
चौंकि महा मुनि साप दियो तब
चाहिय कौन बिचार बिचारो ||
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो | को० – २ ||
अर्थ – बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए।तब हे हनुमान जी आपने ही ब्राह्मण का वेश बनाकर प्रभु श्रीराम का भेद जाना और सुग्रीव से उनकी मित्रता कराई।संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
अंगद के सँग लेन गए सिय खोज कपीस यह बैन उचारो |
जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो ||
हेरी थके तट सिंधु सबै तब
लाय सिया-सुधि प्राण उबारो | को० – ३ ||
अर्थ – जब सुग्रीव ने आपको अंगद, जामवंत आदि के साथ सीता की खोज में भेजा तब उन्होंने कहा कि जो भी बिना सीता का पता लगाए यहाँ आएगा उसे मैं प्राणदंड दूंगा।जब सारे वानर सीता को ढूँढ़ते ढूँढ़ते थक कर और निराश होकर समुद्र तट पर बैठे थे तब आप ही ने लंका जाकर माता सीता का पता लगाया और सबके प्राणों की रक्षा की।संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
रावण त्रास दई सिय को
सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो |
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ||
चाहत सीय असोक सों आगि सु
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो | को० – ४ ||
अर्थ – रावण के दिए कष्टों से पीड़ित और दुखी माता सीता जब अपने प्राणों का अंत कर लेना चाहती थी तब हे हनुमान जी आपने बड़े बड़े वीर राक्षसों का संहार किया।
अशोक वाटिका में बैठी सीता दुखी होकर अशोक वृक्ष से अपनी चिता के लिए आग मांग रही थी तब आपने श्रीराम जी की अंगूठी देकर माता सीता के दुखों का निवारण कर दिया।संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
बाण लग्यो उर लछिमन के तब
प्राण तजे सुत रावन मारो |
लै गृह बैद्य सुषेन समेत
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ||
आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो | को० – ५ ||
अर्थ – जब मेघनाद ने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार किया और लक्ष्मण मूर्छित हो गए तब हे हनुमान जी आप ही लंका से सुषेण वैद्य को घर सहित उठा लाए और उनके परामर्श पर द्रोण पर्वत उखाड़कर संजीवनी बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की।संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो |
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ||
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो | को० – ६ ||
अर्थ – रावण ने युद्ध में राम लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया। तब श्रीराम जी की सेना पर घोर संकट आ गई।तब हे हनुमान जी आपने ही गरुड़ को बुलाकर राम लक्ष्मण को नागपाश के बंधन से मुक्त कराया और श्रीराम जी की सेना पर आए संकट को दूर किया।संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता
बंधु समेत जबै अहिरावन
लै रघुनाथ पताल सिधारो |
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि
देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ||
जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत संहारो | को० – ७ ||
अर्थ – लंका युद्ध में रावण के कहने पर जब अहिरावण छल से राम लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक ले गया और अपने देवता के सामने उनकी बलि देने की तैयारी कर रहा था।तब हे हनुमान जी आपने ही राम जी की सहायता की और अहिरावण का सेना सहित संहार किया।संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
काज किये बड़ देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि बिचारो |
कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसे नहिं जात है टारो ||
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो | को० – ८ ||
अर्थ – हे हनुमान जी, आप विचार के देखिये आपने देवताओं के बड़े बड़े काम किये हैं। मेरा ऐसा कौन सा संकट है जो आप दूर नहीं कर सकते।हे हनुमान जी आप जल्दी से मेरे सभी संकटों को हर लीजिये।संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
दोहा –
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लँगूर |
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ||
अर्थ – हे हनुमान जी, आपके लाल शरीर पर सिंदूर शोभायमान है। आपका वज्र के समान शरीर दानवों का नाश करने वाली है। आपकी जय हो, जय हो, जय हो।
|| संकटमोचन हनुमान अष्टक सम्पूर्ण ||
हनुमान जी का सिद्ध शाबर मन्त्र :
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट
पिंड की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुंवर हड़मान (हनुमान) करें।
चेतावनी : हनुमानजी के शाबर मन्त्र पढ़ने या जपने के कुछ नियम होते हैं पहले उन्हें जान लें। शाबर मंत्रों को स्वयँसिद्ध माना गया है। इसके बोलते ही संबंधित देवी या देवता जाग्रत हो जाते हैं।
सर्वकार्य सिद्ध मन्त्र :
ॐ श्री राम दूताय नमः।।
पता :
सँकटमोचन हनुमान मन्दिर, सँकटमोचन मार्ग, पद्मपुरी कॉलोनी, जवाहर नगर कॉलोनी, भेलपुर, वाराणसी, उत्तरप्रदेश पिनकोड : 221010
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें:
हवाई मार्ग द्वारा सँकटमोचन हनुमान मन्दिर, पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा बनारस का लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है। यहाँ के एयरपोर्ट से मन्दिर लगभग २८.७ किलोमीटर दूर है। टैक्सी या कैब से मन्दिर ५८ मिनट्स में पहुँचा जा सकता है सँकटमोचन श्री हनुमान मन्दिर।
लोहपथगामिनी मार्ग से कैसे पहुँचें :
रेल मार्ग से सँकटमोचन हनुमान मन्दिर, पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से ६.४ किलोमीटर की दूरी से वाया धौलपुर दुर्गाकुंड रोड़ होते हुएपहुँच जाओगे सँकटमोचन श्री हनुमान मन्दिर।
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :
आप अपनी कार बाईक या बस से अंतर्राज्यीय बस स्थानक दिल्ली से आते हैं तो आप ८४९.१ किलोमीटर की यात्रा करके वाया आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे राष्ट्रीय राजमार्ग से १३ घण्टे ६ मिनट्स में पहुँच जाओगे, सँकटमोचन श्री हनुमान मन्दिर।
सँकटमोचन श्री हनुमान जी की जय हो। जयघोष हो।।