@ सिद्धार्थ पाण्डेय /चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम ) झारखंड: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव पर चर्चा करते हुए गुवा के समाजसेवी सह नालन्दा जिला (बिहार ) निवासी उपेन्द्र प्रसाद ने कहा कि भगवान शिव के ऊपर सदैव विभिन्न प्रकार के भोग -प्रसाद चढ़ाए जाते हैं । जबकि सब प्रसादो से विपरीत भांग एवं धतूरा है ।भांग एवं धतूरा इस बात का संकेत है कि भगवान मानव के जीवन की कष्टप्रद दुख एवं अशांति को धतूरे और भांग के रूप में ग्रहण कर शिव के रूप का दर्शन प्रदान करते हैं ।
संपूर्ण ब्रह्मांड के रचयिता की रूपरेखा में परिवर्तित शिव की महिमा अपरंपार है । साईं रूपी शिव का ही अवतार है शिरडी के साईं बाबा है। भगवान शिव मनुष्य के कष्टों एवं अवगुणों को हर, उसे सच्चे मानवीय पथ प्रदर्शक की ओर ले जाते हैं ।मानव को आजीवन कष्टों से भी साईं नाथ रूपी शिव बचाते हैं ।भगवान शिव से ही उत्पन्न साईं वास्तविक में मनुष्य के हर विपरीत व अतिरिक्त कष्टों को हर उसे अपने में विलीन कर लेते हैं।
अतः शिव रूपी साईं के साथ-साथ सब शक्तिमान शिव की पूजा मनुष्य को सदा आजीवन करते रहना चाहिए। शिव के संपूर्ण रूप और उनके 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन व ज्ञान के बगैर मानव जीवन असंतुष्ट एवं अपूर्ण है ।अतः शिव के रूपों को आजीवन अपने अंतरात्मा के करीब रख अपने आप को सर्व शक्तिशाली बनाने के लिए निरंतर अग्रसर रहना चाहिए ।
झारखंड में स्थापित भगवान शिव की नगरी बाबा धाम की महिमा देखी जा सकती है । उपेन्द्र प्रसाद के अनुसार ओम,ओम -शांति ओम को स्वीकार कर जीवन सफल बनानी चाहिए।ॐ का उच्चारण कर शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त किया जा सकता है।
शिव भक्त होने के कारण समाजसेवी उपेन्द्र प्रसाद लगातार 15 सालों से बाबा बैधनाथ धाम देवघर जा रहे है।उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था ।इस दिन शिवभक्त भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं एवं व्रत रखते हैं ।दिन के साथ-साथ महाशिवरात्रि की रात को विशेष महत्व दिया गया है ।