शनि मन्दिर, शिगनापुर, महाराष्ट्र भाग :२६१,पँ० ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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भारत के धार्मिक स्थल: शनि मन्दिर, शिगनापुर, महाराष्ट्र भाग :२६१

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा शक्ति मन्दिर, उत्तरकाशी, उत्तराखंड! यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप प्रजा टुडे की वेबसाईट http://www.prajatoday.com पर जाकर धर्म साहित्य पृष्ठ पर जाकर पढ़ सकते हैं!

 भारत के धार्मिक स्थल: शनि मन्दिर, शिगनापुर, महाराष्ट्र भाग :२६१

शनि भगवान की स्वयँभू मूर्ति काले रँग की ५ फुट ९ इंच ऊँची व १ फुट ६ इंच चौड़ी यह मूर्ति सँगमरमर के एक चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है! यहाँ शनिदेव जी महाराज आठों प्रहर धूप हो, आँधी हो, तूफान हो बरसात हो या नि सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए, बिना छत के खड़े हैं! राजनेता व प्रभावशाली वर्गों के लोग यहाँ नियमित रूप से एवँ साधारण भक्त हज़ारों की सँख्या में शनि देव महाराज के दर्शनार्थ प्रतिदिन आते ही रहते हैं! शनिवार को तो यहाँ बहुत भीड़ हुआ करती है!

गाँव के बारे में महत्वपूर्ण सूचना:

लगभग तीन हजार क्षमता की जनसँख्या वाले शनि शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर में दरवाज़ा नहीं है! कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता! इतना ही नहीं, घर में लोग अपने घर मे अलमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते! ऐसा शनि देव की आज्ञानुसार किया जाता है!

लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं! केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया जाता है! यह गाँव छोटा है, पर लोग समृद्ध हैं! इसलिए अनेक लोगों के घर आधुनिक तकनीक से ईंट-पत्थर तथा सीमेंट का इस्तेमाल करके बनाए गए हैं! फिर भी दरवाज़ो में किवाड़ नहीं हैं! यहाँ दुमंजिला मकान भी नहीं है! यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई! यहाँ आने वाले भक्त अपने वाहनों में कभी ताला नहीं लगाते! कितना भी बड़ा मेला क्यों न हो, कभी किसी वाहन की चोरी भी नहीं हुई!

शनीचरी अमावस्या :

शनिवार के दिन आने वाली अमावस को तथा प्रत्येक शनिवार को देश विदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र के कोने-कोने से दर्शनाभिलाषी यहाँ आते हैं तथा शनि देव की पूजा अभिषेक आदि करते हैं! प्रतिदिन प्रातः ४ बजे एवँ सायँकाल ५ बजे यहाँ आरती की जाती है! शनि जयँती पर जगह-जगह से प्रसिद्ध ब्राह्मणों को बुलाकर ‘लघुरुद्राभिषेक’ कराया जाता है! यह कार्यक्रम प्रातः ७ से सायँ ६ बजे तक चलता है!

शनि देव की अपरम्पार महिमा :

हिन्दू धर्म में कहते हैं कि कोबरा का काटा और शनि का मारा पानी नहीं माँगता! शुभ दृष्टि जब इसकी होती है, तो रँक भी राजा बन जाता है! देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग ये सब इसकी अशुभ दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते हैं! परंतु यह स्मरण रखना चाहिए कि यह ग्रह मूलतः आध्यात्मिक ग्रह है!

महर्षि पाराशर ने कहा कि शनि जिस अवस्था में होगा, उसके अनुरूप फल प्रदान करेगा! जैसे प्रचण्ड अग्नि सोने को तपाकर कुण्दन बना देती है, वैसे ही शनि भी विभिन्न परिस्थितियों के ताप में तपाकर मनुष्य को उन्नति पथ पर बढ़ने की सामर्थ्य एवं लक्ष्य प्राप्ति के साधन उपलब्ध कराता है! नवग्रहों में शनि को सर्वश्रेष्ठ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह एक राशि पर सबसे ज्यादा समय तक विराजमान रहता है! श्री शनि देवता अत्यँत जाज्वल्यमान और जागृत देवता हैं! आजकल शनि देव को मानने के लिए प्रत्येक वर्ग के लोग इनके दरबार में नियमित हाजिरी दे रहे हैं!

श्री शनि चालीसा :
दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।हिय माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।तृणहू को पर्वत करि डारत॥


राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई।मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति-मति बौराई।रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥


जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत ज्ञानेश्वर राम प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

प्रेम से शनि चालीसा गा नवनिधि पा!

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

बाय-एयर, निकटतम हवाई अड्डा ,महाराष्ट्र का प्रसिद्ध औरंगाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है! यहाँ से शनि शिगणापुर मन्दिर जाने के लिए बस अथवा कैब द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है! शनि शिगणापुर मन्दिर पहुँचने के लिए हवाईअड्डे से ९० किलोमीटर कैब से घँटे लगेंगे!

शनि शिगणापुर नासिक में हवाई अड्डा १४४ किमी दूर स्थित है। यहाँ से, कोई भी प्रासंगिक घरेलू उड़ान पकड़कर पूरे भारत के किसी भी शहर की यात्रा कर सकते हैं! घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों यात्री मुंबई के लिए एक उड़ान पकड़ सकते हैं और फिर शनि शिंगणापुर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से २९३ किलोमीटर और यात्रा कर सकते हैं! पुणे के घरेलू हवाई अड्डा शनि शिंगणापुर तीर्थ स्थल से १६१ किलोमीटर से अधिक की दूरी पर स्थित है!

लोहपथगामिनी मार्ग से कैसे पहुँचें :

ट्रेन से शनि शिंगणापुर, निकटतम रेलवे स्टेशन राहुरी ३२किलोमीटर अहमदनगर ३५किलोमीटर और श्रीरामपुर ५४ किलोमीटर, शिरडी रेलवे स्टेशन ७५ किलोमीटर हैं! इन स्टेशनों से विभिन्न गंतव्यों के लिए ट्रेनों का लाभ उठाया जा सकता है! इसमें मुंबई, पुणे, दिल्ली, मनमाड, गोवा, अहमदाबाद, चेन्नई, बेंगलुरु और शिरडी के साथ-साथ पूरे भारत में अन्य स्थान शामिल हैं!

शनि शिंगणापुर के निकटतम स्टेशन पर उतरने के बाद मन्दिर गाँव तक पहुंचने के लिए ऑटो, टैक्सी, अन्य निजी वाहन या स्थानीय बसें लेनी पड़ती हैं! रेलवे स्टेशन से शनि शिगणापुर मन्दिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है! घण्टे मिनट्स लगेंगे! यहाँ से किलोमीटर दूर है! शेयर टैम्पो, शेयर जीप, कैब या महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बसें भी अंतराल में चलती हैं! भारत का राष्ट्रीय रेल ऑपरेटर देश भर में लंबी दूरी और उपनगरीय दोनों मार्गों पर धीमी मल्टी-स्टॉप से ​​तेज और अधिक आरामदायक सेवाओं तक यात्री और मालगाड़ी चलाता है! यह देश का पता लगाने का एक व्यावहारिक और किफायती तरीका है। अग्रिम टिकट बुकिंग आमतौर पर भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा की तारीख से १२० दिन पहले व अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए ३६५ दिन पहले बुक कर सकते हैं! जब आप अपनी यात्रा की श्रेणी बुक करते हैं और चुनते हैं तो आपको एक सीट या बर्थ आवंटित की जाएगी!

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :

दिल्ली से अपनी कार अथवा बस द्वारा शनि शिगणापुर मन्दिर राष्ट्रीय राजमार्ग NH: वाया मुम्बई, आगरा हाई-वे द्वारा १,३५०.२ किलोमीटर यात्रा करके २३ घण्टे ३१ मिनट्स में पहुँचोगे शनि शिगणापुर मन्दिर!

शनि शिगणापुर मन्दिर की जय हो! जयघोष हो!!

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