श्री साईँ चेतना सनातन धर्म मन्दिर टकरोहि, लखनऊ, उत्तरप्रदेश भाग:३७६,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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श्री साईँ चेतना सनातन धर्म मन्दिर, टकरोहि, लखनऊ, उत्तरप्रदेश भाग : ३७६

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिकस्थल : सिद्ध शक्ति पीठ माँ झँडेवाला मन्दिर, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, करोलबाग़, नई दिल्ली। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:

श्री साईँ चेतना सनातन धर्म मन्दिर टकरोहि, लखनऊ, उत्तरप्रदेश भाग:३७६

श्री साईँ चेतना सनातन धर्म मन्दिर, टकरोहि, लखनऊ उत्तरप्रदेश में साईँ भक्त साईँ का तेरहवाँ स्थापना दिवस दिनाँक २६ नवम्बर २०२२ को मना रहे हैं।

जिसमें साईँ भक्तोँ को यह सूचित किया जा रहा है कि साईँ बाबा की काकड़ आरती प्रातः ०६ : ०० बजे, अर्चना आरती प्रातः ०७ : ०० बजे। हवन यज्ञ प्रातः ०९ : ३० बजे प्रारम्भ होगा। मध्याह्न आरती दोपहर १२ : ०० बजे ततपश्चात साईँ रामजी का भण्डारा १२ : ३० बजे साईँ इच्छा तक चलता रहेगा और साईँ सन्ध्या प्रारम्भ हो जाएगी। धूप आरती : ०६ : ०० बजे सायँ को होनी निश्चित हुई है। साई सन्ध्या पुन: प्रारम्भ की जाएगी। तदुपरांत शेज़ आरती ०८:३० बजे होगी। आप सभी साईँ भक्तगण जो लखनऊ के रहवासी हैं बाबा के तेरहवें स्थापना दिवस पर पहुँच कर साईँ जी का शुभाशीर्वाद प्राप्त कर जीवन धन्य बनाएँ। पुनः रात्रि भण्डारा होगा। ॐ साईँ राम।

साईँ सच्चरित्र अध्याय ४ का शेष भाग “तीन वाडे़” :

नीम वृक्ष के आसपास की भूमि श्री हरी विनायक साठे ने मोल ली और उस स्थान पर एक विशाल भवन का निर्माण किया, जिसका नाम साठे-वाड़ा रखा गया । बाहर से आने वाले यात्रियों के लिये वह वाड़ा ही एकमात्र विश्राम स्थान था, जहाँ सदैव भीड़ रहा करती थी । नीम वृक्ष के नीचे चारों ओर चबूतरा बाँधा गया । सीढ़ियों कके नीचे दक्षिण की ओर एक छोटा सा मन्दिर है, जहाँ भक्त लोग चबूतरे के ऊपर उत्तराभिमुख होकर बैठते है । ऐसा विश्वास किया जाता है कि जो भक्त गुरुवार तथा शुक्रवार की संध्या को वहाँ धूप, अगरबत्ती आदि सुगन्धित पदार्थ जलाते है, वे ईश-कृपा से सदैव सुखी होंगे ।

यह वाड़ा बहुत पुराना तथा जीर्ण-शीर्ण स्थिति में था तथा इसके जीर्णोंदृार की नितान्त आवश्यकता थी, जो संस्थान दृारा पूर्ण कर दी गई । कुछ समय के पश्चात एक दितीय वाड़े का निर्माण हुआ, जिसका नाम दीक्षित-वाड़ा रखा गया । काकासाहेब दीक्षित, कानूनी सलाहकार (Solicitor) जब इंग्लैंड में थे, तब वहाँ उन्हें किसी दुर्घटना से पैर में चोट आ गई थी । उन्होंने अनेक उपचार किये, परंतु पैर अच्छा न हो सका । नानासाहेब चाँदोरकर ने उन्हें बाबा की कृपा प्राप्त करने का परामर्श दिया ।

इसलिये उन्होंने सन् १९०९ में श्री साईँ बाबा के दर्शन किये । उन्होंने बाबा से पैर के बदले अपने मन की पंगुता दूर करने की प्रार्थना की । बाबा के दर्शनों से उन्हें इतना सुख प्राप्त हुआ कि उन्होंने स्थायी रुप से शिरडी में रहना स्वीकार कर लिया और इसी कारण उन्होंने अपने तथा भक्तों के हेतु एक वाड़े का निर्माण कराया । इस भवन का शिलान्यास दिनांक ०९. १२. १९१० को किया गया ।

उसी दिन अन्य दो विशेष घटनाएँ घटित हुई :

श्री दादासाहेब खापर्डे को घर वापस लौटने की अनुमति प्राप्त हो गई और चावड़ी में रात्रि को आरती आरम्भ हो गई । कुछ समय में वाड़ा सम्पूर्ण रुप से बन गया और रामनवमी (१९११) के शुभ अवसर पर उसका यथाविधि उद्घाटन कर दिया गया । इसके बाद एक और वाड़ा-मानो एक शाही भवन-नागपुर के प्रसिदृ श्रीमंत बूटी ने बनवाया । इस भवन के निर्माण में बहुत धनराशि लगाई गई । उनकी समस्त निधि सार्थक हो की, क्योंकि बाबा का शरीर अब वहीं विश्रान्ति पा रहा है और फिलहाल वह समाधि मंदिर के नाम से विख्यात है इस मंदिर के स्थान पर पहले एक बगीचा था, जिसमें बाबा स्वयं पौधौ को सींचते और उनकी देखभाल किया करते थे । जहाँ पहले एक छोटी सी कुटी भी नहीं थी, वहाँ तीन-तीन वाड़ों का निर्माण हो गया । इन सब में साठे-वाड़ा पूर्वकाल में बहुत ही उपयोगी था ।

बगीचे की कथा, वामन तात्या की सहायता से स्वयं बगीचे की देखभाल, शिरडी से श्री साई बाबा की अस्थायी अनुपस्थिति तथा चाँद पाटील की बारात में पुनः शिरडी में लौटना, देवीदास, जानकीदास और गंगागीर की संगति, मोहिद्दीन तम्बोली के साथ कुश्ती, मसजिद सें निवास, श्री डेंगने व अन्य भक्तों पर प्रेम तथा अन्य घटनाओं का अगतले अध्याय में वर्णन किया गया है ।

।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभम् भवतु ।।

पता :

श्री साईँ चेतना सनातन धर्म मन्दिर, निकट सन्तपुरम सेक्टर :- 11, इन्दिरा नगर, टकरोहि, लखनऊ, उत्तरप्रदेश पीनकोड : 226016 भारत।

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :

चौधरी चरण सिँह अंतरराष्ट्रिय हवाई अड्डा लखनऊ से सन्तपुरम सेक्टर ११, इन्दिरा नगर, लखनऊ के साईँ चेतना सनातन धर्म मन्दिर , कैब द्वारा NH २७ से २७.८ किलोमीटर की दूरी से ४४ मिन्टस में आसानी से पहुँच जाओगे साईँ चेतना मन्दिर!

लोहपथगामिनी मार्ग से कैसे पहुँचें :

लखनऊ जँक्शन रेलवे स्टेशन तक रेल से पहुँचें, वहाँ से ७ किलोमीटर की यात्रा करके १५ मिन्ट्स में पहुँच सकते हो मन्दिर। इन्दिरा नगर मेट्रो स्टेशन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें, जिससे आपकी यात्रा आसान हो सकती है। पार्किंग सुविधा, फीडर बस सुविधा, एटीएम उपलब्धता, इंटरचेंज और स्टेशन से/तक की दिशा जैसे विवरण प्राप्त करें। इंदिरा नगर मेट्रो स्टेशन लखनऊ मेट्रो की “रेड” लाइन पर एक टर्मिनस स्टेशन है और लखनऊ में स्थित है।

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :

दिल्ली के ISBT से आप अपनी कार बाइक या बस से आते हैं तो होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग NH यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ रोड़ द्वारा आप ५२४.९ किलोमीटर की यात्रा करके ७ घण्टे ३९ मिन्ट्स में पहुँच सकते हैं साईँ चेतना मन्दिर।

साईँ बाबा की जय हो। जयघोष हो।।

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