श्री शिर्डीवाले साईँ बाबा मन्दिर सेक्टर ४०, नोएडा, उत्तरप्रदेश भाग : ३८२,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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श्री शिर्डीवाले साईँ बाबा मन्दिर सेक्टर ४०, नोएडा, उत्तरप्रदेश भाग : ३८२

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिकस्थल : अक्षरधाम स्वामीनारायण मन्दिर, नोएडा मोड़, पाण्डव नगर, नई दिल्ली। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:

श्री शिर्डीवाले साईँ बाबा मन्दिर सेक्टर ४०, नोएडा, उत्तरप्रदेश भाग : ३८२

नोएडा के विकासशील टाउनशिप में १९८९ में, साईँ मन्दिर होने का विचार समर्पित साईं भक्तों के एक छोटे से समूह द्वारा किया गया था। प्रारंभ में, समूह ने भक्तों के निवास पर पूजा, अर्चना और भजन आयोजित करके शिर्डी वाले साईं बाबा के बारे में जागरूकता फैलाना शुरू किया। जिसका समापन १९९१ में एक पँजीकृत समाज, साईं समिति नोएडा के गठन में हुआ।

१३ अप्रैल, १९९५ को भक्तों की एक छोटी सी मूर्ति बाबा को एक छप्पर की छाया में स्थापित किया गया। अब, यह खूबसूरती से निर्मित पगोडा आकार का एनेक्सी साईँ बाबा गुरुस्थान के रूप में जाना जाता है। २३ नवंबर १९९९ को – एक घटनापूर्ण दिन – मन्दिर के आने से भक्तों का सपना पूरा हुआ।

साईँ बाबा की प्रतिमा स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस प्रकार नोएडा में पहला भव्य शिर्डी साईं बाबा का मन्दिर अस्तित्व में आया।

प्रत्येक साईँ वार को साईँ भक्त यहाँ आकर आरती पूजन और साईँ पालकी निकालते हैं, जिसमें तरह तरह के पुष्पों से साईँ पालकी को अर्पित कर वातावरण को सुगन्धित कर आत्मा को तृप्ति प्रदान करते हैं।

साईँ बाबा का भण्डारा नियम से प्रत्येक गुरुवार को असँख्य साईँ भक्त बड़ी श्रद्धा और सबुरी से करते हैं।

साईँ सच्चरित्र अध्याय ५ : प्रारम्भ :

चाँद पाटील की बारात के साथ श्री साई बाबा का पुनः आगमन, अभिनंदन तथा श्री साई शब्द से सम्बोधन, अन्य संतों से भेंट, वेश-भूषा व नित्य कार्यक्रम, पादुकाओं की कथा, मोहिद्दीन के साथ कुश्ती, मोहिद्दीन का जीवन परिवर्तन, जल का तेल में रुपान्ततर, मिथ्या गरु जौहरअली ।

जैसा गत अध्याय में कहा गया है, मैं अब श्री साई बाबा के शिरडी से अंतर्दृान होने के पश्चात् उनका शिरडी में पुनः किस प्रकार आगमन हुआ, इसका वर्णन करुँगा ।

चाँद पाटील की बारात के साथ श्री साई बाबा का पुनः आगमन:

जिला औरंगाबाद (निजाम स्टेट) के धूप ग्राम में चाँद पाटील नामक एक धनवान् मुस्लिम रहते थे । जब वे औरंगाबाद जा रहे थे तो मार्ग में उनकी घोड़ी खोगई । दो मास तक उन्होंने उसकी खोज में घोर परिश्रम किया, परन्तु उसका कहीं पता न चल सका । अन्त में वे निराश होकर उसकी जीन को पीट पर लटकाये औरंगाबाद को लौट रहे थे । तब लगभग 14 मील चलने के पश्चात उन्होंने एक आम्रवृक्ष के नीचे एस फकीर को चिलम तैयार करते देखा, जिसके सिर पर एक टोपी, तन पर कफनी और पास में एक सटका था । फकीर के बुलाने पर चाँद पाटील उनके पास पहुँचे । जीन देखते ही फकीर ने पूछा यह जीन कैसी । चाँद पाटील ने निराशा के स्वर में कहा क्या कहूँ मेरी एक घोड़ी थी, वह खो गई है और यह उसी की जीन है ।

फकीर बोले – थोड़ा नाले की ओर भी तो ढूँढो । चाँद पाटील नाले के समीप गये तो अपनी घोड़ी को वहाँ चरते देखकर उन्हें महान् आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा कि फकीर कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, वरन् कोई उच्च कोटि का मानव दिखलाई पड़ता है । घोड़ी को साथ लेकर जब वे फकीर के पास लोटकर आये, तब तक चिलम भरकर तैयार हो चुकी थी । केवल दो वस्तुओं की और आवश्यकता रह गई थी। एक तो चिलम सुलगाने के लिये अग्नि और दितीय साफी को गीला करने के लिये जल की ।फकीर ने अपना चिमटा भूमि में घुसेड़ कर ऊपर खींचा तो उसके साथ ही एक प्रज्वलित अंगारा बाहर निकला और वह अंगारा चिलम पर रखा गया ।

फिर फकीर ने सटके से ज्योंही बलपूर्वक जमीन पर प्रहार किया, त्योंही वहाँ से पानी निकलने लगा ओर उसने साफी को भिगोकर चिलम को लपेट लिया । इस प्रकार सब प्रबन्ध कर फकीर ने चिलम पी ओर तत्पश्चात् चाँद पाटील को भी दी । यह सब चमत्कार देखकर चाँद पाटील को बड़ा विस्मय हुआ । चाँद पाटील ने फकीर ने अपने घर चलने का आग्रह किया ।

दूसरे दिन चाँद पाटील के साथ फकीर उनके घर चला गया । और वहाँ कुछ समय तक रहा । पाटील धूप ग्राम की अधिकारी था और बारात शिरडी को जाने वाली थी । इसलिये चाँद पाटील शिरडी को प्रस्थान करने का पूर्ण प्रबन्ध करने लगा । फकीर भी बारात के साथ ही गया । विवाह निर्विध्र समाप्त हो गया और बारात कुशलतापू्र्वक धूप ग्राम को लौट आई । परन्तु वह फकीर शिरडी में ही रुक गया और जीवनपर्यन्त वहीं रहा ।

फकीर को साईं नाम कैसे प्राप्त हुआ:

जब बारात शिरडी में पहुँची तो खंडोबा के मंदिर के समीप म्हालसापति के खेत में एक वृक्ष के नीचे ठहराई गई । खंडोबा के मंदिर के सामने ही सब बैलगाड़ियाँ खोल दी गई और बारात के सब लोग एक-एक करके नीचे उतरने लगे । तरुण फकीर को उतरते देख म्हालसापति ने आओ साई कहकर उनका अभिनन्दन किया तथा अन्य उपस्थित लोगों ने भी साई शब्द से ही सम्बोधन कर उनका आदर किया । इसके पश्चात वे साईँ नाम से ही प्रसिद्व हो गये ।

अन्य सन्तों से सम्पर्क क्रमशः

पता : श्री शिर्डीवाले साईँ बाबा मन्दिर, 64 D, 2, F ब्लॉक, सेक्टर-40, नोएडा, उत्तराप्रदेश पिनकोड : 201301 भारत!

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :

दिल्ली के इन्दिरगाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से कैब द्वारा वाया बाबा बन्दा सिँह बहादुर सेतु होते हुए किलोमीटर का मार्ग तय घण्टे मिन्टस में पहुँच जाओगे सेक्टर ४० नोएडा के श्री शिर्डी वाले साईँ बाबा मन्दिर।

रेल मार्ग से कैसे पहुँचें:

मेट्रो रेल द्वारा ५-७ मिन्टस में पहुँच जाओगे सेक्टर ४० नोएडा के श्री शिर्डी वाले साईँ बाबा मन्दिर।

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :

यदि आप दिल्ली के ISBT से बस / बाइक या कार द्वारा NH ४४ से होते हुए २३.५ किलोमीटर की दूरी तय करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग दादरी से ४१ मिन्ट्स मे सेक्टर ४० नोएडा के श्री शिर्डी वाले साईँ बाबा मन्दिर।

राजाधिराज योगिराज परब्रह्म सच्चिदानँदद सद्गुरु सईंनाध् महाराज् की जय हो। जयघोष हो।।

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