श्री सूर्य देव मन्दिर, मोढ़ेरा, अहमदाबाद, गुजरात! भाग:३१८,पँ० ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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श्री सूर्य देव मन्दिर, मोढ़ेरा, अहमदाबाद, गुजरात! भाग:३१८

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिक स्थल : बन्नंजय श्री शनि देव मन्दिर, उडीपी, कर्नाटक! यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:

भारत के धार्मिक स्थल : श्री सूर्य देव मन्दिर, मोढ़ेरा अहमदाबाद, गुजरात भाग:३१८

पाठकों को शारदीय नवरात्रि पर माँ कात्यायनी देवी के पावन दिवस की हार्दिक बधाइयाँ, देवी माँ आपके सकल मनोरथ पूर्ण करे!

मोढ़ेरा सूर्य मन्दिर अहमदाबाद से लगभग १०० किलोमीटर की दूर स्‍थित है मोढ़ेरा सूर्य मन्दिर। यहां स्‍थापित एक शिलालेख के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था। सोलंकी सूर्यवंशी थे, और वे सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसलिए उन्होंने मोढ़ेरा के सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया। इस मन्दिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके निर्माण में कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है।

ईरानी शैली में बने इस मन्दिर के तीन हिस्से हैं, पहला गर्भगृह, दूसरा सभामंडप और तीसरा सूर्य कुण्ड। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई ५१ फुट ९ इंच और चौड़ाई २५ फुट ८ इंच है। सभामंडप में कुल ५२ स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर बेहतरीन कारीगरी से विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों और रामायण तथा महाभारत की कथाओं को दर्शाया गया है। ये स्तंभ नीचे से देखने पर अष्ट कोणाकार और ऊपर से देखने पर गोल दिखते हैं। मंदिर के निर्माण में ख्‍याल रखा गया है कि सुबह सूर्य की पहली किरण मन्दिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड सूर्यकुंड है जिसे रामकुंड भी कहते हैं। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमणों से मन्दिर को काफी नुकसान पहुंचा और कई मूर्तियां खंडित हो गई। फिल्‍हाल ये मन्दिर भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।

मोढेरा सूर्य मन्दिर भारत के गुजरात राज्य का एक गाँव मोढेरा सूर्य मन्दिर गुजरात के मेहसाना जिले के “मोढेरा” नामक गाँव में पुष्पावती नदी के किनारे प्रतीष्ठित है। यह स्थान पाटन से ३० किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यह सूर्य मन्दिर भारतवर्ष में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा सन् १०२६-१०२७ ई॰ में इस मन्दिर का निर्माण किया गया था। वर्तमान समय में यह भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और इस मन्दिर में पूजा करना निषिद्ध है।

इस मन्दिर परिसर के मुख्य तीन भाग हैं- गूढ़मण्डप (मुख्य मन्दिर), सभा मण्डप तथा कुण्ड (जलाशय)। इसके मण्डपों के बाहरी भाग तथा स्तम्भों पर अत्यन्त सूक्ष्म नक्काशी की गयी है। कुण्ड में सबसे नीचे तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हैं तथा कुछ छोटे-छोटे मन्दिर भी हैं। सूर्य मन्दिर की अप्रतिम संरचना मोढ़ेरा सूर्य मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गुढ़ामंडप, सभामंडप और कुंड। गुढ़ामंडप मन्दिर का मुख्य भाग है जहाँ गर्भगृह स्थित है। गर्भगृह की दीवारों पर पौराणिक कथाओं का चित्रण किया गया है। मन्दिर का सभामंडप 52 स्तंभों पर निर्मित किया गया है और ये 52 स्तंभ वर्ष के 52 सप्ताह को प्रदर्शित करते हैं। कुंड तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गई हैं।

मोढेरा सूर्य मन्दिर का इतिहास :

इस सूर्य मन्दिर परिसर का निर्माण एक ही समय में नहीं हुआ था। मुख्य मन्दिर, चालुक्य वंश के भीमदेव प्रथम के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इससे पहले, १०२४-२५ के दौरान, गजनी के महमूद ने भीम के राज्य पर आक्रमण किया था, और लगभग २०,००० सैनिकों की एक टुकड़ी ने उसे मोढेरा में रोकेने का असफल प्रयास किया था। इतिहासकार ए.के. मजूमदार के अनुसार इस सूर्य मन्दिर का निर्माण इस रक्षा के स्मरण के लिए किया गया हो सकता है। परिसर की पश्चिमी दीवार पर, उल्टा लिखा हुआ देवनागरी लिपि में “विक्रम संवत १०८३” का एक शिलालेख है, यह मन्दिर के विनाश और पुनर्निर्माण का सबूत देता है। शिलालेख की स्थिति के कारण, यह दृढ़ता से निर्माण की तारीख के रूप में नहीं माना जाता है।

शैलीगत आधार पर, यह ज्ञात है कि इसके कोने के मंदिरों के साथ कुंड ११वीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था। शिलालेख को निर्माण के बजाय गजनी द्वारा विनाश की तारीख माना जाता है। इसके तुरंत बाद भीम सत्ता में लौट आए थे। इसलिए मन्दिर का मुख्य भाग, लघु और कुंड में मुख्य मन्दिर १०२६ ईस्वी के तुरन्त बाद बनाए गए थे। १३वीं शताब्दी की तीसरी तिमाही में द्वार, मन्दिर के बरामदे और मन्दिर के द्वार और कर्ण के शासनकाल के दौरान कक्ष के द्वार के साथ नृत्य कक्ष को बहुत बाद में जोड़ा गया था। इस स्थान को बाद में स्थानीय रूप से सीता नी चौरी और रामकुंड के नाम से जाना जाने लगा। अब यहाँ कोई पूजा नहीं की जाती है। मन्दिर राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देखरेख में है।

सूर्यार्घ्य के लाभ :

सूर्य पूजा, सूर्यार्घ्य और सूर्य नमस्कार से मिलते हैं सेहत और सौभाग्य के कई वरदान।सूर्य नमस्कार का संबंध योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से भी जुड़ा हुआ है। सूर्य की ऊष्मा एवं प्रकाश से स्वास्थ्य में अभूतपूर्व लाभ होता है और बुद्धि की वृद्धि होती है। सूर्य नमस्कार की विधि मुख्य रूप से हस्तपादासन, प्रसरणासन, द्विपाद प्रसरणासन, भू-धरासन, अष्टांग, प्रविधातासन तथा सर्पासन इन आसनों की प्रक्रियाएं अनुलोम-विलोम क्रम से की जाती हैं। सूर्य के प्रकाश एवं सूर्य की उपासना से कुष्ठ, नेत्र आदि रोग दूर होते हैं। सब प्रकार का लाभ प्राप्त होता है। अर्थात मनुष्य भगवान जनार्दन विष्णु से मोक्ष की अभिलाषा करनी चाहिए। सूर्य अशुभ होने पर उक्त राशि वाले को अग्निरोग, ज्वय बुद्धि, जलन, क्षय, अतिसार आदि रोगों से ग्रस्त होने की संभावना बढ़ती है। प्रत्येक प्रात:काल कम से कम सूर्य नमस्कार अवश्य करें, क्योंकि सूर्य नमस्कार ही साष्टांग नमस्कार है। इस करने से मानव निरोग, वैभवशाली, सामर्थ्यवान, कार्यक्षमतावान होता है और व्यक्तित्व प्रतिभाशाली होता है।

सूर्य को निम्नलिखित मंत्र बोल करके अर्घ्य प्रदान करें :

ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ नमो भास्कराय नम:।अर्घ्य समर्पयामि।।

ध्यान मंत्र :-

ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती।
नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:।।
केयूरवान्मकर कुण्डलवान किरीटी।
हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र।।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम।

तमोहरि सर्वपापध्‍नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम।।
सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।
चरश्चरैवेति चरेवेति…!

पता: मोढेरा सूर्य मन्दिर ज़िला: मेहसाणा, गाँव-मोढेरा” अहमदाबाद, गुजरात (पुष्पावती नदी के किनारे पाटन से ३० किलोमीटर दक्षिण में स्थित)

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :

बाए एयर निकटतम कामकाजी घरेलू हवाई अड्डा अहमदाबाद है। नई दिल्ली से अहमदाबाद तक पहुंचने का सबसे तेज़ तरीका निकटतम हवाई अड्डा हवाई मार्ग द्वारा अहमदाबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अहमदाबाद से मोढेरा की दूरी १०१ किलोमीटर है और कैब में लगभग १ घंटे ४५ मिनट्स लगते हैं। स्थानीय बस या कैब द्वारा पहुँच सकते हैं मोढ़ेरा के श्री सूर्य देव मन्दिर।

लोहपथगामिनी मार्ग से कैसे पहुँचें :

ट्रेन से आप मेहसाणा जंक्शन उतर कर वहाँ से २६ किलोमीटर है। ट्रेन से आपको मेहसाणा (मेहसाणा से ३० मिनट) तक पहुँच सकते है मोढ़ेरा सूर्य मन्दिर।

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :

दिल्ली के ISBT से आप अपनी कार बाइक या बस से आते हैं तो NH : ४८ द्वारा आप ८९४.८ किलोमीटर की यात्रा करके १५ घण्टे १८ मिनट्स में पहुँच सकते हैं मोढ़ेरा के श्री सूर्य देव मन्दिर।

सड़क मार्ग से अहमदाबाद से मोढेरा की दूरी १०१ किलोमीटर है और इसमें लगभग १ घंटे ४५ मिनट्स लगते हैं। आप मोढ़ेरा के श्री सूर्य देव मन्दिर आसानी से पहुँच सकते हो।

श्री सूर्यदेव नारायण की जय हो। जयघोष हो।।

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