श्री सूर्य मन्दिर , हीरापुर, रायपुर, छतीसगढ़ भाग : ३८५,पण्डित ज्ञानेश्वर हँस “देव” की क़लम से

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श्री सूर्य मन्दिर  हीरापुर रायपुर, छतीसगढ़ भाग : ३८५

आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिकस्थल : शनि मन्दिर, सोम बाज़ार, विकास नगर, शिवा एन्क्लेव, हस्तसाल, दिल्ली। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:

श्री सूर्य मन्दिर हीरापुर, रायपुर, छतीसगढ़ भाग : ३८५

श्री सूर्य मन्दिर , छूईया छठ तालाब, हिरापुर, रायपुर। तालाब, हिरापुर, रायपुर टाटीबंध के १०वें वार्षिक उत्सव का कार्यक्रम भव्य कलश यात्रा के साथ सभी भक्त जनों के साथ जिसमे महिलायें बच्चे और पुरूषों ने अपनी भागिता बहुत ही उत्साह पूर्वक रूप से प्रारम्भ किया। यह भव्य धार्मिक आयोजन दिनांक ०७ से १४ फरवरी २०२२ तक सँध्या ३:०० से ७:०० बजे तक सँगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन वृंदावन से पधारी बहन श्री कृष्ण प्रिया पूजा दीदी के मुखारविंद से प्राम्भ हुआ। १५ से १६ फरवरी तक २४ घण्टे का अखण्ड अष्टयाम हुआ, तत्पश्चात हवन व महाआरती हुई।१६ फरवरी को ही ११:३ बजे श्री शिव दरबार, श्री राम दरबार, श्री हनुमान दरबार के नवीन मन्दिर का भूमि पूजन भी किया गया। उसके बाद १२:३० बजे से भव्य महा भण्डारा वितरित किया गया।सभी धर्म प्रेमियों, इष्ट, मित्रों से निवेदन किया गया,लोग अधिक से अधिक सँख्या में पधारे। श्रीमद् भागवत कथा का प्रसाद के साथ रसपान किया गया और महा भण्डारे का प्रसाद पाकर जीवन को धन्य बनाया।

सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ:

सूर्य को जल चढ़ाने के साथ ”ऊँ नमो भगवते श्री सूर्याय क्षी तेजसे नम: ऊँ खेचराय नम:” मन्त्र का जाप करने से बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता प्राप्त होगी। इसके अलावा रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्य देव का प्रभाव शरीर में भी बढ़ता है। इससे आप में ऊर्जा की वृर्द्धि होती है।

रविवार को सूर्यदेव की पूजा के बाद ज़रूर पढ़ें ये आरती, बढ़ेगी उम्र :

मान्यता है कि रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से भाग्य उदय होता है। रविवार के दिन भगवान की उपासना करने के लिए सुबह-सुबह स्नान करके भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर पूजा करते हैं और फिर आरती उतारते हैं। कहते हैं कि जब सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं तो सभी अशुभ कार्य शुभ कार्यों में परिणित हो जाते हैं।

रविवार के दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।
रविवार के दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।

सूर्य देव पूजा:

सूर्यदेव को ग्रहों का राजा माना जाता है. उन्हें कलयुग में एकमात्र दृश्य देवता के तौर पर भी पहचाना जाता है। हिन्दू धर्म में सूर्यदेव का विशेष महत्व माना गया है। सूर्य देव के नियमित पूजन से जीवन में शाँति और खुशहाली आती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह नहाने के बाद रोजाना सूर्य देवता को जल चढ़ाने और रोज सूर्य नमस्कार करने से जीवन में बड़ा बदलाव होता है। वैदिक काल में भी भगवान सूर्य नारायण की उपासना का उल्लेख किया गया है। धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है। महाभारत काल में रानी कुन्ती को सूर्य देव की कृपा से ही पहले पुत्र की प्राप्ति हुई थी। वहीं वेदों में सूर्य को जीवन, सेहत और शक्ति के देवता के तौर पर मान्यता है। सूर्य नारायण के सामने किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम भी कहा जाता है। क्यों की जाती है सूर्यदेव की पूजामान्यता है कि रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से भाग्य उदय होता है. रविवार के दिन भगवान की उपासना करने के लिए सुबह-सुबह स्नान करके भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर पूजा करते हैं और फिर आरती उतारते हैं। कहते हैं कि जब सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं तो सभी अशुभ कार्य शुभ कार्यों में परिणित हो जाते हैं।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।।।ॐ जय सूर्य भगवान।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।।।ॐ जय सूर्य भगवान।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।ॐ जय सूर्य भगवान।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।।।ॐ जय सूर्य भगवान।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।।।ॐ जय सूर्य भगवान।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।।।ॐ जय सूर्य भगवान।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान। ॐ जय सूर्य भगवान।

पूजन करतीं दिशाएँ :

पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।ॐ जय सूर्य भगवान। ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।धरत सब ही तव ध्यान,।।ॐ जय सूर्य भगवान।

छठ मईया की कथा :

छठ पर्व षष्ठी का अपभ्रंश है। कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के ६ दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।

यह चार दिनों का त्योहार है और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती। इस व्रत को करने के नियम इतने कठिन हैं, इस वजह से इसे महापर्व और महाव्रत के नाम से संबोधित किया जाता है।

कौन हैं छठी मईया :

मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए माँ गङ्गा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर ( तालाब ) के किनारे यह पूजा की जाती है। षष्ठी माँ यानी छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लम्बी आयु का वरदान मिलता है।

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्ट‍ि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं।

वो बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। शिशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। इनकी प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है।

अस्ताचल सूर्य से आशीष लेने का पर्व :

कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं।

नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ। संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया। लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं।

देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्टी देवी हूं। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी। देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया।

राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा।

छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाठ वापस मिल गया।

अथ छठी मैया की कथा समाप्त

पता :

7H6M+R99, श्री सूर्य देव मन्दिर, सर्वोदय नगर, हीरा नगर, रायपुर, छत्तीसगढ़ पिनकोड : 492099 भारत।

हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें :

रायपुर देहरादून, उत्तराखण्ड जॉली ग्रान्ट हवाईअड्डे से २७५.७ किलोमीटर की दूरी तय करके पहुँच जाओगे, वहाँ से कैब द्वारा घण्टे मिनट्स में पहुँच जाओगे श्री सूर्य मन्दिर।

रेल मार्ग से कैसे पहुँचें:

नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन से रायपुर रेल्वे स्टेशन २११.१ किलोमीटर की दूरी तय करके ४ घण्टे ३३ मिनट्स में पहुँच जाओगे श्री सूर्य देव मन्दिर।

सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें :

यदि आप दिल्ली के ISBT से बस / बाइक या कार द्वारा से यमुना एक्सप्रेसवे होते हुए २१४.१ किलोमीटर की दूरी तय करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग होते हुए ४ घण्टा ३७ मिन्ट्स में पहुँच जाओगे श्री सूर्य देव मन्दिर।

सूर्य देव महाराज की जय हो। जयघोष हो।।

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