सूर्य मन्दिर, कन्दाहा गाँव सहरसा, औरंगाबाद, बिहार भाग: २५५
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा बागेश्वर बालाजी धाम मन्दिर, गाँव:गढ़ा गंज, खजुराहो-पन्ना मार्ग, छतरपुर, मध्यप्रदेश! यदि आपसे उक्त लेख छूट अथवा रह गया हो तो आप प्रजा टुडे की वेबसाईट http://www.prajatoday.com पर जाकर धर्म साहित्य पृष्ठ पर जाकर पढ़ सकते हैं! आज हम आपके लिए लाएँ हैं।
भारत के धार्मिक स्थल : सूर्य मन्दिर, कन्दाहा गाँव सहरसा औरंगाबाद, बिहार भाग: २५५
कन्दाहा गाँव में सूर्य मन्दिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक और प्राचीन ऐतिहासिक स्थान है, जिसे भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा औरंगाबाद जिले बिहार के देव मन्दिर में मान्यता प्राप्त है! कन्दाहा सूर्य मन्दिर, महिषी प्रखण्ड के पस्तवार पँचायत में स्थित है! यह सहरसा ज़िला मुख्यालय से तकरीबन १६ किलोमीटर की दूरी पर है! श्री उग्रतारा स्थान महिषी जाने के मार्ग पर, यह लगभग ३ किलोमीटर उत्तर गोरहो घाट चौक से स्थित है!
यहाँ सात घोड़ों रथ पर सवार श्री सूर्य नारायण भगवान की शानदार मूर्ति एक ग्रेनाइट स्लैब पर बनाई गई है! पवित्र मन्दिर (गर्भ गृह) के द्वार पर, शिलालेख जो रहवासियों एवँ इतिहासकारों द्वारा लिखे गए हैं, पुष्टि करते हैं कि १४ वीं सदी में मिथिला पर शासन करने वाले कर्नाटक वँश के राजा नरसिंह देव की अवधि के दौरान इस श्री सूर्य नारायण मन्दिर का निर्माण किया गया था! ऐसा कहा जाता है कि कालापहद नामक एक क्रूर मुग़ल बादशाह ने मन्दिर को नुकसान पहुँचाया था, हालाँकि प्रसिद्ध सँत कवि लक्ष्मीनाथ गोसाई जी द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था! भगवान सूर्य प्रतिमा, कन्दाहा, सहरसा
!! श्री सूर्य मङ्गल स्तोत्रम् !!
भगवान् काश्यपगोत्रजोऽरुणरुचिर्यः सिंहपोऽर्कस्समित्
षट्त्रिस्थो दशशोभनो गुरुशशी भौमेषु मित्रं सदा !
शुक्रार्की च रिपू कलिङ्गजनितश्चाऽग्नीश्वरो देवते
मध्ये वर्तुलपूर्वदिग्दिनकरः कुर्यात्सदा मङ्गलम् !!
!!इति श्रीसूर्यमङ्गलस्तोत्रं सम्पूर्णम् !!
सूर्य स्तोत्र पाठ विधि :
सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ हो जाएँ! अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ! सूर्यदेव का ध्यान करते हुए सूर्य स्तोत्र का पाठ करें! पाठ संपन्न होने पर आरती करें!
प्रतिदिन न कर पाएँ तो बेशक़ आप रविवार को करें श्री सूर्य स्तुति का पाठ, जीवन में प्राप्त होती है सफलता! धरती पर सूर्यदेव को प्रत्यक्ष भगवान माना गया है! हर रविवार को श्री सूर्य नारायण देव की पूजा की जाती है! शास्त्रों में कहा गया है कि श्री सूर्यदेव को जल चढ़ाने से मनुष्य को जीवन में सफलता शाँति और शक्ति की प्राप्ति होती है! सूर्य देव को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है! इनसे ही पृथ्वी पर जीवन है! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह की परिभाषा अलग होती ह! पुराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य, चन्द्रमा, मङ्गल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु नौ ग्रहों में गिने जाते हैं! सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के कार्य किए जाते हैं जिनमें सूर्य को अर्घ्य देना भी शामिल है।ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम भी प्रतिदिन सूर्य देव की आराधना करते थे! सूर्यदेव की पूजा करते समय व्यक्ति को मन्त्रों का जाप करना चाहिए! साथ ही सूर्यदेव की स्तुति का पाठ भी करना चाहिए! भगवान सूर्यदेव की पूजा करने से उन्हें जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है! आइए पढ़ते हैं श्री सूर्य स्तुति:
!! श्री सूर्य स्तुति !!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन !!
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन !!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन !!
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी !!
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी !!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन !!
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली !!
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली !!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन!!
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी!!
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी!!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन!!
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा!!
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा!!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन!!
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी!!
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी!!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन!!
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै!
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै!!
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन!!
सूर्याअर्घ्य :
अँत में सूर्यदेव को जल अर्पित करें! अपने हाथों को ओक बनाएँ, जल भर दाएँ से बाएँ दाहिने अँगूठे से मन्त्र गायत्री मन्त्र : ऊँ भुर्भुवः स्वाहा तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यौन: प्रचोदयात! बोलते हुए जल छोड़े और सूर्य की ओर आँखें बन्द करके अपने सिर के ऊपर से अर्घ्य दें! तदुपरान्त अपने मुँह और पूरे शरीर पर पुनः हाथ फेरें! स्नान करके पुनः जाप पाठ करें!
हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :
बाय एयर सहरसा के पास कोई हवाई अड्डा नहीं है निकटतम हवाई अड्डा पटना हवाई अड्डा है जो कि २०१ किमी दूर है.
लोहपथगामिनी मार्ग से कैसे पहुँचें :
ट्रेन द्वारा आप आसानी से देश के अन्य प्रमुख शहरों से सहरसा को नियमित ट्रेन पा सकते हैं! रेलवे स्टेशन: सहरसा जँक्शन (एसएचसी)!
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें मन्दिर :
सड़क के द्वारा देश के अन्य प्रमुख शहरों से सहरसा बस स्टैंड तक नियमित बसें हैं. जहाँ से कन्दाहा १६ किलोमीटर की दूरी पर है!
सूर्य नारायण की जय हो! जयघोष हो!!