सप्त नाथ नगरी भोले नाथ मन्दिर, बरेली, उत्तरप्रदेश भाग : ३७९
आपने पिछले भाग में पढ़ा होगा भारत के धार्मिकस्थल : श्री सूर्य देव मन्दिर, नजफगढ़ मार्ग, रमेश नगर, नई दिल्ली। यदि आपसे उक्त लेख छूट गया या रह गया हो तो आप कृपया करके प्रजा टूडे की वेब साईट पर जाकर www.prajatoday.com धर्मसाहित्य पृष्ठ पढ़ सकते हैं! आज हम प्रजाटूडे समाचारपत्र के अति-विशिष्ट पाठकों के लिए लाए हैं:
सप्त नाथ नगरी भोले नाथ मन्दिर, बरेली, उत्तरप्रदेश भाग : ३७९
देवाधिदेव भोलेनाथ विराजमान है यहाँ,जानिए महिमा उत्तरप्रदेश के नाथ नगरी ज़िला बरेली के नाथ मन्दिरों के बारे में। कभी सोचा है कि बरेली को नाथों की नगरी क्यों कहा जाता है? (०७) सात नाथ विराजमान है यहाँ। कभी सोचा है कि बरेली को नाथों की नगरी क्यों कहा जाता है। इस सोमवार को हम आपको बताने जा रहे हैं कि इसकी वजह क्या है। दरअसल, शहर की चारों दिशाओं में भोलेनाथ के सात दरबार होने के कारण इस शहर को सप्तनाथ नगरी भी कहा जाता है। भगवान शिवशँकर के यह सात मन्दिर पौराणिक महत्व के हैं। हर मन्दिर के पीछे एक पुरातन कहानी जुड़ी है। सैकड़ों साल पहले से आज तक, इन मन्दिरों से हर शिवभक्त की आस्था जुड़ी है। हरिद्वार और कछला से गङ्गाजल लाकर इन मन्दिरों में भगवान शिवशँकर को अर्पित किया जाता है।
बनखंडीनाथ मन्दिर:
कहा जाता है कि महारानी द्रोपदी ने पूर्व दिशा में अपने गुरु के आदेश पर शिवलिंग स्थापित कर कठोर तप किया था। उस वक्त जोगीनवादा क्षेत्र में घना जँगल होता, इस कारण मन्दिर का बनखंडीनाथ पड़ गया।
मढ़ीनाथ मन्दिर:
मढ़ीनाथ-शहर के पश्चिम दिशा में स्थित इस शिवालय के बारे में भी प्राचीन कहानी है। एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए यहाँ कुआँ खोदना शुरू किया था तभी शिवलिंग प्रकट हुआ। ऐसा शिवलिंग जिस पर मढ़ीधारी सर्प लिपटा था। जिसके बाद यहाँ हुई मन्दिर स्थापना और नाम रखा गया मढ़ीनाथ मन्दिर। अब इस मन्दिर के आसपास के क्षेत्र को मढ़ीनाथ मुहल्ला के नाम से जाना जाता है।
त्रिबटीनाथ मन्दिर:
त्रिबटीनाथ: उत्तर दिशा में स्थित मन्दिर सन् १४७४ में हुआ। बताया जाता है कि उस वक्त वहाँ वन क्षेत्र था। एक चरवाह तीन वट वृक्षों के नीचे विश्राम कर रहा था। उस वक्त स्वप्न में भोलेनाथ आए और उस स्थान की खुदाई करने को कहा। त्रिवट के नीचे खुदाई की तो शिवलिंग प्रकट हुआ। तीन वटों के नीचे शिवलिंग मिलने से इस मन्दिर का नाम त्रिवटी नाथ पड़ गया।
तपेश्वरनाथ मन्दिर ;
तपेश्पर नाथ: शहर के दक्षिण दिशा में स्थित यह मन्दिर ऋषियों की तपोस्थली रहा। उन्होंने कठोर तप कर इस देवालय को सिद्ध किया इसलिए नाम तपेश्वरनाथ मंदिर पड़ा।
धोपेश्वरनाथ मन्दिर :
धोपेश्वर नाथ: पूर्व दक्षिण अग्निकोण में स्थापित इस मन्दिर को महाराजा दु्रपद के गुरु एवं अत्री ऋषि को शिष्य धू्रम ऋषि ने कठोर तप से सिद्ध किया। उन्हीं के नाम पर देवालय का नाम धूमेश्वर नाथ पड़ा जो कि बाद में धोपेश्वर नाथ के नाम से जाना जाने लगा।
अलखनाथ मन्दिर :
अलखनाथ: आनँद अखाड़ा के अलखिया बाबा ने इस स्थान पर कठोर तप किया। शिवभक्तों के लिए अलख जगाई। उन्हीं के नाम से जोड़कर इस मंदिर का नाम अलखनाथ पड़ा।
पशुपतिनाथ मन्दिर :
पशुपतिनाथ मन्दिर, जिसे जगमोहनेश्वरनाथ मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है, सात नाथ मन्दिरों में सबसे नया है। पशुपतिनाथ भगवान शिव के अवतार भगवान पशुपतिनाथ।
पीलीभीत बाइपास रोड पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण शहर के एक बिल्डर ने २००३ में करवाया था। मन्दिर के निर्माण में लगभग एक वर्ष का समय लगा। मुख्य मन्दिर के अंदर स्थापित शिवलिंग नेपाल के पशुनाथना मन्दिर के समान पँचमुखी (पाँच मुख वाला) है ।
मन्दिर परिसर में मुख्य मन्दिर, एक भैरव मन्दिर, कैलाश पर्वत की प्रतिकृति और भगवान शिव के १०८ नामों को समर्पित १०८ शिवलिंग हैं। मन्दिर परिसर में रुद्राक्ष और चंदन के पेड़ भी लगाए गए हैं। मुख्य मंदिर एक तालाब के बीच में स्थित है नाथन से चारों ओर से घेरे हुए है। तालाब में मछलियां और बत्तख बहुतायत में पाई जाती हैं। मन्दिर परिसर में रामेश्वरम के रामसेतु से लाया गया एक पत्थर भी है , जो पानी में तैरता है।
कैसे पहुँचें बरेली के नाथ नगरी के मन्दिर :
भारत वर्ष के उत्तरप्रदेश के ज़िले बरेली में सभी सप्त नाथ मन्दिरों में जाने के लिए स्थानीय बस ऑटो रिक्शा या रिक्शा के माध्यम से तथा प्राईवेट कैब या टैक्सी द्वारा आप इस सप्त नाथ मन्दिरों के दर्शन कर सकते हो।
दिल्ली के इन्दिरगाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से:
दिल्ली के इन्दिरगाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से कैब द्वारा मुरादाबाद होते हुए २७२.६ किलोमीटर का मार्ग तय करके पाँच घण्टे और दो मिन्टस में पहुँच जाओगे नाथ नगरी बरेली।
रेल द्वारा बरेली जंक्शन से :
नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन से चार घण्टे पैंतालीस मिन्टस में बरेली जंक्शन पहुँच जाओगे।
सड़क द्वारा नाथनगरी बरेली कैसे पहुँचें :
यदि आप दिल्ली के ISBT से बरेली बस / बाइक या कार द्वारा मुरादाबाद होते हुए २६८.१ किलोमीटर की दूरी तय करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग NH-2 से चार घण्टे और छयालीस मिन्ट्स में पहुँच जाओगे नाथ नगरी बरेली।
भगवान भोलेनाथ की जय हो। जयघोष हो।।