त्रिपुरा में कमालपुर नगर पंचायत ने प्लास्टिक के एक स्थायी विकल्प के रूप कदम उठाया

@ अगरतला त्रिपुरा :-

त्रिपुरा में कमालपुर नगर पंचायत ने एकल-उपयोग प्लास्टिक के एक स्थायी विकल्प के रूप में बायोडिग्रेडेबल, रसायन-मुक्त पॉलिमर, पीबीएटी से बने कम्पोस्टेबल बैग पेश करके स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। कम्पोस्टेबिलिटी और बायो-डिग्रेडेबिलिटी मानकों को पूरा करने के लिए सीआईपीईटी द्वारा प्रमाणित, ये पर्यावरण के अनुकूल बैग 180 दिनों के भीतर विघटित हो जाते हैं। नष्ट होने में सदियां लग सकने वाली पारंपरिक प्लास्टिक के लिए ये बैग एक व्यावहारिक विकल्प प्रदान करते हैं। 145 रुपए प्रति किलोग्राम थोक और 160 रुपए प्रति किलोग्राम खुदरा मूल्य पर ये उपलब्‍ध हैं। वे कम्पोस्टेबल बैग के उपयोग को बढ़ावा देने, प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और एक स्थायी भविष्य के लिए जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए समुदाय के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहे हैं।

प्रतिबंध के बावजूद बाजारों में लगातार सिंगल-यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के उपयोग से निपटने के लिए, त्रिची सिटी कॉरपोरेशन ने जीआईजेड इंडिया के सर्कुलर वेस्ट सॉल्यूशंस प्रोजेक्ट के साथ मिलकर 2022 में एक लक्षित अभियान शुरू किया। तेन्नूर, केके नगर और वोरैयूर में 220 विक्रेताओं को शामिल करते हुए विशिष्ट किसान बाजारों को गहन भागीदारी के लिए चुना गया। विक्रेताओं को एसयूपी से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के बारे में शिक्षित किया गया और टिकाऊ विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। “थुनिप्पई थिरुविझाई” पहल ने खरीदारों के बीच पुन: प्रयोज्य कपड़े के थैलों को और बढ़ावा दिया। तेन्नूर किसान बाजार ने एक साल में 2,200 किलोग्राम एसयूपी, केके नगर ने चार महीनों में 620 किलोग्राम और वोरैयूर ने छह महीनों में 300 किलोग्राम एसयूपी प्रयोग करने से बचे।

मई 2022 में केदारनाथ में शुरू की गई डिजिटल डिपॉज़िट रिफंड प्रणाली, वित्तीय प्रोत्साहनों के माध्यम से ज़िम्मेदारी से निपटान को बढ़ावा देकर चार धाम क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे से निपटती है। दुकानदार प्लास्टिक की बोतलों और बहुस्तरीय प्लास्टिक पर 10 रुपए जमा करते हैं जो कि रिफन्‍डेबल होता है। इसे पंजीकृत दुकानों को वितरित क्‍यूआर कोड के माध्यम से ट्रैक किया जाता है। प्रयुक्त पैकेजिंग को निर्दिष्ट बिंदुओं या रिवर्स वेंडिंग मशीनों (आरवीएम) पर वापस कर दिया जाता है, व्यवस्थित रूप से एकत्र किया जाता है, और रीसाइक्लिंग के लिए मटेरियल रिकवरी सुविधाओं (एमआरएफ) को भेजा जाता है। गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ तक विस्तारित इस पहल ने 20 लाख प्लास्टिक की बोतलों को रीसाइकिल किया है, 66 मीट्रिक टन कार्बन-डाई-ऑक्‍साइड (CO₂) उत्सर्जन को रोका है, 110 से अधिक नौकरियां पैदा की हैं और अनौपचारिक कचरा निपटान श्रमिकों की आय में 37.5 प्रतिशत की वृद्धि की है।

जन जागरूकता अभियानों ने रीसाइक्लिंग और जिम्मेदार अपशिष्ट निपटान को प्रोत्साहन दिया जिससे स्थिरता की संस्कृति को बढ़ावा मिला। सामुदायिक भागीदारी को मजबूत किया गया जिससे दीर्घकालिक पर्यावरण जागरूकता और जमीनी स्तर पर टिकाऊ नियमों को बढ़ावा मिला। संरचित बाय-बैक प्रणाली ने जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करते हुए पुनर्नवीनीकरण सामग्री से राजस्व भी उत्पन्न किया। नवंबर 2024 तक, 17,600 दूध के पाउच एकत्र किए गए, जिसके बदले लोगों को 352 लीटर दूध दिया गया।

पटियाला में सीएसआर के तहत स्थापित प्लास्टिक रीसाइक्लिंग सुविधा गर्म और ठंडे दबाव प्रौद्योगिकी के माध्यम से बहुस्तरीय प्लास्टिक (एमएलपी) को टिकाऊ चिपबोर्ड में परिवर्तित करके कम मूल्य वाले प्लास्टिक कचरे का समाधान करती है। प्लाईवुड के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के तौर पर ये चिपबोर्ड फर्नीचर, छत और अस्थायी शिविरों में उपयोग किए जाते हैं। रीसाइक्लिंग प्रक्रिया में एमएलपी कचरे को छांटना, साफ करना, टुकड़ों में काटना शामिल है, जिन्हें एक साथ जोड़कर, जल और दीमक-प्रतिरोधी बोर्ड बनाए जाते हैं।

भारत में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन एक सहयोगात्मक व बहु-हितधारक प्रयास बनता जा रहा है। राज्य, शहर, स्टार्टअप और नागरिक पर्यावरण अनुकूल व्‍यवस्‍थाओं को अपना रहे हैं और रीसाइक्लिंग को मजबूत कर रहे हैं जिससे चक्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।

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