75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर गांधीनगर में गरिमामय ढंग से मनाया गया संविधान दिवस

@ गांधीनगर गुजरात :

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 26 नवंबर को संविधान के अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संविधान दिवस के गरिमामय समारोह में आह्वान किया कि संविधान को केवल एक पुस्तक के रूप में न देखते हुए उसके राष्ट्रहित सर्वोपरि के भाव को अपनी जीवन शैली बनाएं। 26 नवंबर, 1949 को अंगीकार किए गए हमारे अद्वितीय संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने की राष्ट्रहित भावना को उजागर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से देश भर में 2015 से 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस वर्ष संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं, इस संदर्भ में प्रधानमंत्री की प्रेरणा से ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ थीम के साथ अमृत काल का यह संविधान दिवस देश भर में मनाया गया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में गांधीनगर में आयोजित संविधान दिवस के गरिमामय समारोह के अंतर्गत मुख्यमंत्री सहित मंत्रीगण, विधायकों, पदाधिकारियों, मुख्य सचिव राज कुमार और वरिष्ठ सचिवों सहित सभी ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारतीयता हमारा धर्म है, तो संविधान हमारा धर्मग्रंथ है। इतना ही नहीं, यह संविधान नागरिक धर्म का पालन करने में हम सभी का मार्गदर्शन करता है। उन्होंने आगे कहा कि जनहित के किसी भी कार्य के लिए ‘फ्री हैंड’ हमारे संविधान का मर्म है। इसके अलावा, ‘वी, द पीपल’ से शुरू होने वाला संविधान ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को भी साकार करता है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने संविधान सभा द्वारा संविधान के निर्माण और उसके अंगीकरण में डॉ. बाबा साहब आंबेडकर के अमूल्य योगदान के साथ-साथ सरदार वल्लभभाई पटेल, कन्हैयालाल मुंशी और हंसाबेन मेहता जैसे गौरवशाली गुजरातियों के योगदान का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि संविधान ने भारत को गुलामी के लंबे अंधकार के बाद पहली बार संप्रभुता की सुबह की किरण दिखाई थी।

इस अवसर पर स्कूल ऑफ लॉ के सेवानिवृत्त निदेशक एन.के. पाठक ने भारत के संविधान के संबंध पर विस्तार से रोशनी डालते हुए कहा कि संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को समान तरीके से एकसूत्र में बांधकर रखता है। यही भारत के संविधान की मुख्य विशेषता है। देश की आजादी के बाद अनेक समस्याएं आईं, लेकिन इन सभी समस्याओं में नागरिकों को हमारे संविधान ने बांधकर रखा। लगभग 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिनों में तैयार हुआ भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 12 अनुसूचियां हैं।

पाठक ने अधिकार नहीं, बल्कि न्याय को पूरे संविधान का मर्म बताते हुए कहा कि संविधान भारत का सबसे बुनियादी दस्तावेज है। संविधान के निर्माताओं ने पूरे संविधान के निर्माण के बाद इस संपूर्ण संविधान के सार को प्रस्तावना में प्रतिबिंबित करने का विचार रखा। इससे सामान्य नागरिक भी संक्षेप में और आसानी से संविधान को समझ सकते हैं।युवा सेवा, सांस्कृतिक गतिविधियां और खेल विभाग के प्रधान सचिव एवं संसदीय एवं वैधानिक मामलों के कार्यकारी प्रधान सचिव अश्विनी कुमार ने संविधान दिवस समारोह के आयोजन का उद्देश्य स्पष्ट किया।

इससे पहले, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल संविधान दिवस के अवसर पर युवा शक्ति को राष्ट्रहित स्वाभिमान के लिए प्रेरित कर ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ नारे के साथ संविधान गौरव पदयात्रा को रवाना किया और स्वयं भी पदयात्रा में शामिल हुए।मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने सेंट्रल विस्टा में आयोजित एक कार्यक्रम में संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहब आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर आदर व्यक्त किया और विकसित भारत यंग लीडर डायलॉग के पोस्टर को लॉन्च किया।

पदयात्रा में गांधीनगर शहर के स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी, नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के कर्मी, कई स्वैच्छिक संगठन और नागरिक सहभागी हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

LIVE OFFLINE
track image
Loading...