@ कमल उनियाल उत्तराखंड
उत्तराखंड अपनी संस्कृति और लोकपर्व और त्यौहारो के लिए जाना जाता है। यहाँ गिंदी कौथिग को मंकर संक्रांति के दिन गेंद के मेला के रुप में मनाया जाता है। गिंदी कौथिग गेंद का मेला का मतलब होता था अपनो से मिलन पहले यातायात, दूरसंचार की व्यवस्था नहीं थी तब मकर संक्रांति को लगने इस कौथिग में दूर ब्याही बेटियाँ अपनो से मिलकर खुशीयाँ मनाती थी।
इस साल भी मकर संक्रांति को लगने वाले इस मेले में कौथिगरो ने जमकर आनंद लिया 15से 20 किलो बारह ईन्च व्यास की चमडी चपडे के गेंद को सिलाई के वक्त गिंदोड नामक फल से सिलाई से बनी गेंद को अपने पाले में खींचने के लिए संघर्ष होता है जिसके पाले में गेंद जाती है वह विजयी होता है।
पौड़ी गढवाल के प्रसिद्ध लगने वाला गेंद का मेला देवीखेत, डाडामंडी, थलनदी में गेंद को अपने पाले में करने के लिए कडा संघर्ष देखने को मिला जिसमे इस बार देवीखेत, लंगूरी और उदयपुर ने विजयश्री प्राप्त की।
देबीखेत में ढौंरी और दिखेत में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला जिसमे दिखेत ने विजय हासिल की। डाडामंडी और थलनदी में भी रोमांचक मुकाबला हुआ जिसमे उदयपुर और लंगूर पट्टी ने जीत हासिल की खेल के दौरान अप्रिय घटना न हो लोग अपने अपने पट्टीयो के कुलदेवता के ध्वज लेकर चलते हैं।
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